दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

मराठा आरक्षण को लेकर राज्य सरकार के खिलाफ निकाला मशाल मार्च

मराठा समुदाय आरक्षण को लेकर काफी उग्र है. जिला प्रशासन ने मातोश्री के बाहर मशाल जुलूस की अनुमति नहीं दी. वहीं, मराठा नेता विनायक मेटे ने कहा कि हम मराठा आरक्षण को लेकर अगले आंदोलन की तैयारी में जुट गए हैं.

maratha community protests against state govt in mumba
मराठा आरक्षण को लेकर निकाला जुलूस

By

Published : Nov 7, 2020, 10:34 PM IST

मुंबई/पंढरपुर:साकल मराठा समाज की ओर से मराठा क्रांति मोर्चा ने बांद्रा में जिला कलेक्टर कार्यालय में एक मशाल मार्च निकाला. इस मशाल मार्च में मराठा नेता विनायक मेटे समेत कई नेताओं ने भाग लिया. इस मशाल मार्च में मराठा समुदाय के लोगों ने बड़ी संख्या में भाग लिया. शनिवार सुबह से ही पंढरपुर में मराठा आक्रोश मार्च भी निकाला गया. पंढरपुर में मशाल मार्च में भाग लेने वाले सभी कार्यकर्ताओं को शहर के बाहर जाने की अनुमति नहीं दी गई थी. बता दें, केवल 8 से 10 मजदूरों को ही मुंबई की ओर जाने दिया गया. हालात को देखते हुए उनके साथ एक पुलिस एस्कॉर्ट भी लगा हुआ था. यह मोर्चा पुणे में रोका गया.

मराठा समुदाय में काफी असंतोष

मराठा आरक्षण के स्थगन ने मराठा समुदाय में इसको लेकर काफी अशांति पैदा कर दी है. समाज में यह गुस्सा विभिन्न आंदोलनों और बैठकों के माध्यम से व्यक्त किया जा रहा है. राज्य सरकार के कुछ फैसलों, जैसे MPSC परीक्षा लेने की जिद, भर्ती करने के निर्णय ने मराठा समुदाय के असंतोष का कारण है. आरक्षण को खत्म करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद, सरकार से आशा की गई थी कि वह मराठा छात्रों और युवाओं को किसी भी तरह की हानि से बचने के लिए जिम्मेदार और त्वरित कार्रवाई करेगी. स्टे उठाने और सुप्रीम कोर्ट में बेंच बनाने के लिए अर्जी देना भी जरूरी था, लेकिन इन सभी मोर्चों पर यह महाविकास अगड़ी सरकार विफल रही. मंत्री अशोक चव्हाण की अध्यक्षता वाली उपसमिति न केवल सही निर्णय लेने में विफल रही है, बल्कि आंदोलनकारी यह भी आरोप लगा रहे हैं कि अशोक चव्हाण स्वयं भ्रमित हैं.

मातोश्री के बाहर नहीं मिली मशाल मार्च की परमीशन

इस पृष्ठभूमि के खिलाफ मुंबई में एक मराठा मशाल मोर्चा आयोजित किया गया था. प्रारंभ में बांद्रा में जिला कलेक्टर कार्यालय को छोड़कर मातोश्री के बाहर यह मशाल जुलूस निकाला गया. हालांकि, उन्हें मातोश्री जाने की अनुमति नहीं दी गई. इस वजह से विरोध प्रदर्शन बांद्रा जिला कलेक्टर कार्यालय के बाहर किया गया था. इस मशाल जुलूस में कई मराठा कार्यकर्ताओं ने भाग लिया था. मराठा नेता विनायक मेटे ने कहा कि पुलिस के माध्यम से दमन किया जा रहा था. मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को दिवंगत बालासाहेब द्वारा निर्धारित परंपरा को जारी रखना चाहिए. मराठा समुदाय को आरक्षण देकर जन कल्याण के काम किए जाने चाहिए. मराठा नेताओं के कारण मराठा समुदाय को न्याय नहीं मिला. इसलिए मराठा समुदाय को सड़कों पर उतरना पड़ा और आंदोलन करना पड़ा.

पंढरपुर से शुरू हुआ मशाल मार्च पुणे में रुका

मराठा आरक्षण की पृष्ठभूमि के खिलाफ मराठा क्रांति मोर्चा की ओर से पंढरपुर से मंत्रालय तक आंदोलन शनिवार सुबह पंढरपुर से शुरू हुआ. प्रशासन द्वारा पंढरपुर में कर्फ्यू लगाने के बावजूद केवल कुछ मराठा कार्यकर्ताओं ने ही मोर्चा शुरू किया. आदेश को धता बताते हुए नामदेव को नमन किया. इस समय राज्य सरकार को मराठा आरक्षण देने और अन्य मांगों को स्वीकार करने के लिए साकडे विठ्ठला को कहा गया था. संपूर्ण मराठा समुदाय की ओर से आयोजित यह मार्च विठ्ठल मंदिर के सामने पंढरपुर शहर के पुलिस स्टेशन में नामदेव के कदम से था. उसके बाद, मुंबई से मराठा भाई दस गाड़ियों में सवार होकर मुख्य सचिव के साथ बैठक के लिए निकले. उसके बाद मशाल मोर्चा को रोक दिया गया.

पढ़ें:अभी भी नहीं चेते तो परिणाम होंगे विनाशकारी

ABOUT THE AUTHOR

...view details