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वैश्विक आतंकी बना मसूद अजहर, PAK में ISI की आंखों का तारा रहा है - pulwama attack

भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक जीत के तहत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद(यूएनएससी) ने बुधवार को पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद(जेईएम) के प्रमुख मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित कर दिया. खास रिपोर्ट में जानें आखिर मसूद क्यों रहा है परेशानी का सबब...

वैश्विक आतंकी मसूद अजहर.

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Published : May 1, 2019, 9:58 PM IST

Updated : May 1, 2019, 11:10 PM IST

नई दिल्ली: जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र द्वारा एक वैश्विक आतंकवादी के रूप में नामित कर दिया गया है. मसूद अजहर को पाकिस्तान की जासूसी एजेंसी आईएसआई का चहेता माना जाता है. इस आतंकी ने 2001 में संसद में बम धमाके और हाल ही में पुलवामा नरसंहार सहित भारत पर कई दुस्साहसिक हमले कराए थे. दोनों देशों को युद्ध के कगार पर इस आतंकी ने धकेल दिया.

वैश्विक आतंकी मसूद अजहर. (सौ. eenadu.net)

दुनिया में आपने आतंकी मनसूबों की वजह से जाना जाने वाला 50 वर्षीय मसूद अजहर ने साल 2000 में जैश-ए-मोहम्मद संगठन बनाया. भारत में होने वाले कई आत्मघाती और फिदाइन हमलों का यह आतंकी मास्टर मांइनड है. इन हमलों को अंजाम देने से पहले संभावित ठिकानों का सर्वेक्षण जैश द्वारा कराया जाता रहा है.

सैयद अकबरुद्दीन का ट्वीट.

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संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 अलकायदा प्रतिबंध समिति के तहत अजहर को नामित करने का प्रस्ताव 27 फरवरी को फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका द्वारा स्थानांतरित किया गया था.

अजहर को वैश्विक आतंकवादी के रूप में सूचीबद्ध करने के लिए पिछले 10 वर्षों में संयुक्त राष्ट्र में यह चौथा प्रयास था.

वैश्विक आतंकी मसूद अजहर. (सौ. eenadu.net)
UNSC के वैश्विक आतंकि घोष्त करने का मकसद आजहर की संपत्ति को फ्रीज करना, उसके घूमने फिरने पर प्रतिबंध लगाना और हथियारों पर प्रतिबंध लगाना है. इस प्रतिबंध का मतलब है कि अजहर की संपत्तियों को संयुक्त राष्ट्र के देशों द्वारा जब्त किया जाएगा और इन देशों में उसकी यात्रा पर पाबंदी होगी.

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बालाकोट में अजहर की आतंकी अकादमी का भारतीय वायुसेना ने 26 फरवरी को ध्वस्त कर दिया था. ये पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद किया गया. इस हमले में सीआरपीएफ के 40 जवानों ने अपनी जान गंवाई थी.

वैश्विक आतंकी मसूद अजहर. (सौ. eenadu.net)

1999 में अपहृत इंडियन एयरलाइंस के विमान के यात्रियों के बदले में अजहर को छोड़ा गया था. इसी रिहाई के दो दशक बाद भी अजहर पाकिस्तान की बाहरी स्नूपिंग एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) का प्रिय बना हुआ है.

31 दिसंबर, 1999 को भारत द्वारा अजहर की रिहाई के बाद, पाकिस्तान में जेहादी हलकों में उनका नया अधिगृहीत कद ISI के लिए काम आया. अजहर के नेतृत्व को स्वीकार करने के लिए कराची के बिनोरी मस्जिद में मौलवियों को मना लिया और इस तरह, 31 जनवरी, 2000 को जैश-ए-मोहम्मद पैदा हुआ था.

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अधिकारियों की माने तो आत्मघाती हमलावरों के निर्माता के रूप में दुनिया में जाना जाने वाला अजहर जब भारतीय सेना की गिरफ्त में था तब भी उसकी बातों को जान पाना या उसका कोई भेद खोलना लोहे के चने चबाने जैसा ही था.

एक पूर्व पुलिस अधिकारी, जिसने अजहर के 1994 में गिरफ्त में आने के बाद मामले की तफतीश की थी, उसने बताया की सेना के जवान के पहले ही थपड़ के बाद वह हिल गया था. वे आगे कहते हैं कि उसे न केवल उसकी गतिविधियों का विवरण देने के लिए उकसाया, बल्कि पाकिस्तान से संचालित अन्य आतंकी समूहों के बारे में भी बताने को कहा.

फरवरी 1994 में बांग्लादेश के माध्यम से पुर्तगाली पासपोर्ट पर भारत में प्रवेश करने के बाद अजहर को दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग में गिरफ्तार किया गया था. यह एक मौका की बात थी. सज्जाद अफगानी के साथ वह एक ऑटो में यात्रा कर रहे था, जब इसे खानबल में सेना द्वारा रोका गया.

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सिक्किम पुलिस के पूर्व महानिदेशक अविनाश मोहनन्ने, जिन्होंने अपने इंटेलिजेंस ब्यूरो में दो दशक के कार्यकाल के दौरान अजहर से कई बार पूछताछ की, उन्होंने कुछ अहम बाते बताई. उन्होंने कहा कि दोनों ने ऑटोरिक्शा से भागते हुए सेना के जवानों को नाबूद करने के लिए प्रेरित किया. सेना के जवान सज्जाद अफगानी के मिलने से काफी खुश थे और उन्हे अजहर के बारे में काफी कम जानकारी थी.

