रायपुर :नवरात्र के आठवेें दिन देवी दुर्गा के महागौरी स्वरूप की उपासना की जाती है. देवी महागौरी की पूजा को महाअष्टमी की पूजा के रूप में भी जाना जाता है. देशभर के मंदिरों में देवी दुर्गा के उपासक आज महाअष्टमी की पूजा करेंगे. उसके बाद नवमी तिथि की शुरुआत के बाद हवन-पूजन कर नवरात्र के अनुष्ठान की पूर्णाहुति की जाएगी.
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के प्राचीन सिद्धपीठ राजराजेश्वरी मां महामाया देवी मंदिर सहित अन्य देवी मंदिरों में सप्तमी तिथि को यानी आज आधी रात्रि को महानिशा पूजा की जाएगी. पूजा की तैयारी सभी देवी मंदिरों में की जा रही है. महानिशा पूजा के बाद शनिवार को महाअष्टमी का पर्व मनाया जाएगा और हवन का आयोजन किया जाएगा. लेकिन इस बार मां महामाया देवी मंदिर में कोरोना महामारी को देखते हुए ट्रस्ट के कुछ सदस्य और पंडितों की मौजूदगी में ही ये अनुष्ठान संपन्न कराया जाएगा.
शुक्रवार आधी रात महानिशा पूजा
परंपरा के मुताबिक शुक्रवार को आधी रात में महानिशा पूजन का कार्यक्रम होगा. इस महानिशा पूजा में गौरी-गणेश जी, कलश, नवग्रह आदि का पूजन होगा. इसके बाद शंख, घंटी, दीप के पूजन सहित राजोपचार विधि से मां महामाया की पूजा की जाएगी. पूजा के बाद दुर्गा सप्तशती के पाठ द्वारा पंचामृत से माता का अभिषेक किया जाएगा. फिर मां का भव्य श्रृंगार किया जाएगा और ब्रह्म मुहूर्त में अगले दिन सुबह 4 बजे आरती के साथ इस अनुष्ठान का समापन होगा.
अष्टमी को अर्पित की जाएगी अठवाई