उत्तरकाशी : आज तक आपने भगवान जगन्नाथ के दर्शन जगन्नाथ पुरी में किये होंगे, लेकिन भगवान जगन्नाथ आज भी दक्षिण की पुरी की तरह ही उत्तराखंड के उत्तरकाशी जनपद में हिमालय की वरुणाघाटी में विद्यमान हैं. भगवान जगन्नाथ को वरुणा घाटी के करीब 10 से 12 गांवों के आराध्य देव के रूप में पूजा जाता है. भगवान जगन्नाथ का मुख्य मंदिर घाटी के साल्ड गांव में है. वहीं, वरुणाघाटी के अन्य गांव में भी भगवान के मंदिर बने हुए हैं.
यहां पर भगवान जगन्नाथ की मूर्ति काले पत्थर के रूप में विराजमान है. जिस पर आज भी सात लकीरें लगी हुई है. इसके पीछे भी रोचक दंतकथा है. जानकारों की मानें तो 12 वीं शताब्दी में भगवान जगन्नाथ के मंदिर की स्थापना साल्ड में हुई थी और यहां पर भी भगवान जगन्नाथ को पुरी की तरह चावल का भोग लगाया जाता है.
साल्ड गांव के निवासी और जगन्नाथ मंदिर पर शोध कर रहे शिक्षक बलवीर सिंह राणा ने बताया कि दंत कथाओं के अनुसार, साल्ड गांव के नौटियाल जाती के एक ब्राह्मण, जिनकी संतान नहीं हो रही थी. उन्होंने संतान प्राप्ति के लिए जगन्नाथ पुरी की यात्रा की. जहां पर भगवान जगन्नाथ ने उन्हें दर्शन देते हुए कहा कि मैं तेरे घर मे जन्म लूंगा, लेकिन विधि के अनुसार मात्र 11 वर्ष तक ही तेरे पास रहूंगा. नौटियाल जाती के ब्राह्मण के घर में एक वर्ष बाद बालक ने जन्म लिया, जो 11 वर्ष का होते ही गेंद खेलते हुए जमीन में विलुप्त हो गया. उसके कई वर्षों बाद गांव के बीचों-बीच उस खेत मे एक किसान हल लगा रहा था, तभी जमीन से आवाज आई कि खेत के बीच में हल मत लगाओ.