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पीएसए लगने पर भड़कीं महबूबा, चिदंबरम ने बताया लोकतंत्र का 'घटिया' कदम - पीएसए

जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने पीएसए लगने के बाद कहा कि इस सरकार से यही उम्मीद थी. महबूबा ने कहा कि राज्य से अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद यहां पर भारी आर्थिक नुकसान हुआ है. कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने भी पीएसए लगाए जाने की आलोचना की है. पढ़ें पूरी खबर.

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Published : Feb 7, 2020, 7:58 AM IST

Updated : Feb 29, 2020, 11:58 AM IST

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती पर जन सुरक्षा कानून (पीएसए) लगाया गया है. इस कार्रवाई के बाद उन्होंने कहा कि इस निरकुंश शासन से यही उम्मीद थी.कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने कहा कि महबूबा मुफ्ती, उमर अब्दुल्ला पर पीसए लगने से हैरान हूं.

पी चिदंबरम का ट्वीट

एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा कि आरोपों के बिना डिटेंशन एक लोकतंत्र में सबसे खराब घृणा है. जब अन्यायपूर्ण कानून पारित किए जाते हैं या अन्यायपूर्ण कानून लागू किए जाते हैं, तो लोगों के पास शांतिपूर्ण विरोध करने के लिए क्या विकल्प होता है?

पी चिदंबरम का ट्वीट

पी चिदंबरम ने कहा कि पीएम का कहना है कि विरोध प्रदर्शन से अराजकता होगी और संसद और विधानसभाओं द्वारा पारित कानूनों का पालन करना होगा. वह इतिहास और महात्मा गांधी, मार्टिन लूथर किंग और नेल्सन मंडेला के प्रेरक उदाहरणों को भूल गए हैं.

पूर्व मुख्यमंत्री और महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला का छह महीने बाद गुरुवार को नजरबंद खत्म हो रहा था. इसी दिन सरकार ने प्रदेश की सुरक्षा को ध्यान में रखकर इन पर पीएसए लगा दिया है.

महबूबा ने ट्वीट कर कहा कि जम्मू-कश्मीर में दो पूर्व मुख्यमंत्रियों पर कठोर पीएसए लगाना ही इस निरंकुश शासन से उम्मीद है. बता दें कि यह उनका आधिकारिक ट्वीट है, जिसे महबूबा की नजरबंदी के बाद उनकी बेटी इल्तिजा चला रही है.

कर्नाटक की घटना पर उन्होंने लिखा कि यह सरकार नौवर्ष के बच्चे पर देशद्रोह का आरोप लगाती है. सवाल यह है कि हम कितने अधिक समझदार लोगों के लिए काम करेंगे, जो राष्ट्र के लिए खड़े हैं.

गौरतलब है कि दोनों पूर्व मुख्यमंत्री जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद से ही नजरबंद है.

मुफ्ती की बेटी ने कहा कि कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म कर इसे जीने के लिए नरक बना दिया गया है.

उन्होंने कहा कि180 दिन बाद भी हम मौलिक अधिकारों से वंचित रह गए हैं. हमें आर्थिक और मनोवैज्ञानिक संकटों का सामना करना पड़ा है. हाल के अनुमानों के अनुसार, वाणिज्य और उद्योग ने 18,000 करोड़ और गिनती के करीब नुकसान की सूचना दी है.

उन्होंने कहा कि 2014 में आई बाढ़ के कारण जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था को जो नुकसान हुआ, उसका यह आंकड़ा लगभग तीन गुना है. भारत सरकार ने हमारी अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी है.

पढ़ें : जम्मू-कश्मीर : उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती पर लगाया गया पीएसए

उन्होंने एक बयान में कहा कि भारत सरकार का दावा है कि जम्मू-कश्मीर के लोगों की भलाई और आर्थिक समृद्धि के लिए धारा 370 को खत्म कर दिया गया था, लेकिन तथ्य कुछ और ही बताते हैं. विघटन और अराजकता भाजपा के लिए आदर्श हैं, लेकिन यह स्पष्ट है कि कमजोर विचार के निर्णय से बाहर होने के लिए इनके पास कोई रणनीति नहीं है.

Last Updated : Feb 29, 2020, 11:58 AM IST

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