पाकिस्तान के भवालपुर के एक सेवानिवृत्त स्कूल के प्रधानाध्यापक का बेटा, अज़हर को हमेशा लगता था कि भारत में उसकी हिरासत कम ही दिनों की होगी और उसकी रिहाई के लिए प्रयास किए जाएंगे.

ये हुआ भी, रिहाई के लिए प्रयास किए गए. पहला प्रयास कैद के 10 महीने बाद ही किया गया. इस बार कुछ अंग्रेजों को अगवा किया गया और उनकी रिहाई के बदले अजहर की रिहाई की बात रखी गई, लेकिन ये प्लान फेल हो गया. उत्तर प्रदेश और दिल्ली पुलिस के संयुक्त प्रयास से अगवा हुए लोगों को छुड़ा लिया गया. इन लोगों को सहारनपुर में कैद किया गया था.

सहारनपुर की छापेमारी के दौरान. पुलिस ने एक अन्य आतंकवादी, उमर शेख को गिरफ्तार कर लिया, जो अंततः 1999 अपहृत उड़ान IC814 के यात्रियों के बदले अजहर के साथ रिहा हो गया. पाकिस्तान में वॉल स्ट्रीट जर्नल के रिपोर्टर डैनियल पर्ल के सिर काटने के बाद शेख का भी नाम दुनिया के बड़े आतंकियों में दर्ज हो गया.

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अजहर को रिहा करने का एक और प्रयास हरकत-उल-अंसार के एक समूह अल-फरान द्वारा किया गया था. इसने जुलाई 1995 में कश्मीर में अपहृत पांच विदेशियों के बदले में अजहर की रिहाई की मांग की थी.

अजहर को भागने के लिए 1999 में कोट बलवाल जेल में एक सुरंग खोदी गई थी, लेकिन अजहर अपनी असामान्य शारीरिक संरचना के कारण बाहर नहीं जा सका था. वह अधिक वजन का था और उसका पेट बड़ा था जो सुरंग के माध्यम से निकलने के लिए बहुत बड़ा था. हालांकि, इस प्रक्रिया में सज्जाद अफगानी को मार दिया गया था.

अंतत: अजहर को 1999 में बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार ने अपहृत उड़ान आईसी -814 के यात्रियों के बदले में छोड़ दिया इसके साथ ही उमर शेख और मुश्ताक अहमद जरगर उर्फ ​​'लाटराम' को भी रिहा कर दिया गया.

बता दें, काठमांडू-नई दिल्ली हवाई जहाज को हाईजैक कर के अफगानिस्तान के कानडाहार ले जाया गया था. इसको अजहर के लोगों ने अंजाम दिया था.

अपहर्ताओं के साथ वार्ता विफल होने के बाद सरकार ने उनकी मांगों को मान लिया और तत्कालीन विदेश मंत्री जसवंत सिंह ने अपहृत विमान के यात्रियों की सुरक्षित रिहाई सुनिश्चित करने के लिए तीन आतंकवादियों को एक विशेष विमान में कंधार ले गए.

इस प्रकार जम्मू और कश्मीर और शेष भारत में आतंक का एक नया अध्याय शुरू हुआ.

1999 में रिहाई के बाद अजहर ने जैश-ए-मोहम्मद की नीव रखी और इसके बाद से ही भारत में कई बड़े आतंकी हमले हुए.

जैश-ए-मोहम्मद ने 2000 में आत्मघाती कार बम हमले को अंजाम देकर कश्मीर घाटी में आतंक की शुरूआत की घोषणा कर दी. इस हमले में दो सेना के जवान मारे गए. श्रीनगर के बादामीबाग छावनी आर्मी मुख्यालय के गेट पर इस घटना को अंजाम दिया गया. इस वक्त 15 सेना के जवान मौजूद थे.

इसके बाद, अजहर का नाम संसद, पठानकोट वायु सेना अड्डे, जम्मू और उरी में सेना के शिविरों और पुलवामा में सीआरपीएफ पर नवीनतम आत्मघाती हमले में सामने आया. पुलवामा हमले में 40 सीआरपीएफ के जवानों की जाने चली गईं.

बता दें, संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने ट्वीट किया, 'छोटे, बड़े सभी एक साथ आ गए, मसूद अजहर संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंधित सूची में एक आतंकवादी के रूप में घोषित. सभी के समर्थन के लिए हम आभारी हैं.'

विदेश मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि आतंकी गुट जैश-ए-मोहम्मद सरगना मसूद अजहर के खिलाफ कार्रवाई भारत के रुख के अनुसार हुआ है.

मंत्रालय ने कहा कि भारत द्वारा सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध समिति के सदस्यों के साथ साझा की गई सूचनाओं के आधार पर ही यह कार्रवाई की गई है.

उल्लेखनीय है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने अजहर मसूद को बुधवार को वैश्वित आतंकवादियों की सूची में शामिल कर दिया.

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने ट्वीट किया, 'मसूद अजहर संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंधित सूची में एक आतंकवादी के रूप में घोषित.'

(पीटीआई इनपुट)

Last Updated : May 1, 2019, 11:10 PM IST

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