हरिद्वार : ईटीवी भारत की 'हंसी को मदद' दिलाने की मुहिम आखिरकार सफल हो गई है. ईटीवी भारत की खबर के बाद उत्तराखंड सरकार ने आगे आकर हंसी की मदद का आश्वासन दिया था, जिसके बाद महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास राज्य मंत्री रेखा आर्य आज हंसी प्रहरी से मिलने हरिद्वार के नेहरू युवा केंद्र पहुंचीं और कुमाऊं यूनिवर्सिटी से पढ़ीं हंसी प्रहरी को महिला कल्याण विभाग में कार्य करने का न्योता दिया. इसके साथ ही उन्होंने इस खबर को सामने लाने के लिए ईटीवी भारत का खास तौर पर धन्यवाद दिया.
अपने 6 साल के मासूम बेटे के साथ दर-दर भटक रही हंसी की मजबूरी को जब ईटीवी भारत ने प्रमुखता से उठाया, तो शासन-प्रशासन से मदद के लिए हाथ आगे बढ़ने लगे. उत्तराखंड सरकार ने मंत्री रेखा आर्य को हरिद्वार भेजा ताकि हंसी की तत्काल मदद की जा सके.
कुमाऊं की हंसी प्रहरी की मदद करने पहुंचीं मंत्री रेखा आर्य नेहरू युवा केंद्र पहुंचकर मंत्री ने हंसी प्रहरी से खुलकर बात की. उनकी परेशानी के बारे में पूछा और उनकी मांग को लेकर विचार विमर्श किया. बता दें कि, रेखा आर्य भी अल्मोड़ा के सोमेश्वर विधानसभा क्षेत्र से संबंध रखती हैं, उसी क्षेत्र से हंसी प्रहरी भी आती हैं. अपने इसी कनेक्शन को ध्यान में रखते हुए मंत्री ने हंसी प्रहरी को 'दीदी' कहकर संबोधित किया.
हंसी के साथ पूरी बातचीत करने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए मंत्री रेखा आर्य ने कहा कि उन्होंने हंसी 'दीदी' को महिला कल्याण विभाग में नौकरी देने की पेशकश की है. वहां उन्हें पूरा सम्मान, सैलरी और साधन मिलेगा. वहां रहने की व्यवस्था भी रहेगी. बच्चे की अच्छी शिक्षा का ध्यान भी रखा जाएगा. फिलहाल, हंसी का 6 साल का बेटा हरिद्वार के सरस्वती शिशु मंदिर में निशुल्क पढ़ता है, इसके लिए उन्होंने स्कूल के प्रधानाचार्य की प्रशंसा भी की.
मंत्री रेखा आर्य ने बताया कि हंसी चाहें, तो आज से ही महिला कल्याण विभाग में नौकरी स्वीकार कर सकती हैं. उनको आज से ही सभी सुविधाएं दी जाएंगी, लेकिन हंसी ने खुद इस प्रस्ताव को स्वीकर करने के लिए एक दिन का समय मांगा है, तो वो कल (बुधवार) तक अपना पक्ष रखेंगी. हंसी की सुविधा और उनकी मांग का सम्मान करते हुए मुख्यमंत्री ने हरिद्वार में ही उनको नौकरी देने का प्रस्ताव रखा है.
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हंसी की वर्तमान स्थिति और उनके मानसिक स्वास्थ्य के संबंध में सवाल पूछे जाने पर मंत्री ने कहा कि फिलहाल हंसी का स्वास्थ्य सही लग रहा है. उनके साथ काउंसलर्स, साइकोलॉजिस्ट भी आए हैं. वो भी हंसी से बात कर उनका हाल जानेंगे. उन्होंने कहा कि उनका पहला प्रयास हंसी को शारारिक और मानसिक रूप से मजबूत करना है.
गौर हो कि, बीते दिन ईटीवी भारत ने हरिद्वार में भीख मांग रही हंसी प्रहरी की खबर को प्रमुखता से दिखाया था. खबर दिखाने के 24 घंटे के अंदर ही सैकड़ों मदद के हाथ उठ खड़े हुए थे.
क्या है हंसी की कहानी?
- अल्मोड़ा जिले के सोमेश्वर विधानसभा क्षेत्र के हवालबाग विकासखंड के अंतर्गत गोविंदपुर के पास रणखिला गांव निवासी हंसी बचपन से ही काफी मेधावी रहीं हैं.
- गांव से छोटे से स्कूल से पास होकर उन्होंने कुमाऊं विश्वविद्यालय में एडमिशन लिया.
- साल 1998-99 और 2000 वह कुमाऊं विश्वविद्यालय में छात्रा यूनियन की वाइस प्रेसिडेंट बनीं.
- कुमाऊं विश्वविद्यालय से दो बार एमए की पढ़ाई अंग्रेजी और राजनीति विज्ञान में पास की.
