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उत्तराखंड : कांजी हाउस में एक माह में 105 गायों की मौत, 'राष्ट्रमाता' का दर्जा देने वाली त्रिवेंद्र सरकार बेखबर - देहरादून समाचार

गाय को राष्ट्रमाता घोषित करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बना है. इसके बावजूद प्रदेश में गायों की स्थिति सुधरने की बजाए दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही.

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Published : Jul 31, 2019, 7:35 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सरकार का गाय प्रेम किसी से छिपा नहीं है. यही कारण है कि उत्तराखंड विधानसभा में पिछले साल सितंबर में गाय को 'राष्ट्रमाता' का दर्जा देने वाला प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया था. इस प्रस्ताव के पास होने के बाद राज्य सरकार और पशुपालन मंत्री रेखा आर्य ने खूब वाहवाही बटोरी थी. लेकिन ताज्जूब की बात ये है कि उसी विधानसभा से महज 2 किलोमीटर की दूरी पर केदारपुरम में स्थित कांजी हाउस में जुलाई महीन में 105 गायों की मौत हो गई और सरकार को इसकी खबर तक नहीं है.

उत्तराखंड सरकार गौ संरक्षण एवं सवंर्धन की बड़ी-बड़ी बातें तो लगातार कर रही है, लेकिन कांजी हाउस में बंद गायों की हालत इतनी बद्दतर हो गई है कि देख-रेख के अभाव में लगातार इनकी मौत हो रही है. कांजी हाउस में बंद गायों की दुर्दशा देखकर आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां किस तरह से गायों का रख-रखाव किया जा रहा है. देहरादून के केदारपुरम में बने कांजी हाउस की हालत इतनी बदतर है कि मरी हुई गायों को कौए खा रहे हैं. बाकी जो गाय हैं वो मरणासन्न हालत में हैं.

कांजी हाउस में 100 से ज्यादा गायों की मौत

कांजी हाउस में गायों को स्थिति देखकर किसी को भी दया आ जाए. जिन गायों की सेवा के लिए डॉक्टर और कर्मचारियों को तैनात किया गया है कि वो तिल-तिल कर दम तोड़ रही हैं. इस वक्त कांजी हाउस में 435 गाय मौजूद हैं. जिनके खाने पीने का इंतजाम करने के अलावा अन्य सुविधा मुहैया कराने का जिम्मा पशु विभाग के पास है.

कांजी हाउस में गायों को स्थिति को लेकर जब ईटीवी भारत ने मौके पर पहुंचकर वहां काम कर रहे कर्मचारियों से बात करनी चाही तो कोई भी कैमरे पर आने को तैयार नहीं हुआ. हालांकि एक कर्मचारी ने बात जरुर की लेकिन उसने ज्यादा कुछ नहीं बताया.

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ऐसे में राज्य सरकार पर सवाल खड़े होने लाजमी हैं कि जिस प्रदेश की सरकार गाय को राष्ट्रमाता का दर्जा दिलाने के लिए विधानसभा में प्रस्ताव पास कराती है, उसी त्रिवेंद्र सरकार के कार्यकाल में गाय दम तोड़ रहीं और सरकार बेखबर है. यहां एक सवाल और महत्वपूर्ण है कि राज्य में गायों की देखभाल के लिए जगह-जगह देखे जाने वाले 'गोरक्षकों' की निगाह बीमारी और भुखमरी की शिकार इन गायों पर क्यों नहीं पड़ती?

1 जुलाई से 31 जुलाई तक कुल 105 गायों की हुई मौत

  • 1 जुलाई -3
  • 3 जुलाई -3
  • 4 जुलाई -4
  • 5 जुलाई -1
  • 7 जुलाई- 3
  • 8 जुलाई -5
  • 10 जुलाई -10
  • 11 जुलाई -2
  • 12 जुलाई -2
  • 15 जुलाई -5
  • 16 जुलाई -1
  • 17 जुलाई -3
  • 18 जुलाई -2
  • 19 जुलाई- 6
  • 20 जुलाई -4
  • 21 जुलाई -4
  • 22 जुलाई -4
  • 23 जुलाई -6
  • 24 जुलाई -6
  • 25 जुलाई -2
  • 26 जुलाई -7
  • 27 जुलाई -5
  • 28 जुलाई -3
  • 29 जुलाई -1
  • 30 जुलाई -9
  • 31 जुलाई -4

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