नई दिल्ली : सुप्रसिद्ध गायक व केंद्रीय पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन राज्यमंत्री बाबुल सुप्रियो ने ईटीवी की वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना के साथ खास साक्षात्कार में कहा कि बंगाल की सरकार का 2021 में जाना तय है. 2021 में बीजेपी एक बढ़िया सरकार देगी, जिस सरकार को बंगाल की जनता खुद चुनेगी. ममता बनर्जी चाहे कितने भी डर का माहौल व्याप्त करें, लेकिन 2021 में उनकी सरकार का जाना तय है. प्रस्तुत है साक्षात्कार के प्रमुख अंश.
बाबुल सुप्रियो का साक्षात्कार सवाल-जैसे-जैसे पश्चिम बंगाल का चुनाव नजदीक आ रहा है, तमाम राजनीतिक पार्टियां और ज्यादा आक्रामक होती जा रही हैं. क्या लगता है कि आने वाले दिनों में पश्चिम बंगाल में लोगों को और भी चुनावी हिंसा झेलनी पड़ेगी?
बाबुल सुप्रियो- बीजेपी आक्रामक नहीं है. बीजेपी हमेशा से सबका साथ और सबका विकास की परिभाषा को लेकर ही पूरे देश में और पश्चिम बंगाल में भी आगे बढ़ रही है. मगर पश्चिम बंगाल की चुनी हुई ममता बनर्जी की सरकार, जिसने शुरुआत तो की थी मां, माटी, मानुष जैसे स्लोगन को लेकर, लेकिन यह मां, माटी, मानुष का स्लोगन सीधे-सीधे झूठा साबित हुआ. पिछले 10 साल में अगर देखा जाए, तो ममता बनर्जी ने बंगाल को क्या दिया है? ममता बनर्जी ने बंगाल को राजनीतिक और प्रायोजित हिंसा में धकेल दिया है. 10 साल में अगर देखा जाए तो खुद दीदी जनता को दिखाने के लिए हवाई चप्पल में घूमती हैं और उनके नजदीकी और साथ रहने वाले लोग और आस-पास के लोग बड़ी-बड़ी गाड़ी में घूमते हैं. ममता बनर्जी ने बंगाल की जनता का विकास करने की बजाय सिर्फ अपने नाते-रिश्तेदारों का ही विकास किया है.
सवाल-भारतीय जनता पार्टी हमेशा से आरोप लगाती रही है कि बंगाल में भाजपा के कार्यकर्ताओं और नेताओं की हत्या के पीछे टीएमसी का हाथ है. ऐसा क्यों?
बाबुल सुप्रियो- यह कोई भारतीय जनता पार्टी का आरोप नहीं है, बल्कि यह सच्चाई है. बंगाल में पॉलिटिकल किलिंग बहुत ज्यादा बढ़ गई है. हर 10 सेकंड में हत्या की जा रही है. बंगाल में गवर्नेंस और डेमोक्रेसी के नाम पर कुछ नहीं रह गया है. चुनाव सभी जगह होते हैं, लेकिन जब हिंसा की बात आती है तो सिर्फ बंगाल में हिंसा क्यों होती है? यहां पर सरकार द्वारा प्रायोजित हिंसा बहुत ज्यादा बढ़ चुकी है. बंगाल की सरकार का 2021 में जाना तय है. 2021 में बीजेपी एक बढ़िया सरकार देगी, जिस सरकार को बंगाल की जनता खुद चुनेगी. ममता बनर्जी चाहे कितने भी डर का माहौल व्याप्त करें, लेकिन 2021 में उनकी सरकार का जाना तय है.
सवाल-पश्चिम बंगाल के गवर्नर जगदीप धनखड़ ने अमित शाह से मुलाकात कर यह आरोप लगाया कि बंगाल में कानून का शासन नहीं रह गया है. उन्होंने यहां तक आरोप लगाया कि गवर्नर हाउस को भी सर्विलांस में रखा गया है. ऐसे में भारतीय जनता पार्टी जो लक्ष्य लेकर चल रही है, उसे कैसे पूरा करेगी?
बाबुल सुप्रियो-एक राज्य का संवैधानिक प्रधान यह आरोप लगा रहा है तो उससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि उस राज्य में गवर्नेंस और डेमोक्रेसी कैसी होगी? पॉलिटिकल किलिंग हो रही है. राज्यपाल की बातें नहीं सुनी जाती हैं. डेमोक्रेसी में ऐसा कभी नहीं होता. संविधान निर्माताओं ने भी ऐसा नहीं सोचा होगा कि आने वाले भविष्य में कोई ऐसा मुख्यमंत्री आएगा, जो संविधान की भी धज्जियां उड़ाकर रख देगा. आयुष्मान भारत के फंड को रोक देना, लोगों के खाते में जनधन के पैसे नहीं जाने देना, यह सब क्या है? मैं यह चाहता हूं कि ममता बनर्जी को भगवान लंबी उम्र दे, मगर उनकी राजनीतिक उम्र 2021 के बाद खत्म होने वाली है.
सवाल-जिस तरह से बंगाल में राजनीतिक हिंसा हो रही है, क्या ऐसा लगता नहीं कि वहां के कार्यकर्ताओं का मनोबल गिर रहा है?
