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कर्नाटक : प्राकृतिक सुंदरता बरकरार रखने के लिए 'सेतुबंध' अभियान - making of wooden bridges

कर्नाटक के उडुपी जिले में पुरुषोत्तम अडवे ने प्राकृतिक चीजों के पुनर्निर्माण के लिए सेतुबंध अभियान शुरू किया है. वह जंगल में उपलब्ध प्राकृतिक चीजों का उपयोग करके लकड़ी के पुल तैयार कर रहे हैं. पढ़ें पूरी खबर..

लकड़ी के पुल का निर्माण
लकड़ी के पुल का निर्माण

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Published : Jul 12, 2020, 7:29 PM IST

बेंगलुरु : कर्नाटक अपनी विविधता के लिए पहचाना जाता है. यहां कई शहर ऐसे हैं जो विकसित हैं, वहीं कई ऐसे गांव भी हैं जिनमें सड़क और बिजली की कोई व्यवस्था नहीं है.

लकड़ी के पुल के निर्माण से ग्रामीण कौशल को बढ़ावा.

राज्य के उडुपी जिले में प्रकृति प्रेमी पुरुषोत्तम अडवे ने 'सेतुबंध' नामक एक अभियान शुरू किया है. इसका उद्देश्य ग्रामीण सुंदरता को नया रूप देकर लकड़ी के पुल का निर्माण करना और ग्रामीण कौशल को बढ़ावा देना है.

उडुपी के करकला तालुका के दूरदराज के गांव माला मननपापु में सड़कों की कनेक्टिविटी नहीं है. लंबे समय से लोग बारिश के मौसम में नदी पार करने के लिए लकड़ी का पुल बनाते आ रहे हैं.

पुरुषोत्तम अडवे का मानना है कि मॉडर्न लाइफस्टाइल में कदम रखने के बाद लोग प्राचीन जीवनशैली और प्रकृति की सुंदरता के बारे में भूलते चले जा रहे हैं.

पुरुषोत्तम अडवे जंगल में उपलब्ध प्राकृतिक चीजों का उपयोग करके लकड़ी के पुल तैयार कर रहे हैं. वह मेघालय मॉडल की तर्ज पर लकड़ी का पुल बना रहे हैं. वह कहते हैं कि आज के समय में लोगों के लिए कंक्रीट के पुल उपलब्ध हैं, लेकिन पुराने दिनों में ग्रामीण बांस और अन्य मजबूत पेड़ों की लकड़ी का उपयोग कर पुल का निर्माण करते थे.

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पुल को इस तरह से बनाया गया है कि इसका इस्तेमाल लोगों द्वारा किया जा सके. इस पुल से बच्चे भी आ जा सकते हैं. यह पुल 30 फुट लंबा और 3 फुट चौड़ा है. इस पुल को प्रकृति के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए बनाया गया है.

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