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सुपुर्दे खाक हुए मौलाना कल्बे सादिक, हिंदू-मुस्लिम एकता के थे पक्षधर - वरिष्ठ मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना कल्बे सादिक़

मौलाना कल्बे सादिक के निधन पर सभी प्रमुख लोगों ने शोक प्रकट किया है. जानकार बताते हैं वे हमेशा से हिन्दू-मुसलमान को जोड़ने पर बल देते थे. लखनऊ में गोफरान माब इमामबाड़ा में उनका अंतिम संस्कार किया गया. पढ़ें पूरी खबर...

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पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी के साथ मौलाना कल्बे सादिक़

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Published : Nov 25, 2020, 1:20 PM IST

Updated : Nov 25, 2020, 7:49 PM IST

लखनऊ:हिन्दू-मुस्लिम एकता के अलम्बरदार और शिया-सुन्नी इत्तिहाद की बात करने वाले वरिष्ठ मुस्लिम धर्मगुरु और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष मौलाना कल्बे सादिक अब इस दुनिया में नहीं रहे. डॉक्टर कल्बे सादिक़ ने लम्बी बीमारी के बाद मंगलवार रात इस दुनिया को अलविदा कह दिया. बता दें, लखनऊ गोफरान माब इमामबाड़ा में मौलाना कल्बे सादिक का अंतिम संस्कार में किया गया.

81 साल की उम्र मे हुआ निधन
मौलाना दीन के साथ आधुनिक शिक्षा को बढ़ावा देने वालों में बड़ा नाम माने जाते हैं. मौलाना कल्बे सादिक ने चैरिटेबल ट्रस्ट बनाया और यूनिटी स्कूल, कॉलेज, एरा यूनिवर्सिटी के जरिए छात्रों को शिक्षा के क्षेत्र में हमेशा आगे बढ़ाने की कोशिश की. मौलाना कल्बे सादिक ने 81 वर्ष की उम्र में कई गम्भीर बीमारियों के चलते मंगलवार को अलविदा कह दिया. मौलाना राजधानी लखनऊ के एरा अस्पताल के ICU में एक हफ्ते से भर्ती थे, जहां रात 10 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली. मौलाना के निधन पर राजनीतिक, समाजिक हस्तियों ने उन्हें याद कर श्रद्धांजलि अर्पित की.

हमेशा हिन्दू-मुस्लिम एकता की बात करते थे कल्बे सादिक़

22 जून 1939 को जन्मे कल्बे सादिक़ ने सर्वधर्म समभाव की रीत पर चलते हुए सभी मज़हबों की इज़्ज़त और उनके कार्यक्रमों में शरीक होकर एकता की आवाज बुलंद की. देश के सबसे विवादित मुद्दे राम मंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद पर उन्होंने कहा कि अगर फैसला मुस्लिम पक्ष में भी आ जाये तो वह जगह हिंदुओं को दे देनी चाहिए, जिससे दोनों धर्मों के बीच आपसी सुलह कायम रहे. तीन तलाक पर बन रहे कानून पर जहां AIMPLB विरोध में था, वहीं मौलाना कल्बे सादिक ने तीन तलाक का व्यक्तिगत विरोध किया.

लखनऊ के इमामबाड़े में होंगे सुपुर्दे खाक

एक महीने पहले बता देते थे ईद की तारीख़
अमूमन चांद कमिटियां रमज़ान और ईद की तारीख एक दिन पहले चांद देखकर बताती हैं, लेकिन मौलाना कल्बे सादिक़ एक महीने पहले ही रमज़ान और ईद की तारिख का एलान कर दिया करते थे. मौलाना कल्बे सादिक़ खगोलशास्त्र (एस्ट्रोनॉमी) के ज़रिए चांद निकलने से पहले ही चांद निकलने की घोषणा कर देते थे.

विदेशों में भी हैं मौलाना के चाहने वाले
मौलाना कल्बे सादि वैसे तो अज़ादारी का मरकज़ कहे जाने वाले लखनऊ से ताल्लुक रखते थे, लेकिन वह विदेशों में मजलिस पढ़ाने वाले पहले मौलाना भी थे. वर्ष 1969 में उन्होंने विदेश जा कर पहली बार मोहर्रम के मौके पर मजलिस कराई, जिससे दूसरे मुल्कों में भी उनके चाहने वाले बढ़ते चले गए. मौलाना लंदन, कनाडा, यूएई, ऑस्ट्रेलिया, अमरीका, जर्मनी जैसे तक़रीबन एक दर्जन मुल्कों में जाकर अज़ादारी की और मोहर्रम के मौके पर मजलिसें पढ़ाईं.

पीएम मोदी ने किया ट्वीट

पीएम मोदी ने भी कल्बे सादिक के निधन पर ट्वीट किया है. उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि मैं पीड़ित परिवार के प्रति संवेदना प्रकट करता हूं. उन्होंने सामाजिक सद्भावना, भाईचारे के लिए उल्लेखनीय प्रयास किया है.

मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने जताया शोक

इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया के अध्यक्ष और ऐशबाग ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने इनके निधन पर शोक जताते हुए कहा कि सभी को इनके निधन से दुख पहुंचा है. उन्होंने कहा कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष डॉ. कल्बे सादिक ने एकजुटता के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में उनकी सेवाओं के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा.

पढ़ें:सीनियर कांग्रेस लीडर अहमद पटेल का निधन, एक महीना पहले हुआ था कोरोना

मौलाना कल्बे जवाद ने भी प्रकट किया शोक

प्रसिद्ध शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे सादिक के निधन पर उनके भतीजे और प्रसिद्ध शिया विद्वान मौलाना कल्बे जवाद ने अपने शोक संदेश में कहा कि उनके निधन से हमारे परिवार, शिया समाज के साथ-साथ देश को भी बड़ा नुकसान हुआ है.

Last Updated : Nov 25, 2020, 7:49 PM IST

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