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महात्मा गांधी का अजमेर से नाता, 6 दलित बच्चों के लिए शुरू करवाई थी पाठशाला - महात्मा गांधी ब्यावर में

स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अजमेर मध्य भारत के क्रांतिकारियों की शरण स्थली रहा है. ब्यावर और उसके आसपास के क्षेत्रों में गरम दल से जुड़े क्रांतिकारियों ने समय-समय पर शरण ली. वहीं नरम दल के क्रांतिकारियों ने भी अजमेर में कई बार पनाह ली. उस दौर में महात्मा गांधी भी तीन बार ब्यावर और अजमेर आए. पढ़ें ये खास रिपोर्ट...

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महात्मा गांधी

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Published : Jan 30, 2020, 6:44 PM IST

Updated : Feb 28, 2020, 1:41 PM IST

अजमेर. स्वतंत्रता संग्राम के समय राजस्थान में एक मात्र स्थान अजमेर ही था जहां रिसासत नहीं थी. यहां अंग्रेजी हुकूमत चलती थी. यही वजह थी कि क्रांतिकारियों के लिए अजमेर में शरण लेना और स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े आंदोलनों को गति देना यहां से आसान था. स्थानीय लोगों की मदद भी कान्तिकारियों के लिए एक बड़ी वजह थी.

आजादी के आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी की अजमेर में सक्रियता बढ़ गई थी. बताया जाता है कि 1921 में असहयोग आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी को अंग्रेजों ने अजमेर में गिरफ्तार करने की तैयारी की थी. लेकिन आंदोलन की मजबूती को देखते हए अंग्रेज पीछे हट गए थे.

स्वतंत्रता संग्राम में अजमेर की भागीदरी

तीन बार आए थे अजमेर
तथ्यों के अनुसार गांधीजी अंग्रेजी शासन के दौरान तीन बार अजमेर आए. वह पहली बार अक्टूबर 1921 में 'असहयोग आंदोलन' के दौरान, दूसरी बार मार्च 1922 में ' जमीयत उलेमा की कॉन्फ्रेंस' और जुलाई 1934 में 'दलित उद्धार आंदोलन' में शामिल होने के लिए अजमेर आए थे.

अजमेर से गांधी जी का रिश्ता

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इनमें से एक यात्रा उनकी गोपनीय थी. दलित उद्धार आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी ने अजमेर की हरिजन सहित सभी दलित बस्तियों का दौरा किया था. इन बस्तियों में पेयजल की समस्या को देखते हुए उन्होंने तत्कालीन मुंसिपल कमेटी से कहकर छोटी एक तालाब खुदवाया था.

जब दलित बच्चों के लिए शुरू करवाई पाठशाला
तथ्य बताते हैं कि महात्मा गांधी ने अजमेर के जादूगर मोहल्ले में एक पाठशाला भी खुलवाई थी. जिसकी शुरुआत एक झोपड़ी से हुई थी. महात्मा गांधी की प्रेरणा से यह पाठशाला स्वतंत्रता सेनानी पन्नालाल माहेश्वरी ने खोली थी और 6 दलित बच्चे शिक्षा से जुड़ पाए थे. बाद में पन्नालाल माहेश्वरी ने धीरे-धीरे वहां स्कूल के लिए पक्के कमरे बनवाए और इसे हैप्पी स्कूल नाम दे दिया गया.

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स्वतंत्रता सेनानी पन्नालाल माहेश्वरी के पुत्र शशि महेश्वरी ने ईटीवी भारत को बताया कि उनके बाबू जी पन्ना लाल माहेश्वरी ने उन्हें पाठशाला खोलने एवं महात्मा गांधी के स्वयं यहां आने के बारे में बताया था. अजमेर में उस स्कूल की इमारत का वजूद आज भी मौजूद है. आज भी उस स्थान को हैप्पी स्कूल के नाम से जाना जाता है.

गरम दल के नेताओं को पढ़ाया था अहिंसा का पाठ
पूर्व विधायक श्रीगोपाल बाहेती बताते हैं कि छुआछूत को मिटाकर गांधीजी सभी जातियों को एक करना चाहते थे ताकि स्वतंत्रता की लड़ाई में सभी एकजुट हो सकें. वही गांधीजी का प्रयास था कि गरम दल से जुड़े क्रांतिकारी भी अहिंसा का मार्ग अपना लें. यही वजह थी कि गरम दल के नेताओ से समन्वय स्थापित करने के लिए महात्मा गांधी ब्यावर भी आए थे. यहां कृष्णा मिल के मालिक मुकुंद लाल राठी और करुणानन्द से मिले थे. बताया जाता है कि मुकुंद राठी क्रांतिकारियों को आर्थिक मदद किया करते थे. यही वजह थी कि चंद्र शेखर आज़ाद भी ब्यावर और अजमेर आ चुके हैं.

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महात्मा गांधी ने अजमेर में स्वतंत्र सेनानी रामजी लाल बंधु, मिश्री लाल, अर्जुन लाल सेठी, हरिभाऊ उपाध्याय से मिले थे. उसके बाद से ही अजमेर में महात्मा गांधी को अनुसरण कर रहे क्रांतिकारी नेताओ ने दलित उत्थान एवं सामाजिक एकता के लिए कार्य शुरू हुए.

प्रशासन के पास नहीं कोई प्रमाण
श्रीगोपाल बाहेती ने बताया कि राजस्थान में अजमेर ही एक मात्र स्थान है जहां महात्मा गांधी तीन बार आए. लेकिन यह अफसोस की बात है कि इसके कोई प्रमाण प्रशासन के पास नहीं है. जबकि उस वक़्त मध्य भारत में स्वतंत्रता आंदोलन की रूपरेखा और नेतृत्व अजमेर से होता रहा है. अजमेर के केसरगंज गोल चक्र से क्रांतिकारी गतिविधियां संचालित होती थी.

संग्रहालय बनाने की मांग
पूर्व विधायक बाहेती ने ईटीवी भारत के माध्यम से मांग की है कि अजमेर केंद्रीय कारागार जेल, जहां कभी क्रांतिकारियों को बंदी बनाकर रखा जाता था उसके एक हिस्से में महात्मा गांधी की अजमेर से जुड़ी यादों को लेकर एक संग्रहालय बनाया जाना चाहिए. साथ ही इस लिहाज से महात्मा गांधी की 150वीं जन्म जयंती का समापन अजमेर में होना चाहिए.

Last Updated : Feb 28, 2020, 1:41 PM IST

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