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लोक सभा ने विदेशी अभिदाय विनियमन संशोधन विधेयक को मंजूरी दी

लोक सभा ने विदेशी अभिदाय विनियमन संशोधन विधेयक 2020 को मंजूरी दे दी है. चर्चा के दौरान कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों के सदस्यों ने आरोप लगाया कि सरकार इस संशोधन विधेयक के माध्यम से गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) का गला घोंटना चाहती है. विपक्षी सदस्यों ने बड़ी संख्या में एनजीओ के लाइसेंस निरस्त किए जाने का मुद्दा भी उठाया.

विदेशी अभिदाय विनियमन संशोधन विधेयक को मंजूरी दी
विदेशी अभिदाय विनियमन संशोधन विधेयक को मंजूरी दी

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Published : Sep 21, 2020, 11:02 PM IST

नई दिल्ली : लोक सभा ने विदेशी अभिदाय विनियमन संशोधन विधेयक 2020 को मंजूरी दे दी, जिसमें एनजीओ के पंजीकरण के लिए पदाधिकारियों का आधार नंबर जरूरी होने और लोक सेवक के विदेशों से रकम हासिल करने पर पाबंदी का प्रावधान किया गया है. चर्चा के दौरान कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों के सदस्यों ने आरोप लगाया कि सरकार इस संशोधन विधेयक के माध्यम से गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) का गला घोंटना चाहती है. उनका आरोप है कि इसके माध्यम से सरकार का इरादा परमार्थ के कार्य पर लाइसेंस राज, नौकरशाही का नियंत्रण लाने का है और यह अल्पसंख्यकों के खिलाफ है.

विपक्षी सदस्यों ने बड़ी संख्या में एनजीओ के लाइसेंस निरस्त किये जाने का मुद्दा भी उठाया.

निचले सदन में विधेयक पर हुई संक्षिप्त चर्चा का जवाब देते गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि यह विधेयक किसी एनजीओ के खिलाफ नहीं है. यह संशोधन किसी धर्म पर प्रहार नहीं करता है. यह विदेशी अंशदान को नहीं रोकता है. उन्होंने कहा कि यह किसी भी प्रकार से किसी को डराने-धमकाने या दबाने के लिये नहीं है, बल्कि भारत की जनता और लोकतंत्र को दबाने के लिये पैसे के दुरुपयोग को रोकने के लिये है.

उन्होंने कहा कि विदेशी अभिदाय विनियमन कानून (एफसीआरए) एक राष्ट्रीय और आंतरिक सुरक्षा कानून है और यह सुनिश्चित करने के लिये है कि विदेशी धन भारत के सार्वजनिक, राजनीतिक एवं सामाजिक विमर्श पर हावी नहीं हो.

राय ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को मजबूत एवं सुरक्षित रखना चाहते हैं. यह इसलिये भी जरूरी है, क्योंकि अतीत में कई भूलों के कारण देश को नुकसान हुआ है. केंद्रीय मंत्री ने कहा आंतरिक, सांस्कृतिक, राष्ट्रीय और लोकतंत्र की सुरक्षा मोदी सरकार की विशेषता रही है. यह संशोधन विधेयक आत्मनिर्भर भारत के लिये जरूरी है.

उन्होंने कहा कि एनजीओ सरकार की विशिष्ट जरूरतों को पूरा करने के लिये हैं. ऐसे में विदेशी अंशदान में पूरी पारदर्शिता जरूरी है. एनजीओ को पैसा जिस कार्य के लिये मिले, उसी कार्य में खर्च होना चाहिए. राय ने कहा कि केंद्र सरकार इस दिशा में धन को जनहित के कार्य में खर्च करना सुनिश्चत करना चाहती है, लेकिन विपक्षी दल दिशा भटकाना चाहते हैं. हम इसके माध्यम से पारदर्शिता लाना चाहते हैं.

उन्होंने कहा कि इसके तहत एनजीओ को विदेशी अनुदान के संबंध में दिल्ली में भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) में एक खाता खोलना होगा, साथ ही दूसरे स्थान पर भी खाता खोले जा सकेंगे. मंत्री के जवाब के बाद सदन ने कुछ सदस्यों के संशोधनों को खारिज करते हुए विदेशी अभिदाय विनियमन संशोधन विधेयक 2020 को मंजूरी दे दी.

इसके माध्यम से विदेशी अभिदान विनियमन अधिनियम 2010 का संशोधन किया जा रहा है.

विधेयक के उद्देश्यों में कहा गया है कि एफसीआरए के तहत पूर्व अनुमति या पंजीकरण अथवा एफसीआरए के लाइसेंस नवीनीकरण का अनुरोध करने वाले किसी भी व्यक्ति को अब अपने सभी पदाधिकारियों या निदेशकों के आधार नंबर देने होंगे, विदेशी नागरिक होने की स्थिति में पासपोर्ट की एक प्रति या ओसीआई कार्ड की प्रति देना जरूरी होगा.

