गोरखपुरःचौरी चौरा कांड भारतीय संघर्षों के बीच का एक ऐसा कांड जो देश ही नहीं पूरी दुनिया में एक मिसाल कायम करता है. इसकी वजह है महात्मा गांधी ने 1920 में अंग्रेजों को देश से भगाने के लिए असहयोग आंदोलन शुरू किया था. इस आंदोलन के तहत विदेशी वस्तुएं थी जो कपड़े थे. उनका परित्याग करना था. साथ ही अंग्रेजों के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करनी थी.
ऐतिहासिक है गोरखपुर का चौरा-चौरी कांड, गांधी ने वापस लिया था असहयोग आंदोलन - indian independence movement
आजादी के आंदोलन के दौरान गांधीजी ने देश के अलग-अलग हिस्सों का दौरा किया था. जहां-जहां भी बापू जाते थे, वे वहां के लोगों पर अमिट छाप छोड़ जाते थे. वहां के लोगों में राष्ट्रीयता की भावना घर कर जाती थी. ईटीवी भारत ऐसे ही जगहों से गांधी से जुड़ी कई यादें आपको प्रस्तुत कर रहा है. पेश है आज 19वीं कड़ी.
शहीदों की याद में बना है स्मारक
यह आंदोलन पूरे देश में चल रहा था, और गोरखपुर इससे अछूता नहीं था. चौरी चौरा में कपड़े की बहुत बड़ी मार्केट हुआ करती थी. यहीं से लोग कपड़ो की खरीददारी करते थे, लेकिन गांधी जी के कहने से सारे लोग इकट्ठा हो हुए, और विदेशी वस्तुओं का परित्याग करने लगे. जो लोग विरोध कर रहें थे अंग्रेज पुलिस उनसे सख्ति से पेश आ रही थी. इससे क्रांतिकारियों में पुलिसिया दमन की भावना और प्रबल हो गई. कुछ क्रांतिकारियों पुलिस के अत्याचारों को देखते हुए थाने में आग लगा दिया. इसमें 22 पुलिसकर्मी जलकर मर गए थे.
5 फरवरी 1922 को इतिहास में दर्ज हुआ
जिस दिन क्रांतिकारियों ने पुलिस चौकी में आग लगाई थी, वह तारीख थी 5 फरवरी 1922. इतिहास में यह दिन चौरी चौरा कांड के नाम से दर्ज हो गया. चौरी चौरा में जिस जगह यह घटना हुई थी. वहां एक शहीद स्मारक बनाया गया है. यहां स्थापित स्मारक पत्थर पर शहीदों का इतिहास लिखा गया है.