- कुमाऊं विश्वविद्यालय में ही करीब 4 साल तक लाइब्रेरियन की नौकरी की.
- इसके बाद उन्होंने 2008 तक कई प्राइवेट जॉब भी की हैं.
- साल 2011 के बाद हंसी की जिंदगी उथल-पुथल हो गई.
- शादीशुदा जिंदगी में हुई आपसी तनातनी के बाद हंसी कुछ समय तक अवसाद में रहीं.
- इसी बीच उनका धर्म की ओर झुकाव भी हो गया.
- उन्होंने परिवार से अलग होकर धर्मनगरी में बसने की सोची और हरिद्वार पहुंच गईं, तब से ही वो अपने परिवार से अलग हैं.
- इस दौरान उनकी शारीरिक स्थिति भी गड़बड़ रहने लगी और वह सक्षम नहीं रहीं कि कहीं नौकरी कर सकें.
- वह साल 2012 के बाद से ही हरिद्वार में भिक्षा मांग कर अपना और अपने 6 साल के बच्चे का लालन-पालन कर रही हैं.
- उन्होंने अपनी स्थिति को लेकर कई बार मुख्यमंत्री को पत्र भी लिखा. कई बार सचिवालय विधानसभा में भी चक्कर काट चुकी हैं.
- ईटीवी भारत की खबर के बाद उनकी तरफ सरकार की ओर से मदद पहुंची है.
भाई ने किया संपर्क
खबर प्रकाशित होने के बाद हंसी के भाई अनुराग ने भी ईटीवी भारत से संपर्क किया और बताया कि बहन की ऐसी हालत देख उन्हें बेहद दुख हो रहा है. वो चाहते हैं कि उनकी बहन की स्थिति सुधरे और वह अच्छा जीवन बिताए. भाई ने बताया कि उनकी बहन हंसी ने न केवल खुद पढ़ाई की, बल्कि कुमाऊं यूनिवर्सिटी में डबल एमए करने के बाद वहीं पर नौकरी भी की. इतना ही नहीं, जब नौकरी से पैसे आने लगे तो उनकी बहन ने खुद उन्हें सारे सब्जेक्ट दिलवाए, उससे पहले भी उनकी बहन कई जगह पर कार्य कर रही थी.
कई जगह काम करती थी हंसी
हंसी पढ़ाई में इतनी परिपक्व थी कि उनकी नौकरी कई जगह पर लगी. लेकिन परिवार की वजह से उन्हें हर वक्त हर समय ऐसा लगा कि अगर वह पूरा समय नौकरी करेंग, तो परिवार को समय नहीं दे पाएंगी. उनकी जिंदगी में कई उतार-चढ़ाव आए. अनुराग कहते हैं कि उनकी बहन इतनी परिवार के प्रति समर्पित थी कि वह चाहती थी कि सब की शादी होने के बाद ही वे शादी करेंगी.
अचानक 2003 में उनकी जिंदगी में मोड़ आया और पास ही रहने वाले एक सदस्य ने उन्हें एक व्यक्ति से मिलवाया. वह व्यक्ति आर्मी में जेसीओ पद पर तैनात था और उनकी ड्यूटी लखनऊ में थी. लिहाजा पिता के बार-बार मना करने के बावजूद भी उन्होंने मंदिर में शादी कर ली, जिसके बाद हंसी अपने पति के साथ लखनऊ रहने चली गई. लगभग साल या दो साल बाद उनकी बहन की जब वापसी हुई, तो उन्होंने साफ कहा कि अभी फिलहाल वह लखनऊ नहीं जाना चाहती हैं. कुछ समय बाद हंसी की एक बेटी भी हुई.
बेटी होने के बाद भी हंसी हमेशा लखनऊ वापस जाती रहती थीं. यह सिलसिला लगभग 2009 या 2010 तक चलता रहा, जिसके बाद वो घर से यह बोलकर चली गईं कि वह अपने पति के पास जा रही हैं. इस बीच वे समय-समय पर वहां आती रहती थीं. बात 2012 या 2013 के बीच की है, जब घरवालों को पता चला कि हंसी को किसी ने हरिद्वार के रेलवे स्टेशन पर सोते हुए देखा है.
भाई अनुराग ने बताया कि हंसी को कई बार मोबाइल, नए कपड़े दिए गए, लेकिन वह कुछ भी लेने से मना करती रहीं. उनका यही कहना था कि वह हरिद्वार में शिक्षा के क्षेत्र में काम कर रही हैं. वे भी उनकी बातों का विश्वास करते रहें और साल 2012-13 के बाद हंसी से उनका संपर्क अचानक टूट गया, लेकिन वह कुछ सालों बाद फिर से घर पर आना-जाना करती रहीं. उनके परिवार को इस बात का जरा भी पता नहीं था कि वो ऐसी हालत में हैं.