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कश्मीर में हालात सामान्य हो रहे, नेताओं को धीरे-धीरे छोड़ा जाएगा : गृह मंत्रालय - parliamentary panel

जम्मू कश्मीर में बदलाव किए जाने के बाद से गृह मामलों की स्थायी समिति की पहली बैठक हुई, जिसके बाद गृह मंत्रालय ने हाउस अरेस्ट किए गए नेताओं व जम्मू कश्मीर में हालातों को लेकर जानकारी दी. पढ़ें विस्तार से...

गृह मंत्री अमित शाह

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Published : Nov 15, 2019, 7:23 PM IST

नई दिल्ली : जम्मू कश्मीर और लद्दाख की वर्तमान स्थिति पर चर्चा के लिए शुक्रवार को गृह मंत्रालय के अधिकारियों और संसदीय समिति की बैठक हुई. इसके साथ ही घाटी में जिन नेताओं को हाउस अरेस्ट किया गया है उनकी रिहाई को लेकर भी बातचीत हुई. गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने संसद के दोनों सदनों के सदस्यों को बताया कि हालात सामान्य हो रहे हैं और हिरासत में लिए गए नेताओं को धीरे-धीरे रिहा किया जा रहा है.

जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को जबरवान रेंज की तलहटी के एक पर्यटक आवास से यहां एक सरकारी आवास में स्थानांतरित किया गया. अधिकारियों ने यह जानकारी दी.

इस कदम की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि सर्दियां नजदीक आ रही हैं और, दूसरा, बार बार बिजली गुल होने के कारण वहां ठहरना मुश्किल हो गया था. इस साल पांच अगस्त को उन्हें नजरबंद किया गया था और उस पर्यटक आवास में रखा गया था. इस पर्यटक आवास को जेल में तब्दील कर दिया गया था.

हालांकि सूत्रों ने कहा कि बाकी नेताओं को छोड़ने के लिए कोई समय सीमा नहीं बताई जा सकती.

कांग्रेस नेता आनंद शर्मा की अध्यक्षता वाली गृह मामलों की स्थायी संसदीय समिति की बैठक में सांसदों ने गृह सचिव अजय कुमार भल्ला और उनकी टीम के अधिकारियों से जम्मू-कश्मीर की मौजूदा स्थिति और हालात सामान्य करने के लिए उठाए जा रहे कदमों को लेकर सवाल पूछे.

गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर में बदलाव किए जाने के बाद से गृह मामलों की स्थायी समिति की यह पहली बैठक थी.

सूत्रों के मुताबिक गृह सचिव ने सांसदों को बताया कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में हालात सामान्य हो रहे हैं, स्कूल खुल गए हैं और सेब का कारोबार हो रहा है.

सूत्रों ने बताया कि हिरासत में लिए गए नेताओं को लेकर पूछे गए सवाल पर भल्ला और उनकी टीम के अधिकारियों ने कहा कि नेताओं को धीरे-धीरे रिहा किया जा रहा है लेकिन बाकी नेताओं को रिहा करने का समय पूछने पर उन्होंने कोई समयसीमा नहीं बताई.

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गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने सांसदों से कहा कि जिन्हें जन सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत हिरासत में लिया गया है वे इसे अधिकृत न्यायाधिकरण में चुनौती दे सकते हैं और उसके आदेश से अंसतुष्ट होने पर हाई कोर्ट का रुख कर सकते हैं.

उल्लेखनीय है कि जिन नेताओं को पीएसए के तहत हिरासत में लिया गया है उनमें पूर्व मुख्यमंत्री फारूख अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती शामिल हैं जो पांच अगस्त से ही हिरासत में है.

सांसदों ने कश्मीर घाटी में इंटरनेट सेवाएं बंद करने को लेकर भी सवाल किए, जिस पर अधिकारियों ने बताया कि यह प्रतिबंध आतंकवादियों को विध्वंसक कार्रवाई को अंजाम देने से रोकने और असामाजिक तत्वों को अफवाह फैलाने से रोकने के लिए लगाया गया है.

सांसदों को अधिकारियों ने बताया कि 1990 से अबतक जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी हिंसा की 71,254 घटनाएं हुई, जिनमें 14,049 नागरिकों की मौत हो गई और 5,293 सुरक्षा कर्मी शहीद हो गए. इसी दौरान 22,552 आतंकवादी भी मारे गए.

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