इसमें 'लोक सेवक' और 'सरकार या इसके नियंत्रण वाले निगम' को ऐसी इकाइयों की सूची में शामिल करने का प्रस्ताव दिया गया है, जो विदेशी अनुदान हासिल करने के योग्य नहीं होंगे.

इसमें एनजीओ के प्रशासनिक खर्च को वर्तमान 50 प्रतिशत से घटाकर 20 प्रतिशत करने का प्रस्ताव किया गया है.

विधेयक पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस के एंटो एंटनी ने कहा कि सरकार इस संशोधन विधेयक के माध्यम से एनजीओ का गला घोंटना चाहती है. विदेश अंशदान के माध्यम से एनजीओ जरूरतमंदों के लिये स्वास्थ्य, शिक्षा सहित अन्य कार्यो में सहायता करते हैं.

उन्होंने कहा कि सरकार परमार्थ के कार्य पर लाइसेंस राज लाना चाहती है. इसके जरिये सरकार पूरी व्यवस्था पर नौकरशाही का नियंत्रण लाना चाहती है.

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चर्चा में हिस्सा लेते हुए भाजपा के सत्यपाल सिंह ने कहा कि एफसीआरए कानून आपातकाल की देन है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार आज इसमें जो संशोधन लेकर आई है उसका उद्देश्य देश की सुरक्षा से जुड़ा है. उन्होंने कहा कि देश में अनेक एनजीओ अच्छा काम कर रहे हैं, लेकिन कुछ गैर सरकारी संगठन ऐसे भी हैं जो विदेश से प्राप्त धन का इस्तेमाल उद्देश्य से परे करते हैं.

सिंह ने दावा किया, '2011 से 2019 तक 19 हजार संस्थाओं ने जिस उद्देश्य से पैसा लिया, उससे अलग जाकर उसका उपयोग किया.' उन्होंने आरोप लगाया कि कई एनजीओ विदेशी पैसे से देश के खिलाफ काम करते हैं, धर्मांतरण आदि में लिप्त रहते हैं, ऐसे में उन पर कार्रवाई जरूरी है.

सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि जब पहले ही 2011 से 2019 तक 19 हजार लाइसेंस निरस्त कर दिये गये हैं तो इस विधेयक की क्या जरूरत थी.

द्रमुक के वी कलानिधि ने कुछ संगठनों के धर्मांतरण में लिप्त रहने के भाजपा सदस्य के दावे की ओर इशारा करते हुए कहा कि इतने सालों तक देश में मुस्लिम और ईसाई शासकों का शासन रहा, लेकिन अगर धर्मांतरण इतने बड़े स्तर पर हुआ है तो भी देश में 84 प्रतिशत हिंदू कैसे हैं.

तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि यह उन संगठनों पर लगाम लगाने के लिए है जो विदेश से अनुदान लेते हैं. उन्होंने विधेयक में विदेशी अनुदान का धन दिल्ली में एसबीआई की एक शाखा के खाते में जमा होने के प्रावधान पर भी सवाल उठाया.

वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के बी चंद्रशेखर ने विधेयक का समर्थन किया.

शिवसेना के श्रीरंग अप्पा बरणे ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि इससे देश विरोधी गतिविधियां रुक जाएंगी. उन्होंने कहा कि सरकार को यह जानकारी होनी ही चाहिए कि संगठन को जिस काम के लिए पैसा मिला है, उसमें खर्च न होकर दूसरे काम में लगाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि यह कानून निश्चित रूप से गैरकानूनी गतिविधियों को रोकने में कारगर होगा.

जदयू के कौशलेंद्र कुमार ने कहा कि सरकार ने सराहनीय कदम उठाया है और इससे विदेशी धन का दुरुपयोग रुकेगा और पारदर्शिता बढ़ेगी.

बसपा के रितेश पांडेय ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने भी कहा है कि आधार नंबर देना अनिवार्य नहीं है तो केंद्र सरकार इस विधेयक में आधार आवश्यक करने का प्रावधान क्यों लाई है.

राकांपा की सुप्रिया सुले ने भी कहा कि जब उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि आधार अनिवार्य नहीं है तो इस विधेयक में आधार को क्यों आवश्यक किया गया है. उन्होंने कहा कि केवल दिल्ली स्थित एसबीआई की शाखा में ही धन जमा होने का प्रावधान क्यों किया गया है. क्या अन्य बैंक सक्षम नहीं हैं?

सुले ने कहा कि देश में हजारों एनजीओ अच्छा काम कर रहे हैं और एक एनजीओ के खराब काम करने से सभी को बदनाम करना सही नहीं. उन्होंने कहा केंद्र सरकार अच्छा काम करने वालों को दबाना बंद करे. आप आपातकाल की बात करते हैं, लेकिन यह समय बिना आपातकाल लगाए आपातकाल जैसा है.

चर्चा में तेलंगाना राष्ट्र समिति के भीमराव बसवंतराव पाटिल और बीजद के बी महताब ने भी भाग लिया.

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