दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

कृषि कानून पर बोले पीएम, गंगाजल जैसी पवित्र नीयत से काम किया - वाराणसी में मोदी

केंद्र की ओर से बनाए गए कृषि कानूनों को लेकर हो रहे विरोध का आज पांचवां दिन है. किसानों के असंतोष और कृषि कानूनों के विरोध को लेकर पीएम मोदी ने वाराणसी में कहा कि सरकार ने किसानों के हित में कई फैसले लिए हैं. उन्होंने विरोध करने वाले लोगों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि अब भ्रम फैलाने का एक नया ट्रेंड चला है.

किसानों के विरोध पर पीएम मोदी
किसानों के विरोध पर पीएम मोदी

By

Published : Nov 30, 2020, 3:42 PM IST

Updated : Nov 30, 2020, 6:03 PM IST

वाराणसी : पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा है कि किसानों के हित में सरकार लगातार काम कर रही है. न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लेकर हो रही आलोचना के संदर्भ में पीएम मोदी ने कहा कि दशकों तक हुए छल के कारण किसान आज आशंकित हैं. उन्होंने किसानों को आश्वस्त किया कि वे विरोध के पहले सरकार का ट्रैक रिकॉर्ड देखें.

मोदी ने कहा कि मुझे ऐहसास है कि दशकों का छलावा किसानों को आशंकित करता है, लेकिन अब छल से नहीं गंगाजल जैसी पवित्र नीयत के साथ काम किया जा रहा है. वादों को जमीन पर उतारने के इसी ट्रैक रिकॉर्ड के बल पर किसानों के हित में नए किसान सुधार कानून लाए गए हैं. किसानों को न्याय दिलाने में ये कितने काम आ रहे हैं, ये आने वाले दिनों में हम जरूर अनुभव करेंगे. मुझे विश्वास है कि मीडिया में भी इसकी सकारात्मक चर्चाएं होंगी.

पीएम मोदी का बयान

उन्होंने कहा कि जब किसी क्षेत्र में आधुनिक कनेक्टिविटी का विस्तार होता है, तो इसका बहुत लाभ हमारे किसानों को होता है. उन्होंने कहा कि दुष्प्रचार किया जाता है कि फैसला तो ठीक है, लेकिन इससे आगे चलकर ऐसा हो सकता है. जो अभी हुआ ही नहीं, जो कभी होगा ही नहीं, उसको लेकर समाज में भ्रम फैलाया जाता है. ये वही लोग हैं, जिन्होंने दशकों तक किसानों के साथ लगातार छल किया है.

उन्होंने कहा, पहले होता ये था कि सरकार का कोई फैसला अगर किसी को पसंद नहीं आता था तो उसका विरोध होता था. लेकिन बीते कुछ समय से हम देख रहे हैं कि अब विरोध का आधार फैसला नहीं, बल्कि भ्रम फैलाकर आशंकाओं को बनाया जा रहा है.

बकौल पीएम मोदी, 'सरकारें नीतियां बनाती हैं, कानून-कायदे बनाती हैं. नीतियों और कानूनों को समर्थन भी मिलता है तो कुछ सवाल भी स्वभाविक ही है. ये लोकतंत्र का हिस्सा है और भारत में ये जीवंत परंपरा रही है.'

'हम मंडियों को आधुनिक बना रहे हैं'
एमएसपी को हटाने के आरोप पर मोदी ने कहा कि अब आप ही बताइए कि अगर मंडियों और एमएसपी को ही हटाना था, तो इनको ताकत देने के लिए, इन पर इतना निवेश ही क्यों करते? हमारी सरकार तो मंडियों को आधुनिक बनाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही है.

उन्होंने कहा कि पहले मंडी के बाहर हुए लेन-देन ही गैरकानूनी थे. ऐसे में छोटे किसानों के साथ धोखा होता था, विवाद होता था. अब छोटा किसान भी, मंडी से बाहर हुए हर सौदे को लेकर कानूनी कार्यवाही कर सकता है. किसान को अब नए विकल्प भी मिले हैं और धोखे से कानूनी संरक्षण भी मिला है.

पीएम ने कहा कि भारत के कृषि उत्पाद पूरी दुनिया में मशहूर हैं. क्या किसान की इस बड़े मार्केट और ज्यादा दाम तक पहुंच नहीं होनी चाहिए? अगर कोई पुराने सिस्टम से ही लेन-देन ठीक समझता है, तो उस पर भी कहां रोक लगाई गई है? बीते सालों में फसल बीमा हो या सिंचाई, बीज हो या बाजार, हर स्तर पर काम किया गया है.

केंद्र सरकार की योजना का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि पीएम फसल बीमा योजना से देश के करीब चार करोड़ किसान परिवारों की मदद हुई है. उन्होंने बताया कि पीएम कृषि सिंचाई योजना से 47 लाख हेक्टेयर जमीन माइक्रो इरिगेशन के दायरे में आ चुकी है.

बिंदुवार पढ़ें पीएम मोदी की बातें-

  • बीते वर्षों में ये प्रयास हुआ है कि गांवों में आधुनिक सड़कों के साथ भंडारण, कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्थाएं खड़ी की जाएं.
  • इसके लिए एक लाख करोड़ रुपये का फंड भी बनाया गया है.
  • देश के इतिहास में पहली बार किसान रेल शुरु की गई है. इन प्रयासों से किसानों को नए बाजार मिल रहे हैं, बड़े शहरों तक उनकी पहुंच बढ़ रही है.
  • उनकी आय पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है.
  • वाराणसी में पेरिशेबल कार्गो सेंटर बनने के कारण अब यहां के किसानों को अब फल और सब्जियों को स्टोर करके रखने और उन्हें आसानी से बेचने की बहुत बड़ी सुविधा मिली है.
  • इस स्टोरेज कैपेसिटी के कारण पहली बार यहां के किसानों की उपज बड़ी मात्रा में निर्यात हो रही है.
  • आज बनारस का लंगड़ा और दशहरी आम लंदन और मिडिल ईस्ट में अपनी खुशबू बिखेर रहा है.
  • अब बनारस के आम की मांग विदेशों में भी निरंतर बढ़ रही है.
  • सरकार के प्रयासों औऱ आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर से किसानों को कितना लाभ हो रहा है, इसका एक बेहतरीन उदाहरण चंदौली का काला चावल-ब्लैक राइस है.
  • ये चावल चंदौली के किसानों के घरों में समृद्धि लेकर आ रहा है.
  • सामान्य चावल जहां 35-40 रुपये किलो के हिसाब से बिकता है, वहीं ये बेहतरीन चावल 300 रुपये तक बिक रहा है.
  • बड़ी बात ये भी है कि ब्लैक राइस को विदेशी बाज़ार भी मिल गया है.
  • पहली बार ऑस्ट्रेलिया को ये चावल निर्यात हुआ है, वो भी करीब साढ़े 800 रुपये किलो के हिसाब से.
Last Updated : Nov 30, 2020, 6:03 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details