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...मैं बच भी जाता तो एक रोज मरने वाला था

शायरी की दुनिया में राहत इंदौरी का नाम बड़े ही अदब और एहतराम के साथ लिया जाता है. 70 साल की उम्र में भी जब वह मंच से नज्म पढ़ते थे, तो प्रशंसकों की तालियों की गूंज लोगों को रोमांचित कर देती थी. उन्हें देश में ही नहीं दुनिया के तमाम देशों में अपना कलाम पढ़ने का मौका मिला. कोरोना वायरस की चपेट में आने के बाद हुई उनकी मौत से पूरा देश स्तब्ध है. आइए डालते हैं उनकी मशहूर शायरी पर एक नजर...

lyrical memories of rahat indori
राहत इंदौरी के मशहूर शेर

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Published : Aug 11, 2020, 6:14 PM IST

हैदराबाद : मशहूर शायर राहत इंदौरी का निधन हो गया है. उन्हें सोमवार शाम इंदौर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. वह हृदय रोग व अन्य कुछ बीमारियों से भी पीड़ित था. बाद में उनकी जांच रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई थी. मंगलवार को निमोनिया के कारण उनका निधन हो गया. उनके निधन पर पूरा देश स्तब्ध है. आइए डालते हैं उनके कुछ मशहूर शेरों पर नजर...

अगर खिलाफ हैं, होने दो जान थोड़ी है,
ये सब धुंआ है, कोई आसमान थोड़ी है,
लगेगी आग तो आएंगे कई घर जद में,
यहां पे सिर्फ हमारा मकान थोड़ी है।

साहस और हिम्मत की मिसाल पेश करता उनका यह शेर भी देखें...

तूफानों से आंख मिलाओ, सैलाबों पर वार करो,
मल्लाहों का चक्कर छोड़ो, तैर के दरिया पार करो।

उनके कलाम में मुहब्बत का पैगाम भी है...

फूलों की दुकानें खोलो, खुशबू का व्यापार करो,
इश्क खता है तो ये खता एक नहीं सौ बार करो।

दिल को छू लेने वाला उनका एक और मशहूर शेर देखिए...

किसने दस्तक दी दिल पे ये कौन है,
आप तो अंदर हैं, बाहर कौन है...।

उनके जीवन की जिंदादिली और मौत पर बेबाक टिप्पणी लोगों को हमेशा याद रहेगी...

ये हादसा तो किसी दिन गुजरने वाला था,
मैं बच भी जाता तो एक रोज मरने वाला था।

राहत इंदौरी ने पार्थिव देह भले ही त्याग दी हो, लेकिन शायरी की दुनिया और अपने चाहने वालों के दिलों में वह अमर हैं. विनम्र श्रद्धांजलि....

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