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तमिलनाडु में कोरोना संक्रमण तेजी से घट रहा, धीमी पड़ी रफ्तार - corona infection in india

भारत में कोरोना वायरस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. देश में कोरोना संक्रमण के मामलों की कुल संख्या 3,20,922 हो गई है. इनमें से 1,62,379 लोग स्वस्थ्य हो चुके हैं. भारत में महाराष्ट्र के बाद तमिलनाडु कोरोना से सबसे से ज्यादा प्रभावित है, लेकिन यहां कोरोना संक्रमण का ग्राफ तेजी से गिर रहा है. पढ़ें पूरी खबर...

Dr. Sudha Seshayyan
डॉ. सुधा सेशायन

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Published : Jun 14, 2020, 2:03 PM IST

चेन्नई : कोरोना वायरस से बुरी तरह प्रभावित तमिलनाडु में संक्रमण की रफ्तार धीमी पड़ी है. यहां संक्रमण तेजी से घट रहा है. दिसंबर तक लोग यहां खुली हवा में सांस ले सकते हैं. राज्य में कोरोना संक्रमण ग्राफ के समतल करने की उम्मीद है. यह बात डॉ. एमजीआर मेडिकल यूनिवर्सिटी की कुलपति डॉ. सुधा सेशायन (‎Dr. Sudha Seshayyan) ने ईटीवी भारत से बातचीत में कही.

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि तमिलनाडु में सितंबर और अक्टूबर महीने में कोरोना वायरस संक्रमण के चरम पर पहुंचने की संभावना है.

ईटीवी भारत के सवाल देश में कोरोना वायरस के तेजी से प्रसार को कैसे देखते हैं? इस महामारी को नियंत्रित करने के लिए क्या उपाय आवश्यक हैं?

उन्होंने जवाब में कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण का ग्राफ बताता है कि देश में कोविड-19 महामारी तेजी से फैल रही है. संक्रमण के चरम पर पहुंचने के बाद ही ग्राफ के गिरने की उम्मीद है.

उन्होंने कहा कि वर्तमान स्थिति को देखकर लगता है कि कोरोना महामारी सितंबर के अंत से अक्टूबर के मध्य तक उच्च स्तर पर रह सकती है. हालांकि, यह स्थिति देशभर में समान नहीं हो सकती है, क्योंकि विभिन्न राज्यों में प्रभाव में भिन्नता है.

तमिलनाडु के मामले में डॉ सुधा ने कहा कि यहां कोविड-19 महामारी 10-15 अक्टूबर के दौरान चरम पर पहुंच सकती है. भौगोलिक, जलवायु परिस्थितियों और जनसंख्या घनत्व में असमानता के कारण राज्यों में कोरोना संक्रमण के उच्च बिंदु में भिन्नता दिख सकती है. लेकिन अनुमानित प्रक्षेपण के अनुसार सितंबर और अक्टूबर में देश में संक्रमण चरम पर होने की संभावना है.

जब ईटीवी भारत के संवाददाता ने पूछा कि आप महामारी के बीच स्कूलों और कॉलेजों को फिर से खोलने की मांग को कैसे देखती हैं? क्या लॉकडाउन के दौरान छात्रों के लिए ऑनलाइन कक्षाएं आयोजित करना उचित है? इस सवाल के जवाब में डॉ सुधा ने कहा कि फिलहाल स्कूलों और कॉलेजों को फिर से खोलना संभव नहीं है. अधिकांश शिक्षण संस्थानों के क्लास रूम में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं किया जा सकता है.

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उन्होंने कहा कि वर्तमान परिस्थिति में ऑनलाइन क्लासेज सही हैं, क्योंकि इससे छात्रों को पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलती है. लेकिन बहुत अधिक ऑनलाइन कक्षाएं स्वास्थ्य के लिए अच्छी नहीं हैं. कंप्यूटर, लैपटॉप या मोबाइल हैंडसेट के लगातार संपर्क से संभवतः आंख की रोशनी प्रभावित हो सकती है.

हमें कब तक वायरस के डर के साथ जीना होगा? ऐसा कब तक चलेगा? इस सवाल का जवाब देते हुए डॉ सुधा ने कहा कि कोरोना वायरस हमारे साथ रहने वाला है.

उन्होंने कहा कि यह अभी इतनी जल्दी नहीं जाने वाला है. विशेषज्ञों के अनुसार, कोरोना वायरस कुछ वर्षों तक रहेगा. इसके प्रसार और प्रभाव में गिरावट हो सकती है. उन्होंने कहा कि इस साल दिसंबर या अगले साल फरवरी तक दुनियाभर में कोरोना महामारी की तीव्रता में गिरावट आ सकती है.

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