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साक्षात्कार : मॉडल से आईएएस बनीं ऐश्वर्या ने साझा किया सफलता का मंत्र - आर्मी का परिवार

राजस्थान के चूरू जिले की ऐश्वर्या श्योराण ने यूपीएससी की परीक्षा में 93वां रैंक प्राप्त किया. यह उनका पहला प्रयास था. ऐश्वर्या ने अपनी सफलता से सबको चकित कर दिया. खासकर तब, जब लोगों को ये पता चला कि वे एक मशहूर मॉडल हैं और वे मिस इंडिया की फाइनलिस्ट भी रह चुकी हैं. ईटीवी भारत के रीजनल एडिटर ब्रज मोहन सिंह से विशेष बातचीत में ऐश्वर्या ने बचपन से लेकर सिविल सर्विसेज परीक्षा उत्तीर्ण होने तक की अपनी यात्रा के बारे में खुलकर बात की. आइए देखते हैं उनका पूरा साक्षात्कार.

ऐश्वर्या श्योराण का सफर
ऐश्वर्या श्योराण का सफर

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Published : Aug 8, 2020, 4:16 PM IST

Updated : Aug 8, 2020, 7:56 PM IST

हैदराबाद :ऐश्वर्या श्योराण ने यूपीएससी की परीक्षा में पहले ही प्रयास में 93वां स्थान प्राप्त कर अपना लोहा मनवाया है. मॉडलिंग से सिविल सर्विसेज में आकर ऐश्वर्या ने ये मुकाम हासिल किया. ईटीवी भारत के साथ विशेष बातचीत में ऐश्वर्या ने अपनी सफलता के बारे में बताया.

ईटीवी भारत से बात करती ऐश्वर्या श्योराण

सवाल- आर्मी परिवार से होते हुए कैसे रहा आपका बचपन?

जवाब- आर्मी का परिवार होने से बार-बार एक जगह से दूसरी जगह जाने का मौका मिला. पढ़ाई के दौरान कम से कम 10 से 12 स्कूल बदले. नई जगहों पर जाना और नए लोगों से मिलना हर बार कुछ नया सिखाता है, तो एक तरह से ये बहुत अच्छा था.

सवाल- आप किससे ज्यादा करीब हैं, मां से या पिता से?

जवाब-पिता के आर्मी में होने से ज्यादा साथ नहीं मिल पाता है. पापा कभी-कभी दिखते हैं. ज्यादातर वक्त मां और भाई के साथ गुजरा. मां ने हमेशा साथ रहकर मोटिवेट किया. संस्कार माता-पिता दोनों से मिले.

सवाल- मॉडलिंग से आईएएस तक का आपका सफर कैसा रहा?

जवाब-शुरू से दोनों ही कामों में रुचि थी. जब मिस इंडिया में पार्ट लेने का मौका मिला, तो एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज की तरह हिस्सा लिया. इससे जीवन में कॉन्फिडेंस बढ़ता है.

सवाल- सिविल सेवा परीक्षा के लिए कितनी तैयारी की?

जवाब-माता-पिता ने शुरू से हर काम के लिए छूट दी. मां ने हमेशा से दिल से काम करने के लिए कहा. जो भी किया दिल से किया. सिविल सर्विसेज की तैयारी करते समय भी मन लगाकर पढ़ाई की.

सवाल- लड़कियों को लेकर बदलाव आ रहा है, इसे आप किस तरह देखती हैं. कैसे वे आगे बढ़ें ?

जवाब-लड़कियों के मामले को दो पहलुओं में देखती हूं. असली बदलाव तभी आएगा, जब लोग जागरूक होंगे. लोगों की सोच में बदलाव आते ही लड़कियों की स्थिति में बदलाव होगा. वहीं दूसरी तरफ यह लड़कियों पर भी निर्भर करता है कि वे कैसे रहना चाहती हैं. किसी और पर निर्भर न होकर आत्मनिर्भता के साथ जीना होगा. खुद क्या करना चाहती हैं, अगर यह कहने की हिम्मत आ जाए, तभी समाज मौका देगा.

सवाल- शेखावाटी की लड़कियां बाहर की नौकरियां छोड़कर खुद के गांव में बदलाव लाने के लिए सरपंच तक बनने आईं. इस बदलाव को किस तरह देखती हैं?

जवाब-हमेशा से लड़कियां समाज के लिए तत्पर रहती हैं, बस लोग ही नहीं देख पाते. अगर इस तरह का बदलाव आ रहा है तो ये बहुत बड़े बदलाव की शुरुआत है. क्योंकि हर बड़ा बदलाव छोटे से शुरू होता है.

सवाल- आपने क्या आगे की प्लानिंग की है. क्या कुछ बदलाव लाने के लिए सोचा है?

जवाब- महिलाओं के लिए काम करने की इच्छा रखती हूं. फोकस महिला सशक्तिकरण पर रहेगा. इकॉनोमिक तौर पर अगर महिला आत्मनिर्भर हो जाए तो बड़ी उपलब्धि होगी. पीएम मोदी ने भी आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दिया है.

सवाल- गांव में रोजगार के अवसर बढ़ाने की जरूरत है?

जवाब-आत्मनिर्भरता अगर गांव में आ जाएगी तो लोगों को गांव छोड़कर शहरों का रुख नहीं करना पड़ेगा. कोरोना में जिस तरह मजदूरों की घर लौटती भीड़ दिखी, वैसी स्थिति नहीं होती. कोरोना को भी अवसर की तरह देख कर आत्मनिर्भर बनने पर जोर देना चाहिए.

सवाल- आपने बिना कोचिंग के कैसे मैनेज किया?

जवाब-मैंने अपने तरीके से तैयारी की. पढ़ने के तरीके में बैलेंस बनाना जरूरी है. क्षमता के अनुसार पढ़ाई करें. पूरा दिन पढ़ाई करना भी कई परेशानियां दे सकता है. जो तरीका पसंद हो, वैसे पढ़ना चाहिए. जरूरी नहीं कि कोचिंग से ही पढ़ा जा सकता है. प्लानिंग से पढ़ाई करने से ही रैंक हासिल की है.

सवाल- लॉकडाउन के दौरान कैसे समय बिताया. आपको किस तरह की फिल्में पसंद हैं?

जवाब-लॉकडाउन में तैयारी पर ध्यान दिया. साथ ही परिवार के साथ समय बिताया. एंटरटेनमेंट के जरिए वक्त बिताया. मुझे 'थ्री इडियट्स' बेहद पसंद है.

Last Updated : Aug 8, 2020, 7:56 PM IST

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