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मॉरिशस में पर्यावरणीय आपातकाल की घोषणा की गई

मॉरीशस में पर्यावरणीय आपातकाल की घोषणा की गई है. समुद्र तल में जहाज फंस जाने से कई टन तेल समुद्र में फैलने लगा जिससे वहां के लोगों को और पर्यावरण को खतरा पैदा हो गया है. मॉरिशस ने फ्रांस से मांगी है मदद.

मॉरिशस में पर्यावरणीय आपातकाल की घोषणा
मॉरिशस में पर्यावरणीय आपातकाल की घोषणा

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Published : Aug 8, 2020, 12:45 PM IST

मॉरीशस: मॉरीशस के हिंद महासागर द्वीप में पर्यावरणीय आपातकाल की घोषणा की गई. एक जापानी जहाज के समुद्र तल में फंस जाने के बाद यह घोषणा की गई. बताया जा रहा है कि जहाज से कई टन ईंधन समुद्र में फैल रहा है.

प्रधान मंत्री प्रवीण जुगन्नुथ ने इसे बहुत ही संवेदनशील बताया. उपग्रह से भेजे गए चित्रों में नीला सुमद्र गहरा काला दिखाई दिया जो संकट की तरफ इशारा करता है.

मॉरीशस ने कहा है कि जहाज लगभग 4,000 टन ईंधन ले जा रहा था. जहाज के तल में कई दरारें दिखाई दीं.

मॉरिशस में पर्यावरणीय आपातकाल की घोषणा

जुगनुथ सरकार ने फ्रांस से मदद मांगी है. सरकार का कहना है कि लगभग 1.3 मिलियन लोग इससे प्रभावित हो सकते हैं. इनका जीवन पर्यटन पर बहुत अधिक निर्भर करता है. ये लोग कोरोनोवायरस महामारी की मार पहले से झेल रहे हैं.

उन्होंने कहा कि हमारे पास फंसे हुए जहाजों को निकालने का कौशल और विशेषज्ञता नहीं है, इसलिए राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन से मदद की अपील की गई है. खराब मौसम ने की वजह से हालात और बिगड़ गए हैं. रविवार को जब मौसम और बिगड़ेगा तो क्या होगा इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है.

जुगनुथ ने पोत एमवी वाकाशियो की एक झुकी हुई तस्वीर भी साझा की.

ऑनलाइन जहाज ट्रैकर्स ने दिखाया कि पनामा-ध्वज वाला बल्क कैरियर चीन से ब्राजील जा रहा था.

इस सप्ताह सरकारी बयान में कहा गया कि जहाज 25 जुलाई को समुद्र में डूब गया था और नेशनल कोस्ट गार्ड को मदद के लिए भी संपर्क नहीं किया गया.

इस जहाज के मालिकों के रूप में जापानी कंपनियों ओकिओ मैरीटाइम कॉर्पोरेशन और नागाशिकी शिपिंग कंपनी लिमिटेड के रूप में पहचान की गई है.

एक सरकारी बयान में कहा गया है कि संभावित लापरवाही जैसे मुद्दों पर पुलिस जांच कर रही है.

पर्यावरण समूह ग्रीनपीस अफ्रीका ने कहा है कि कई टन डीजल और तेल अब पानी में मिल रहे हैं.

संगठन ने कहा कि ब्लू बे के प्राचीन लैगून और आसपास की हजारों प्रजातियां खतरे में पड़ गई है जिससे मॉरीशस की अर्थव्यवस्था, खाद्य सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए भी खतरा है.

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