जिनेवा : संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बेशलेट ने भारत में 'मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी और गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) पर विदेशी अनुदान लेने के संबंध में लगाए गए प्रतिबंध पर मंगलवार को चिंता व्यक्त की थी.
बेशलेट ने भारत सरकार से अपील की कि वह 'मानवाधिकार रक्षकों एवं एनजीओ के अधिकारों' और अपने संगठनों की ओर से 'अहम काम करने की उनकी क्षमता की रक्षा करे'.
उन्होंने एक बयान में कहा भारत का मजबूत नागरिक समाज रहा है, जो देश और दुनिया में मानवाधिकारों का समर्थन करने में अग्रणी रहा है, लेकिन मुझे चिंता है कि अस्पष्ट रूप से परिभाषित कानूनों का इस्तेमाल इन (मानवाधिकार की वकालत करने वाली) आवाजों को दबाने के लिए किए जाने की घटनाएं बढ़ रही हैं.
बेशलेट ने खासकर विदेशी अभिदाय विनियमन कानून (एफसीआरए) के इस्तेमाल को चिंताजनक बताया जो जनहित के प्रतिकूल किसी भी गतिविधि के लिए विदेशी आर्थिक मदद लेने पर प्रतिबंध लगाता है.
इस बीच, भारत ने गैर सरकारी संगठनों पर प्रतिबंधों और कार्यकर्ताओं की कथित गिरफ्तारी पर बेशलेट की चिंता पर मंगलवार को तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की और कहा कि मानवाधिकार के बहाने कानून का उल्लंघन माफ नहीं किया जा सकता तथा संयुक्त राष्ट्र इकाई से मामले को लेकर अधिक सुविज्ञ मत की आशा थी.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने यह भी कहा कि भारत लोकतांत्रिक व्यवस्था वाला देश है, जो कानून के शासन और स्वतंत्र न्यायपालिका पर आधारित है.
उन्होंने कहा हमने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त की ओर से विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) से संबंधित मुद्दे पर कुछ टिप्पणियां देखी हैं. भारत कानून के शासन और न्यायपालिका पर आधारित लोकतांत्रिक व्यवस्था वाला देश है.