संयुक्त राष्ट्रः प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि भारत में जन-कल्याणकारी योजनाओं की सफलता की वजह जन-भागीदारी है और इन योजनाओं के दायरे में सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि विश्व कल्याण का भाव छुपा है क्योंकि भारत 'जन-कल्याण से जग-कल्याण' में विश्वास करता है.
मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 74वें सत्र को संबोधित करते हुये कहा कि एक विकासशील देश होने के बावजूद भारत स्वच्छता, स्वास्थ्य, जल संरक्षण और गरीबों के लिये आवास की सबसे बड़ी योजनाओं को कारगर तरीके से लागू करने में सफल रहा हैं. यह विश्व समुदाय के लिये संवेदनशील व्यवस्था के प्रति नया मार्ग प्रशस्त करता है और अन्य देशों में जनकल्याण के प्रति विश्वास भी पैदा करता है.
संयुक्त राष्ट्र महासभा में मोदी का संबोधन मोदी ने कहा कि वर्ष 2022 में जब भारत आजादी के 75 साल पूरे करेगा तब गरीबों के लिये दो करोड़ घर बना लिये जायेंगे. इसी तरह विश्व ने टीबी से मुक्ति के लिये 2030 का समय तय किया है जबकि भारत ने 2025 तक ही इससे मुक्ति का लक्ष्य बनाया है.
उन्होंने कहा, 'सवाल ये है कि आखिर हम यह सब कैसे कर पा रहे हैं? यह बदलाव तेजी से कैसे आ रहा है? भारत हजारों वर्ष पुरानी संस्कृति है, जिसकी जीवंत परंपरायें है, जो वैश्विक सपनों को अपने में समेटे हैं. हमारी संस्कृति जीव में शिव को देखती है. जन-भागीदारी से जन-कल्याण और जन-कल्याण से जग-कल्याण में यकीन रखती है.
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मोदी ने कहा कि इसी मार्ग पर चल कर भारत की प्ररेणा है सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास. प्रधानमंत्री ने लगभग दस मिनट के संबोधन में कहा, 'जन-कल्याण के प्रयास 130 करोड़ भारतीयों को केन्द्र में रख कर हो रहे हैं. ये प्रयास सारे विश्व के हैं. प्रयास हमारे हैं लेकिन परिणाम सारे संसार के लिये है.'
मोदी ने कहा कि भारत जैसे ही प्रयास जब अन्य देश भी करते हैं तब उनका यह विश्वास एवं संकल्प और भी मजबूत हो जाता है कि वह अपने देश का विकास और तेजी से करें.