देहरादून: महात्मा गांधी भले ही दिखने में दुबले-पतले दिखाई देते थे, लेकिन उनके बुलंद हौसले और अहिंसावादी सोच की दुनिया कायल थी. गांधी जी ने जीवन भर सत्य और अहिंसा का पालन किया और उसी मार्ग पर चलने के लिए लोगों को आजीवन प्रेरित करते रहे.
वहीं देवभूमि में कई ऐतिहासिक धरोहर हैं, जो देशभर के लोगों का ध्यान अपनी ओर खीचने के लिए काफी हैं. जिससे देश की महान हस्तियों की यादें जुड़ी हुई हैं. आज हम आपको एक ऐसे पेड़ के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे खुद राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने लगाया था. जो आज के दौर में लोगों के आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है.
17 अक्टूबर, 1929 को देहरादून के राजपुर क्षेत्र के शहंशाही आश्रम में महात्मा गांधी ने एक पीपल का पेड़ रोपित किया था. 87 साल का हो चुका ये पेड़ आजादी के संघर्षों की यादों को समेटे हुए है. इस पेड़ ने भारत की आजादी और उसके बाद के भारत को बदलते देखा है लेकिन इस पेड़ का दुर्भाग्य देखिए जो पेड़ अपनी एक शताब्दी पूरी करने जा रहा है, आज उसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है.
इस पीपल के पेड़ को गांधी जी ने मसूरी में एक कार्यक्रम से लौटते समय शिक्षाविद स्व. पंडित केशव देव शास्त्री की प्रतिमा का अनावरण करते समय उनकी याद में लगाया था. मानव भारती विद्यालय में स्वर्गीय शिक्षाविद पंडित केशव देव शास्त्री नि:शुल्क शिक्षा वाला स्कूल बच्चों के लिए चलाते थे.
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इसी बात से प्रसन्न होकर महात्मा गांधी इस स्थान पर आकर शास्त्री जी की याद में पीपल का पेड़ लगाने के बाद बच्चों के साथ बैठकर भोजन भी किया था.