हैदराबाद : कोरोना के बीच बारिश के समय मलेरिया का खतरा बढ़ता जा रहा हैं. मलेरिया बरसात में होने वाली आम लेकिन गंभीर संक्रामक बीमारी है, जो जलजमाव से पैदा होने वाले मच्छरों के काटने से होती है. यह रोग मादा ऐनोफिलिज मच्छर के काटने से फैलता है.
मलेरिया का कारण और उपचार
- मलेरिया मादा एनोफिलिज मच्छरों के काटने से फैलता है. प्लासमोडियम नामक पैरासाइट आपके ब्लड में पहुंच जाता है और शरीर की लाल रक्त कोशिकाओं को नष्ट करने लगता है.
- यह एक तीव्र ज्वर की बीमारी है जिनके लक्षणों में तेज बुखार, सिरदर्द और ठंड लगना शामिल हैं.
- जब जलवायु की स्थिति मच्छरों के फेवर में होती है तब, मच्छरों से होने वाली यह महामारी फैलती है. इस समय मानव में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है और इसके संक्रमण की संभावना अधिक होती है.
- विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार कीटनाशक का छिड़काव घरों के पास साफ-सफाई, मच्छरदानी का प्रयोग प्रभावी निवारक साधनों के रूप में किया गया है.
- यदि मलेरिया का टेस्ट किया जाता है, तो इस समय सबसे अच्छा उपलब्ध उपचार एसीटी (आर्टेमिसिनिन-आधारित संयोजन) चिकित्सा है.
भारत में मलेरिया
भारतीय लोग मलेरिया को लेकर अधिक सकारात्मक रहें है लेकिन निरंतर सतर्कता और प्रतिबद्ध कार्रवाई के लिए कहता है. भारत में मलेरिया से होने वाली मौतों में 2016 से 2019 की तुलना में कमी देखने को मिली है.
आर्थिक बोझ और मलेरिया
- भारत में मलेरिया से कुल आर्थिक बोझ 1,940 मिलियन यूएस डालर का है. यह बीमारी समाज के आर्थिक रूप से कमजोर कमजोर करती है. लोगों के साथ-साथ गर्भवती माताओं और पांच साल से कम उम्र के बच्चों को भी प्रभावित करती है.
पढ़ें- भारत में प्रति लाख लोगों पर कोरोना के मामले दुनिया में सबसे कम