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मोक्ष नगरी है बिहार का गया, एक अनोखे स्कूल में 45 सालों से मिल रही कर्मकांड की शिक्षा - कर्मकांड की शिक्षा

बिहार के गया में मंत्रालय वैदिक पाठशाला पिछले 45 साल से संचालित की जा रही है. इसके संस्थापक रामचार्य ने बताया कि उनके पाठशाला चलाने का मकसद है कि बच्चे अच्छे से वैदिक मंत्र सीख लें और शुद्ध मंत्रोच्चारण के साथ पूजा पाठ कराएं. जानें पूरा विवरण

कर्मकांड सीखते बच्चे

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Published : Sep 14, 2019, 12:06 AM IST

Updated : Sep 30, 2019, 1:06 PM IST

गया: बीते 12 सितंबर से पितृपक्ष मेला की शुरुआत हो चुकी है. शुक्रवार को पहला पिंडदान किया गया. गया जी नगरी का अपना अनूठा महत्व है. केवल देश ही नहीं बल्कि विदेश के भी लोग यहां अपने पितरों के तर्पण के लिए आते हैं.

मोक्षदायिनी के तट पर एक ऐसी पाठशाला भी है जहां बच्चों को कर्मकांड की शिक्षा दी जाती है. इस पाठशाला में कर्मकांड के साथ-साथ ज्योतिषाचार्य और अन्य पूजा की विधियां सिखाई जाती है. यहां हर जाति-पंथ के लोगों को निःशुल्क ज्ञान दिया जाता है. गौरतलब है कि इस पाठशाला को कर्मकांड में इतनी ख्याति हासिल है कि यहां विदेश से भी लोग शिक्षा लेने आते हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

नन्हें मासूम करते हैं फर्राटेदार मंत्रोच्चारण
आजकल जहां ज्यादातर बच्चे सोशल मीडिया, कार्टून और गेम के पीछे दीवाने रहते हैं वहीं, गया के बच्चे स्कूल की पढ़ाई के बाद शाम में कर्मकांड की सीख लेने जाते हैं. विष्णुपद की ओर से कमाख्या मंदिर के पास बने मंत्रालय वैदिक पाठशाला में कर्मकांड की शिक्षा दी जाती है. इस स्कूल में हर उम्र में बच्चे शिक्षा लेते दिखते हैं. छोटे-छोटे बच्चों को संस्कृति के भारी-भरकम श्लोक और मंत्र मुंह जबानी याद हैं. उनका फर्राटेदार मंत्रोच्चारण किसी को भी चौंका देता है.

कर्मकांड सीखने वाले बच्चे

45 साल पहले पंडित रामचार्य ने की स्थापना
मोक्ष के नगरी गया जी में देश -विदेश के श्रदालु अपने पितरों को मोक्ष दिलाने के लिए पिंडदान करवाने आते हैं. पिंडदान में कर्मकांड विधि-विधान से, सही उच्चारण और उत्तम भाव से हो इस उद्देश्य लगभग 45 वर्ष पहले वैदिक मंत्रालय पाठशाला का स्थापना पंडित रामचार्य ने की थी. मूलतः दक्षिण प्रदेश के रहनेवाले रामचार्य जी कई भाषाओं के ज्ञानी हैं. साथ ही कर्मकांड और ज्योतिषचार्य में उन्होंने महारत हासिल है.

कर्मकांड की शिक्षा देने वाले आचार्य

बच्चों को स्वावलंबी बनाना है उद्देश्य- संस्थापक रामचार्य
मंत्रालय वैदिक पाठशाला के संस्थापक रामचार्य ने बताया कि वह यहां पर 45 साल से वैदिक पाठशाला चला रहे हैं. उनका मकसद है कि हर जाति के बच्चे अच्छे से वैदिक मंत्र सीख लें और शुद्ध मंत्रोच्चारण के साथ अच्छे से पूजा पाठ करा सकें. पंडा समाज और ब्राह्मण जाति के अलावे यहां अन्य जाति के बच्चे भी कर्मकांड के पढ़ाई करने आते हैं. इस युग में सभी को नौकरी नहीं मिल रही है. लेकिन, कर्मकांड, सनातन धर्म का पूजा विधि सीखने से जीवनयापन हो सकता है.

कर्मकांड के दौरान स्कूल में बच्चे

बच्चों में दिखा कर्मकांड के प्रति रुझान
पाठशाला में मौजूद बच्चों ने बताया कि सभी अपने-अपने स्कूल में पढ़ाई करते हैं. शाम में संध्या आरती के बाद वैदिक मंत्रालय पाठशाला में कर्मकांड, ज्योतिषाचार्य का पढ़ाई करने आते हैं. यहां सनातन धर्म से जुड़ी सभी विधि विधान का शिक्षा दी जाती है. गया जी में पिंडदान होता है इसलिए यहां कर्मकांड की भी पढ़ाई कराई जाती है.

900 से अधिक लोगों ने ली है कर्मकांड की शिक्षा
स्कूल के गुरुजी राजाचार्य ने बताया कि बीते चार दशकों से ज्यादा से मंत्रालय वैदिक पाठशाला चल रहा है. यहां से अब तक 900 से अधिक लोगों ने शिक्षा ग्रहण किया है. जिसमें विदेशी मूल के लोग भी शामिल हैं. गया जी में अभी जितने पंडा और ब्राह्मण पिंडदान करवा रहे हैं, उसमें से 40 फीसदी यही के छात्र हैं. पाठशाला ही छात्रों के समयानुसार पुस्तक और अन्य सामग्री देता है. बता दें कि कर्मकांड सीखने में लगभग 3 साल का समय लगता है.

Last Updated : Sep 30, 2019, 1:06 PM IST

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