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राजस्थान की न्यायिक परीक्षा में टॉपर बने 21 वर्ष के मयंक, देखें खास इंटरव्यू

21 वर्षीय मयंक प्रताप सिंह ने आरजेएस भर्ती परीक्षा-2018 में टॉप किया है. उन्होंने ईटीवी भारत के साथ अपने अनुभव साझा किए. मयंक 21 साल की उम्र में जज बनेंगे. जानें पूरा विवरण...

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Published : Nov 22, 2019, 6:25 PM IST

ईटीवी भारत से बात करते मंयक प्रताप सिंह

जयपुर : राजस्थान न्यायिक सेवा (आरजेएस) परीक्षा 2018 का परिणाम आ चुका है. इस परीक्षा में टॉप करने वाले मयंक प्रताप सिंह महज 21 साल के हैं. उन्होंने राजस्थान में पहला स्थान प्राप्त किया है. परिणाम आने के बाद मयंक को सीएम अशोक गहलोत ने भी ट्विटर पर बधाई दी है. उन्होंने ईटीवी भारत के साथ अपने अनुभवों को साझा किया है.

मयंक ने बताया कि तीन चरणों में होने वाली आरजेएस की परीक्षा को हल करने में मेहनत बहुत लगी. साथ ही ये नहीं सोचा था कि पहली रैंक मिलेगी. लेकिन ये जरूर तय हो गया था कि सिलेक्शन हो जाएगा. मयंक ने बताया कि 12वीं कक्षा के बाद से ही कानून की पढ़ाई करने का सोच लिया था. मयंक ने कानून की पढ़ाई राजस्थान यूनिवर्सिटी के फाइव ईयर लॉ कॉलेज से की है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

मयंक की खास बात ये रही है कि वे पहली कक्षा से लेकर कॉलेज की परीक्षा तक में हमेशा पहले स्थान पर रहे हैं. इसी का नतीजा है कि मयंक ने आरजेएस 2018 परीक्षा में भी पहला स्थान प्राप्त किया है. मयंक ने बताया कि लोगों को न्याय दिलाने में न्यायालय का कितना बड़ा हाथ होता है. वहीं मयंक भी शुरू से समाज से जुड़कर लोगों की मदद करते आए हैं. इसलिए मयंक ने आरजेएस को चुना. मयंक ने कहा कि पेंडिंग मामले को हल करेंगे फिर चाहे वो किसी से भी जुड़ा हुआ मामला हो.

कोर्ट केस को जल्द निपटाने का काम करेंगे
कोर्ट के मामलों को निष्कर्ष तक लाने के लिए लंबा समय लग जाता है. इसको लेकर मयंक ने बताया कि सिस्टम के साथ एक जज की जिम्मेदारी भी बनती है कि वो मामले पर तारीख पर तारीख ना देकर जल्दी से लोगों को न्याय दिलाए. उन्होंने कहा कि तारीख तब ही दें जब जरूरत हो. मयंक ने कहा कि मेरी जिम्मेदारी रहेगी कि लोगों को जल्दी न्याय दिलाने की, जिससे गरीब लोगों का नुकसान भी ना हो.

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परिवार का मिला सहयोग
मयंक के माता पिता उदयपुर के सरकारी स्कूल में 26 साल से पोस्टेड हैं. मयंक राजधानी जयपुर के मानसरोवर में अपनी दीदी के साथ रहते हैं. मयंक ने बताया कि पूरे परिवार का सहयोग रहा. माता पिता दूर रहने के बाद भी मुझे हर पल मोटीवेट करते थे. साथ ही दीदी और जीजाजी का भी बहुत सहयोग मिला.

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