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भारत-चीन तनाव : विदेश मंत्रियों के बीच बनी सहमति ईमानदारी से हो लागू - भारत चीन तनाव

भारत और चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के आस-पास के क्षेत्रों में मौजूदा स्थिति की समीक्षा की. सीमा वार्ता के बाद विदेश मंत्रालय ने बताया कि वार्ता के दौरान दोनों पक्षों ने कहा कि दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच समझौते को ईमानदारी से लागू किया जाना चाहिए.

भारत-चीन को समझौते को ईमानदारी से लागू करना चाहिए
भारत-चीन को समझौते को ईमानदारी से लागू करना चाहिए

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Published : Sep 30, 2020, 7:37 PM IST

Updated : Sep 30, 2020, 9:57 PM IST

नई दिल्ली :भारत और चीन ने बुधवार को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सैनिकों के पीछे हटने के लिए अपनी सेनाओं के वरिष्ठ कमांडरों के बीच एक बैठक आयोजित करने पर सहमति जताई है. दोनों देशों की सेनाएं एलएसी के पास इस साल जून महीने से आमने-सामने हैं. नई दिल्ली और बीजिंग ने बुधवार को भारत-चीन सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए कार्य तंत्र (डब्ल्यूएमसीसी) की अपनी 19वीं बैठक की.

भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव नवीन श्रीवास्तव (पूर्वी एशिया) ने किया. वहीं चीनी पक्ष का नेतृत्व चीनी विदेश मंत्रालय के सीमा और महासागरीय विभाग के महानिदेशक ने किया.

दोनों देशों ने गलतफहमी को टालने के लिए तथा जमीन पर स्थिरता कायम रखने के लिए अंतिम दौर की सैन्य वार्ता में लिये गये फैसलों को क्रियान्वित करने पर जोर दिया. सीमा मामलों पर परामर्श एवं समन्वयन के लिये कार्यकारी तंत्र (डब्ल्यूएमसीसी) के ढांचे के तहत यह डिजिटल वार्ता हुई.

वार्ता के बारे में पूछे जाने पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि दोनों पक्षों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर मौजूदा स्थिति की समीक्षा की और पिछले हफ्ते हुए अपने वरिष्ठ कमांडरों की छठी बैठक के नतीजे का सकारात्मक रूप से आकलन किया.

विदेश मंत्रालय ने बताया कि वार्ता के दौरान दोनों पक्षों ने कहा कि दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच समझौते को ईमानदारी से लागू किया जाना चाहिए.

मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि उन्होंने वरिष्ठ कमांडरों की अंतिम बैठक के बाद जारी संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति में जिक्र किए गए कदमों को लागू करने की जरूरत पर जोर दिया, ताकि गलतफहमी को टाला जा सके और जमीन (सीमा पर) पर स्थिरता कायम रखी जा सके. इस संदर्भ में संचार मजबूत करने पर, खासतौर पर जमीनी कमांडरों के बीच, दोनों पक्षों ने जोर दिया.

दोनों पक्षों के कोर कमांडरों ने 21 सितंबर को करीब 14 घंटे की वार्ता की थी. इसके बाद उन्होंने तनाव घटाने के लिए कुछ फैसलों की घोषणा की थी.

उस फैसले में अग्रिम मोर्चे पर और अधिक सैनिकों को भेजा जाना रोकना, जमीन पर एकतरफा तरीके से स्थिति में बदलाव करने से दूर रहना तथा मुद्दों को और जटिल बना सकने वाली कार्रवाई टालना शामिल था.

विदेश मंत्रालय ने कहा कि बुधवार की वार्ता में दोनों पक्षों ने एलएसी पर मौजूदा स्थिति की समीक्षा की तथा 20 अगस्त को डब्ल्यूएमसीसी की हुई अंतिम बैठक के बाद से हुए घटनाक्रमों पर विस्तृत चर्चा की.

मंत्रालय ने कहा कि उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया कि दोनों विदेश मंत्रियों के बीच बनी सहमति को गंभीरता से लागू किया जाए, ताकि एलएसी से लगे टकराव वाले सभी स्थानों से सैनिकों को पीछे हटाना सुनश्चित हो सके.

भारत और चीन ने 10 सितंबर को मास्को में दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच बनी पांच सूत्री सहमति के क्रियान्वयन के तरीकों पर चर्चा की.

उल्लेखनीय है कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हाल ही में मास्को में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक से अलग अपने चीनी समकक्ष वांग यी के साथ द्विपक्षीय बैठक की थी.

इससे पहले आज, चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा कि वर्तमान में, चीन और भारत सीमा मामलों पर WMCC की 19 वीं बैठक आयोजित कर रहे हैं. जमीन पर लंबित मुद्दों को हल करने और सीमा पर तनाव को कम करने के लिए दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच मास्को में तय की गई पांच-सूत्रीय सहमति को कैसे लागू किया जाए, इस विषय पर चर्चा की जा रही है.

पांच सूत्रीय सहमति.

  • दोनों देशों के बीच संधियों और प्रोटोकॉल का आदर करे चीन
  • आपसी मतभेदों को विवाद न बनने दें
  • एलएसी से पीछे हटे सेना
  • दोनों पक्षों के बीच बातचीत जारी रहनी चाहिए
  • चीन तनाव बढ़ाने वाले कदम न उठाए
Last Updated : Sep 30, 2020, 9:57 PM IST

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