हैदराबाद : लोक जनशक्ति पार्टी के मुखिया चिराग पासवान ने इस बार अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया. हालांकि, उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ उम्मीदवार खड़ा नहीं करने की बात कही. इन सब बातों से लगा था कि चिराग पासवान 2005 का इतिहास दोहराएंगे, जब उनके पिता रामविलास पासवान ने सत्ता की चाबी अपनी जेब में रख ली थी और राज्य में एक ही साल में दो बार चुनाव की नौबत आ गई थी.
बता दें कि चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी एनडीए का हिस्सा है, लेकिन इस बार लोजपा ने अकेले दम पर बिहार चुनाव में उतरने का फैसला किया था. पार्टी 134 सीटों पर चुनाव लड़ी थी. हालांकि, अब तक लोजपा के खाते में केवल एक ही सीट आती दिखाई दे रही है.
सत्ताधारी पार्टी जेडीयू के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए 134 सीटों पर उम्मीदवार उतारे, लेकिन शुरुआती रुझानों में लोक जनशक्ति पार्टी को बड़ा झटका लगता दिखा था.
लोजपा का जहाज डूबा, लेकिन जद(यू) के कद को छोटा कर दिया.
बिहार में विधानसभा चुनाव के अब तक आए परिणाम और रूझान साफ संकेत दे रहे हैं कि सत्तारूढ़ जनता दल (युनाईटेड) को खासा नुकसान हुआ और इसका एकमात्र कारण साबित हुई चिराग पासवान के नेतृत्व वाली लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) जिसने अपने दम पर चुनाव लड़ा.
हालांकि, इसके लिए लोजपा को भी बड़ा नुकसान उठाना पड़ा. निर्वाचन आयोग के शाम 5.30 बजे के आंकड़ों के मुताबिक लोजपा का खाता खुलता हुआ नहीं दिखा.