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भगवान बुद्ध की जीवनी पर बनी वाटिका, वृक्षों के जरिए होगा जीवन दर्शन - वन संरक्षक संजीव चतुर्वेदी

हल्द्वानी के वन अनुसंधान केंद्र परिसर में बुद्ध वाटिका तैयार किया गया है. वाटिका में भगवान बुद्ध की जीवनी को दर्शाते हुए 13 पेड़ों की प्रजातियों को लगाया गया है.

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बुद्ध वाटिका

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Published : May 12, 2020, 3:46 PM IST

हल्द्वानी : उत्तराखंड के हल्द्वानी के वन अनुसंधान केंद्र ने अनुसंधान परिसर में बुद्ध वाटिका तैयार की है. वाटिका में भगवान बुद्ध की जीवनी को दर्शाते हुए 13 पेड़ों की प्रजातियों को लगाया गया है. जिसमें भगवान बुद्ध के जीवन दर्शन को वृक्ष के माध्यम से समझ सकते हैं.

हल्द्वानी का वन अनुसंधान केंद्र लुप्त होती जड़ी बूटियों और वनस्पतियों को संरक्षण करने का काम करता है. वहीं, वन अनुसंधान केंद्र भगवान बुद्ध के जीवन से जुड़े वनस्पतियों को संरक्षण करने का काम कर रहा है, जो बुद्ध वाटिका के रूप में विकसित किया गया है.

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वाटिका में भगवान बुद्ध की जीवनी से जुड़े पीपल, साल, बरगद, बांस, ताड़, नागकेशर, आंवला, अशोक सहित 13 प्रजातियों को लगाया गया है. इन सभी वृक्षों के जरिए भगवान बुद्ध के जीवन से लेकर निर्वाण तक को बताया गया है.

वन अनुसंधान केंद्र के वन संरक्षक संजीव चतुर्वेदी के बताया कि बुद्ध के जीवन में पर्यावरण और वृक्षों का अलग महत्व रहा है. भगवान बुद्ध ने अपना अधिकांश जीवन जंगलों और जलाशय के किनारे व्यतीत किया. उनका जन्म अशोक के वृक्ष के नीचे हुआ था जबकि उनकी मृत्यु कुशीनगर में साल के दो पेड़ों के बीच में हुई.

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भगवान बुद्ध की जीवनी में 13 विशेष वृक्षों का विशेष महत्व रहा है.

  • पीपल: पीपल वृक्ष के नीचे ध्यान करते हुए भगवान बुद्ध को वैशाख पूर्णिमा की रात्रि में बोधी ज्ञान की प्राप्ति हुई थी.
  • साल: भगवान बुद्ध का अधिकांश समय साल के जंगलों में बिता था और उनका निर्वाण साल के वृक्षों के नीचे ही हुआ.
  • बरगद: भगवान बुद्ध अपने साधना काल में निवास के लिए अधिकतर बरगद की छाया में रहा करते थे.
  • नागकेसर: नागकेसर श्रीलंका का राष्ट्रीय वृक्ष है और नागकेसर के नीचे बुद्धों मंगल, सुमन, रेवत और शोभित ने ज्ञान प्राप्त किया.
  • आंवला: बौद्ध रचनाओं के अनुसार सम्राट अशोक ने बौद्ध भिक्षु संघ को आंवले का दान किया था.
  • पाकड़: भगवान बुद्ध की ओर से इस वृक्ष के नीचे बैठकर उपदेश देने का दृष्टांत मिलता है.
  • आम: वैशाली पहुंचने पर बुद्ध को आम का पौधे भेंट के तौर पर मिले थे.
  • खिरनी: बुद्धि प्राप्ति के बाद सातवां सप्ताह भगवान ने इस वृक्ष के नीचे ध्यान में बिताया था.

अनुसंधान के वन संरक्षक संजीव चतुर्वेदी ने कहा कि हल्द्वानी वन अनुसंधान में भगवान बुद्ध की जीवनी से जुड़े सभी वृक्षों और वनस्पतियों को संरक्षण करने का काम किया है. जिससे कि लोग भगवान बुद्ध के जीवन परिचय को जान सके और इन वृक्षों का भी संरक्षण कर सकें.

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