नई दिल्ली : लोकसभा ने देश में संस्कृत के तीन मानद विश्वविद्यालयों को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा देने के प्रावधान वाले विधेयक को मंजूरी दे दी.
केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय विधेयक, 2019 पर सदन में हुई चर्चा का जवाब देते हुए मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि सरकार संस्कृत के साथ ही तमिल, तेलुगू, बांग्ला, मलयालम, गुजराती, कन्नड आदि सभी भारतीय भाषाओं को सशक्त करने की पक्षधर है और सभी को मजबूत बनाना चाहती हैं.
उन्होंने विपक्ष के कुछ सदस्यों की ओर परोक्ष संदर्भ में कहा कि देश में 22 भारतीय भाषाएं हैं, लेकिन उनमें अंग्रेजी नहीं है.
निशंक ने कहा कि केंद्रीय विश्वविद्यालय बनने से विज्ञान के साथ संस्कृत का ज्ञान जुड़ेगा और देश फिर से विश्वगुरू बनेगा. उन्होंने कहा कि यह विधेयक देश को श्रेष्ठ बनाने की दिशा में एक कदम है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक-भारत, श्रेष्ठ-भारत का और देश को विश्वगुरू बनाने का रास्ता इसी से निकलेगा.
इससे पहले सदन में विधेयक पर चर्चा के दौरान भाजपा और द्रमुक के सदस्यों में संस्कृत तथा तमिल भाषा को लेकर नोकझोंक भी हुई. इस संबंध में निशंक ने कहा, 'यहां किसी भाषा का विवाद नहीं है और इस तरह की छोटी बात में उलझा नहीं जा सकता. उन्होंने कहा कि विधेयक तीन संस्कृत संस्थानों को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा देने के लिए लाया गया है ताकि वहां अनुसंधान हो सके. बाहर से छात्र आकर शोध कर सकें और यहां के छात्र बाहर जा सकें. इसे भाषा के विवाद में नहीं खड़ा करना चाहिए.
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उन्होंने कहा, 'हम सभी भारतीय भाषाओं को सशक्त करने के पक्षधर हैं. हम प्रत्येक भारतीय भाषा के ज्ञान के भंडार का उपयोग करेंगे. अगर संस्कृत सशक्त होगी तो सभी भारतीय भाषाएं भी सशक्त होंगी.
मानव संसाधन विकास मंत्री के इस बयान पर द्रमुक के ए राजा, तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय और आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन समेत अन्य विपक्षी सदस्य भी समर्थन जताते नजर आए.
मंत्री के जवाब के बाद सदन ने ध्वनिमत से विधेयक को मंजूरी दे दी.