जलगांव : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को निरस्त किये जाने के मुद्दे पर कांग्रेस और राकांपा पर अपना हमला तेज करते हुए उन्हें चुनौती दी कि वे अपने चुनावी घोषणापत्र में जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले रद प्रावधानों को बहाल करने का वादा करें.
महाराष्ट्र में 21 अक्टूबर को होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले अपनी पहली रैली को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर 'महज जमीन का टुकड़ा नहीं बल्कि भारत का ताज है.' साथ ही उन्होंने कहा कि वहां पिछले 40 सालों से जो स्थिति थी, उसे सामान्य करने में चार महीने का भी समय नहीं लगेगा.
मोदी ने विपक्षी दलों पर अनुच्छेद 370 के मुद्दे का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया और कहा कि ऐसा लग रहा है कि अनुच्छेद 370 पर विपक्ष 'पड़ोसी देश की जुबान बोल रहा है.
प्रधानमंत्री ने देवेंद्र फडणवीस नीत महाराष्ट्र सरकार के पांच साल के प्रदर्शन की प्रशंसा की और कहा कि यह 'भ्रष्टाचार मुक्त' रहा तथा उसने किसानों एवं उद्योगों समेत सभी के बीच भरोसा पैदा किया.
कांग्रेस और राकांपा पर हमला करते हुए मोदी ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि वे अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को रद करने के 'अभूतपूर्व' निर्णय का 'राजनीतिकरण' कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि विपक्षी नेता जम्मू-कश्मीर को लेकर पूरे राष्ट्र की भावनाओं के ठीक उलट सोचते हैं.
मोदी ने स्पष्ट तौर पर पाकिस्तान की तरफ इशारा करते हुए किसी नेता का नाम लिए बिना कहा, 'आप कांग्रेस, राकांपा के बयानों को देखें.वे पड़ोसी देश की जुबान बोलते हुए मालूम होते हैं.'
अनुच्छेद 370 के मुद्दे पर घड़ियाली आंसू बहाने का विपक्ष पर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा, 'मैं उन्हें चुनौती देता हूं कि अगर उनमें हिम्मत है, वे राज्य के चुनाव और भविष्य के चुनावों के लिए भी अपने घोषणापत्र में एलान करें कि वे अनुच्छेद 370 और 35ए के रद प्रावधानों को बहाल करेंगे, जिन्हें भाजपा, मोदी सरकार ने रद कर दिया. कहें कि वे पांच अगस्त के फैसले को बदल देंगे.'
मोदी ने विपक्षी दलों से कहा, घड़ियाली आंसू बहाना बंद करें.
इस कदम (अनुच्छेद 370 के प्रावधान हटाने) की प्रशंसा करते हुए मोदी ने कहा कि पहले यह अकल्पनीय था कि ऐसा कोई फैसला लिया जाएगा और पाया कि बीते सालों में जम्मू-कश्मीर में केवल अलगाववाद और आतंकवाद फैला है.
उन्होंने ध्यान दिलाया कि गरीब, महिलाओं, दलितों एवं शोषित वर्गों के विकास की संभावना क्षीण थी.
उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में वाल्मीकि समुदाय के सदस्यों को मानवाधिकारों से भी वंचित रखा गया.