नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'कुपोषण मुक्त भारत' के आह्वान के तहत जल्द ही देशभर के सरकारी स्कूलों में बच्चों दिए जाने वाले मिड-डे मील में दूध को शामिल किया जाएगा. इसका उद्देश्य छात्रों को उचित पोषण सुनिश्चित करना है.
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास और शिक्षा मंत्रालय मिलकर सरकारी स्कूलों में छात्रों को पौष्टिक भोजन प्रदान करने के प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण को पूरा करने के लिए काम कर रहे हैं.
तीसरे 'राष्ट्रीय पोषण माह' पर नीतियों से संबंधित विभागों से जुड़े सभी अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि बच्चों की उपस्थिति के साथ स्कूल खुलने पर जल्द ही मिड-डे मील में दूध के साथ बदलाव में तेजी लाई जाए.
प्रधानमंत्री मोदी ने 2018 में 'पोषण अभियान' शुरू किया था, जिसका उद्देश्य देश से कुपोषण को खत्म करना है.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक बयान में कहा, 'पोषण माह 2020 पर, मोदी सरकार ने गंभीर रूप से कुपोषण के शिकार बच्चों के समग्र पोषण के लिए देशभर में अभियान चलाने की योजना बनाई है.'
इस संबंध में, एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि शिक्षा मंत्रालय मध्याह्न भोजन योजना (मिड-डे मील) के लिए एक संशोधित मेनू के साथ आ सकता है, जिसमें दूध एक अभिन्न घटक के रूप में शामिल होगा.
सभी राज्य सरकारों को नई मध्याह्न भोजन नीति को लागू करने के लिए कहा गया है, जिसमें दूध भी शामिल है.
इससे पहले, तत्कालीन मानव संसाधन विकास मंत्रालय (अब शिक्षा मंत्रालय) ने 2016 में अपनी मध्याह्न भोजन नीति को संशोधित किया था.
जिन स्कूलों में मध्याह्न भोजन उपलब्ध कराया जाता है, वहां बच्चों को बेहतर गुणवत्ता वाला भोजन देने के लिए, शिक्षा मंत्रालय ने अपने मानदंडों को संशोधित किया है, जिसमें दूध को एक आवश्यक पूरक के रूप में शामिल किया गया है.
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने सोमवार को उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू को आश्वासन दिया कि केंद्र सरकार सभी राज्यों को मिड-डे मील योजना में दूध शामिल करने की सिफारिश करने पर विचार करेगी.