बाबुल सुप्रियो-मैं यह दावे के साथ कह सकता हूं कि आने वाले दिनों में चुनाव आयोग यह निश्चित करेगा कि व्यक्ति अपनी इच्छा से वोट कर पाए. जहां तक बात पॉलिटिकल किलिंग की है, तो पॉलिटिकल किलिंग मात्र आरोप नहीं, बल्कि सच्चाई है. बंगाल को ममता बनर्जी ने बम की फैक्ट्री बना दिया है. पश्चिम बंगाल में जिस तरह से लेफ्ट पार्टियों ने रोहिंग्या को और बांग्लादेशियों को राशन कार्ड देकर अपना वोट बैंक बनाया था, उसी को और आगे बढ़ाने का काम बहुत ही खतरनाक तरीके से टीएमसी ने किया है. एक समय ऐसा था, जब इसी ममता बनर्जी ने संसद में यह कहा था कि बांग्लादेशी बंगाल के लिए खतरा हैं, लेकिन आज वह उन्हीं को वोट बैंक के रूप में कन्वर्ट कर रही हैं.
सवाल-टीएमसी आरोप लगाती है कि पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी लोगों को बांटने की कोशिश कर रही है?
बाबुल सुप्रियो-ममता बनर्जी मुख्यमंत्री के तौर पर बंगाल में काम नहीं कर रही हैं. वह सरकार की प्रेस कॉन्फ्रेंस भी करती हैं तो तृणमूल की नेत्री की तरह. बंगाल के विकास के बारे में कभी नहीं सोचा. ममता बनर्जी ने बंगाल में दहशत फैलाने का काम किया है. हमारे कार्यकर्ता लड़ रहे हैं. मुझे भी कई बार धमकी मिली है, मगर ऐसी धमकियों से लोग डरते नहीं हैं. तृणमूल का कार्यकर्ता भी टीएमसी का झंडा लेकर आएगा और मतदान केंद्र में बीजेपी को वोट देकर जाएगा.
सवाल-पश्चिम बंगाल में हमने देखा कि कोरोना पर भी लाशों की राजनीति की गई. यहां तक कि ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार को ही महामारी बता दिया. क्या कहेंगे?
बाबुल सुप्रियो-ममता बनर्जी की बातों का कोई मतलब नहीं है. कोरोना वायरस के दौरान उनके मंत्री पर गरीबों के चावल चोरी करने तक का आरोप लगा. जहां तक बात पीएम के ऊपर ममता की टिप्पणियों को लेकर है, मेरी यह सलाह है कि मीडिया भी ममता के शब्दों को मीडिया में न दोहराए. कभी संविधान बनाने वालों ने भी यह नहीं सोचा होगा कि कोई ऐसा मुख्यमंत्री भी आएगा, जो ऐसी भाषा बोलेगा. कोरोना काल में मेरे खुद के चाचा की लाश 36 घंटे तक पड़ी रही. न एंबुलेंस मुहैया कराया गया और न ही इलेक्ट्रिक क्रीमेशन उपलब्ध कराया गया. यहां तक की ममता की सरकार में डेड बॉडी की लाइन में भी कट मनी चलती है.
सवाल-बीजेपी ने ममता के खिलाफ बंगाल में मुख्यमंत्री का कोई चेहरा नहीं दिया और अभी हाल में दुर्गा पूजा के दौरान जब प्रधानमंत्री बंगाल की जनता को संबोधित कर रहे थे, तो उन्होंने आपको साथ में लिया था. क्या हम यह मानकर चलें कि भविष्य में मुख्यमंत्री का चेहरा भी आप हो सकते हैं?
बाबुल सुप्रियो-नहीं. मैं ऐसा नहीं समझता हूं. ज्यादातर राज्य में बिना चेहरे की लड़ाई भाजपा लड़ती है.
सवाल-दिल्ली और आस-पास के राज्यों में प्रदूषण को लेकर भी काफी राजनीति हो रही है. आप पर्यावरण राज्य मंत्री भी हैं. क्या लगता नहीं कि केंद्र सरकार को जरूरत है प्रदूषण के ऊपर कोई बड़े कदम उठाए जाने की?
बाबुल सुप्रियो- अगर आप ध्यान से देखें पराली अकेला सिर्फ प्रदूषण का कारण नहीं है. 2015 में नरेंद्र मोदी सरकार ने पहली बार एयर इंडेक्स की घोषणा की थी. पराली को रोकने के लिए केंद्र ने नई मशीनरी लगाई है. पराली की समस्या रातों-रात नहीं आई है. यह पहले भी थी. यह समस्या रातों-रात नहीं जाएगी और सिर्फ सरकार पर आरोप-प्रत्यारोप करने से यह समस्या दूर नहीं होगी. मैं यह दावे के साथ कहता हूं कि भारत उन चंद जगहों में है, जहां बड़ी संख्या में हाईवे पर और शहर में पौधे लगाए जा रहे हैं. पब्लिक ट्रांसपोर्ट में बड़ी सब्सिडी दी जा रही है. मेट्रो सेवा और सीएनजी बसें केंद्र की तरफ से बड़ी संख्या में चलाई जा रही हैं. यहां तक कि पराली जलाने वालों पर एक करोड़ तक का फाइन और जेल तक की सजा का प्रावधान किया गया है. मैं केजरीवाल के आरोप प्रत्यारोप में नहीं जाना चाहता. दिल्ली सरकार पराली और प्रदूषण की समस्या पर केंद्र सरकार के साथ मिलकर काम करे. लोगों से भी मैं अपील करूंगा कि दिवाली में इस तरह के पटाखे जलाएं, जो ज्यादा प्रदूषण वाले न हों.