रांची : झारखंड के सिमडेगा जिले के सदर अस्पताल में साल का पहला दिन खुशियां लेकर आया. करीब चार साल से बिछड़े बेटे को ईटीवी भारत की पहल पर मां का आंचल दोबारा मिल गया. बिहार के नवादा जिले के छिंदवाड़ा गांव के रहने वाले परिजनों ने बताया कि चार साल पहले इलाज के दौरान उनका बेटा उपेंद्र चौहान घर से लापता हो गया था.
अब अपने बिछड़े बेटे को पाकर माता-पिता के खुशी के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे. बेटे को वापस पाने की खुशी तब और बढ़ गई, जब विक्षिप्त उपेंद्र ने अपने परिवार को पहचान लिया.
परिवार के साथ उपेंद्र चौहान उपेंद्र की मां दशोदा देवी ने बताया कि उनके बेटे को मानसिक रोग है, जिसका इलाज किया जाना है. उपेंद्र के लापता होने के बाद उन्होंने उसे तलाशने की बहुत कोशिश की, लेकिन कुछ पता नहीं चला.
पिता गरीबन चौहान ने कहा कि उपेंद्र अपनी बीमारी की वजह से कुछ साफ नहीं बता पाता था, इसलिए उसे ढूंढ पाना मुश्किल था. चार साल इंतजार के बाद उनकी उम्मीदें क्षीण होने लगी थीं, लेकिन ईटीवी की खबर से उनका बेटा उन्हें वापस मिल गया.
गरीबन ईटीवी भारत और सिमडेगा की धरती को इसके लिए बार बार धन्यवाद देते रहे. उन्होंने ये भी कहा कि सिमडेगा की इस पावन भूमि ने उन्हें उनका बेटा लौटाया है, इसे वे पूरी जीवन भूल नहीं पाएंगे.
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कैसे मिले परिजन
ईटीवी भारत ने इस संबंध में 19 दिसंबर को खबर प्रकाशित की थी. खबर में जानकारी दी गई थी कि सिमडेगा के सदर अस्पताल में करीब एक महीने से एक विक्षिप्त युवक का इलाज किया जा रहा है, जिसकी देखभाल वार्ड अटेंडेंट रानी कुमारी पूरे सेवाभाव के साथ कर रही हैं.
बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष किरण चौधरी ने खबर का संज्ञान लिया और रांची के मानवाधिकार कार्यकर्ता मुन्नू शर्मा ने उपेंद्र चौहान के परिजनों को ढूंढने का बीड़ा उठाया. मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की मेहनत रंग लाई और उन्होंने नवादा जिले के छिंदवाड़ा गांव में उपेंद्र के परिजनों को ढूंढ निकाला. उपेंद्र के परिजनों को जब खोए बेटे की जानकारी मिली तो वे तुरंत सिमडेगा आ गए.
इस पहल की लिए उपेंद्र के परिजनों, सदर अस्पताल के डॉक्टरों, सीडब्ल्यूसी अध्यक्ष और मानवाधिकार टीम ने तहे दिल से धन्यवाद दिया.