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अमेरिका के मुकाबले किस हद तक मजबूत है ईरान की सैन्य ताकत, जानें

अमेरिका और ईरान के बीच तनाव चरम पर है. अमेरिका ने ईरान के टॉप कमांडर की हत्या कर दी. बदले में ईरान ने अमेरिकी सैन्य बेस पर हमला कर दिया. दोनों देशों की ओर से तीखे बयान आ रहे हैं. पूरी दुनिया में इस बात को लेकर चिंता है कि कहीं औपचारिक तौर पर युद्ध का ऐलान ना हो जाए. ऐसे में यह जानना भी जरूरी है कि आखिर दोनों देशों की सैन्य क्षमताओं में कितना दम है. देखिए एक रिपोर्ट.

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अमेरिका ईरान सैन्य क्षमता

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Published : Jan 8, 2020, 8:44 PM IST

Updated : Jan 8, 2020, 8:56 PM IST

हैदराबाद : अमेरिकी हवाई हमले में ईरानी सेना कुद्स के प्रमुख कासिम सुलेमानी की मौत के बाद ईरान और अमेरिका के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है. सुलेमानी की मौत पर जहां ईरान ने सेना प्रमुख की मौत का बदला लेने की धमकी दी है, तो वहीं, अमेरिका ने भी ईरान को मुंह तोड़ जवाब देने को कहा है.

दोनों देशों में बढ़ते तनाव के कारण अमेरिका और ईरान के बीच युद्ध जैसे हालात हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि ईरान दुनिया के सबसे देश अमेरिका से कैसे निपटेगा? ईरान की सेना अमेरिकी सेना का मुकाबला कर पाएगी? या कोई और अंतरराष्ट्रीय शक्ति है, जिस के बल पर ईरान अमेरिका को धमकी दे रहा है ?

चलिए एक नजर डालते हैं अमेरिका की सैन्य ताकत पर और जानते हैं कहां तक ईरान की सेना दुनिया की सबसे शक्तिशाली सेना का मुकाबला कर पाएगी. अमेरिका की सेना दुनिया में सबसे शक्तिशाली मानी जाती है. संख्या के लिहाज से भी अमेरिकी के पास दुनिया की सबसे बड़ी सेना है.

सैन्य बलों की बात करें तो अमेरिका के पास 12 लाख 12 हजार 900 जवान हैं, तो वहीं ईरान के पास केवल 5 लाख 23 हजार जवान हैं. जहां अमेरिकी थल सेना के पास 48 हजार 422 टैंक आदि मौजूद हैं तो वहीं, ईरान के पास इनकी तादाद केवल आठ हजार 577 है.

अमेरिका ईरान की सैन्य ताकत पर खास रिपोर्ट

अगर बात करें नौसेना की तो जंगी जहाज, पनड्डुबी की तो जहां अमेरिका के पास 415 नैवी विमान हैं तो ईरान के पास 398 सबमरीन और पनडुब्बियां मौजूद हैं. इसके अलावा अमेरिका और ईरान की वायुसेना का भी कोई मुकाबला नहीं है. जहां ईरान के बेड़े में केवल 512 लड़ाकू विमान हैं, तो वहीं अमेरिका के पास 10 हजार से अधिक लड़ाकू विमान हैं.

ईरान जंगी साजो सामान के मामले में भले ही अमेरिका के सामने कहीं न ठहरता हो लेकिन वह दूसरे तरीकों से अमेरिकी हितों पर हमला कर सकता है. वह प्रॉक्सी वॉर और मिडिल ईस्ट में अपने साथी देशों इराक,हिजबुल्ला और अफगानिस्तान आदि की मदद से अमेरिका समर्थक देशों जैसे सऊदी अरब इजरायल आदि को निशाना बना सकता है.

1991 के बाद जहां ईरान अपनी सैनिक क्षमता बढ़ा रहा था लेकिन 2006 में अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद उसके लिए सैन्य साजो सामान और हथियारों का आयात करना मुश्किल हो गया. ईरान हथियारों के स्वदेश निर्माण पर निर्भर है.
रक्षा बजट के मामले में भी ईरान, अमेरिका के सामने कहीं नहीं टिक पाता. अमेरिका का रक्षा बजट ईरान से कई गुना ज्यादा है. एक आंकड़े के मुताबिक ईरान का रक्षा बजट करीब 6.3 बिलियन डॉलर है. वहीं अमेरिका का रक्षा बजट करीब 716 बिलियन डॉलर का है.

ईरान के पास मिसाइल क्षमता है और यही उसकी सेना की ताकत है. मिसाइल के मामले में यह अपने स्थानीय प्रतिद्वंद्वंदियों इजरायल और सऊदी अरब से कहीं आगे है. यूएस की एक डिफेंस रिपोर्ट में बताया गया है कि ईरान की मिसाइल क्षमता मिडिल ईस्ट के देशों में सबसे ज्यादा है.

ईरान के पास ज्यादातर छोटी और मध्यम दूरी तक मार करने वाली मिसाइल क्षमता है. ये भी कहा जाता रहा है कि ईरान अंतरमहाद्वीपीय मारक क्षमता वाली मिसाइल टेक्नोलॉजी हासिल करने में जुटा है.

2015 में लगे प्रतिबंधों की वजह से ईरान लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइल नहीं बना पाया है. हालांकि उसके पास इजरायल, सऊदी अरब और खाड़ी के देशों तक मार करने वाली मिसाइल क्षमता मौजूद है.

Last Updated : Jan 8, 2020, 8:56 PM IST

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