नई दिल्ली : फार्मासिस्ट, जो प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र के 'स्वास्थ्य के सिपाही' नाम से लोकप्रिय हैं, प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना (पीएमबीजेपी) के तहत लॉकडाउन के दौरान मरीजों एवं बुजुर्गों के दरवाजों तक अनिवार्य सेवाएं और दवाएं पहुंचा रहे हैं.
फार्मासिस्ट प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र (पीएमबीजेके) के एक हिस्से के रूप में कार्य कर रहे हैं. वह कोरोना महामारी से लड़ने के लिए देश के आम लोगों एवं बुजुर्गों के दरवाजों तक किफायती दामों पर गुणवत्तापूर्ण जेनरिक दवाएं उपलब्ध कराने के जरिए अनिवार्य सेवाएं उपलब्ध करा रहे हैं. इससे सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने की सरकार की पहल को सहायता मिल रही है.
पीएमबीजेके का संचालन भारत सरकार के रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के फार्मास्यूटिकल विभाग के तहत ब्यूरो ऑफ फार्मा पीएसयू ऑफ इंडिया (बीपीपीआई) द्वारा जरूरतमंद लोगों को गुणवत्तापूर्ण एवं किफायती स्वास्थ्य उपलब्ध कराने के ध्येय से किया जा रहा है. वर्तमान में, देश के 726 जिलों को कवर करते हुए देश भर में 6300 से अधिक पीएमबीजेएके कार्यरत हैं.
कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए, भारत सरकार ने देशभर में 21 दिनों यानी 14अप्रैल तक लॉकडाउन की घोषणा की है. ऐसे समय में, पीएमबीजेके अनिवार्य दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने एवं उन्हें उनके दरवाजों तक वितरित करने में प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं.
सरकार की विज्ञप्ति में 'स्वास्थ्य के सिपाही' ने अपना अनुभव साझा करते हुए एक बुजुर्ग महिला के बारे में बताया, जिसकी सहायता के लिए पीएमबीजेके पहाड़िया को वाराणसी बुलाया गया.