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एलजेपी ने 2005 में बिगाड़ा था खेल?, इस बार चिराग नहीं जला पाए 'लौ'

चिराग पासवान की अगुवाई में लोक जनशक्ति पार्टी ने इस बार बड़ा दांव खेलते हुए चुनाव की बैतरणी में अकेले उतरने का फैसला लिया था. कई लोगों को लगता था कि एलजेपी के कारण जद(यू) सत्ता से हाथ धो सकती है ? और कुछ को लगता था कि नीतीश का कद घटाने में अहम भूमिका अदा करेंगे. हालांकि, चिराग ने सभा में स्वयं को मोदी का हनुमान कहा था और परिणाम उनके बयान को चरितार्थ करती दिखती है.

चिराग पासवान
चिराग पासवान

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Published : Nov 10, 2020, 9:25 PM IST

हैदराबाद : लोक जनशक्ति पार्टी के मुखिया चिराग पासवान ने इस बार अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया. हालांकि, उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ उम्मीदवार खड़ा नहीं करने की बात कही. इन सब बातों से लगा था कि चिराग पासवान 2005 का इतिहास दोहराएंगे, जब उनके पिता रामविलास पासवान ने सत्ता की चाबी अपनी जेब में रख ली थी और राज्य में एक ही साल में दो बार चुनाव की नौबत आ गई थी.

बता दें कि चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी एनडीए का हिस्सा है, लेकिन इस बार लोजपा ने अकेले दम पर बिहार चुनाव में उतरने का फैसला किया था. पार्टी 134 सीटों पर चुनाव लड़ी थी. हालांकि, अब तक लोजपा के खाते में केवल एक ही सीट आती दिखाई दे रही है.

सत्ताधारी पार्टी जेडीयू के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए 134 सीटों पर उम्मीदवार उतारे, लेकिन शुरुआती रुझानों में लोक जनशक्ति पार्टी को बड़ा झटका लगता दिखा था.

लोजपा का जहाज डूबा, लेकिन जद(यू) के कद को छोटा कर दिया.

बिहार में विधानसभा चुनाव के अब तक आए परिणाम और रूझान साफ संकेत दे रहे हैं कि सत्तारूढ़ जनता दल (युनाईटेड) को खासा नुकसान हुआ और इसका एकमात्र कारण साबित हुई चिराग पासवान के नेतृत्व वाली लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) जिसने अपने दम पर चुनाव लड़ा.

हालांकि, इसके लिए लोजपा को भी बड़ा नुकसान उठाना पड़ा. निर्वाचन आयोग के शाम 5.30 बजे के आंकड़ों के मुताबिक लोजपा का खाता खुलता हुआ नहीं दिखा.

आंकड़ों पर गौर किया जाए तो पता चलता है कि लोजपा ने कम से कम 30 सीटों पर जद(यू) को नुकसान पहुंचाया है और उसके हार का कारण बन रही है.

जद(यू) को अभी तक चार सीटों पर जीत मिली है, जबकि 37 सीटों पर वह आगे हैं.

वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में जद(यू) को 71 सीटों पर जीत हासिल हुई थी.

2005 का इतिहास

2005 के फरवरी में हुए विधानसभा चुनावों में रामविलास पासवान अपनी नई पार्टी लोजपा के साथ मैदान में उतरे थे. उन्हें 243 सीटों वाली विधानसभा में 29 सीटें मिली थीं.

उस दौरान चुनाव में किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था. 75 सीटों के साथ राजद सबसे बड़ी पार्टी बनी थी, तो नीतीश की अगुवाई में जेडीयू को 55 सीटें मिली थीं. बीजेपी को 37 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. कांग्रेस के पास 10 सीटें थीं. आज बिहार विधानसभा चुनाव में लोजपा की हालत खराब होती दिख रही है.

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