हैदराबाद :कोरोना महामारी से उपजे अर्थव्यवस्था के संकट सहित देश के अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी कांग्रेस पार्टी आवाज उठाती रही है. इन्हीं मुद्दों को लेकर ईटीवी भारत के रीजनल एडिटर ब्रजमोहन सिंह ने कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला से बात की. पेश हैं साक्षात्कार के प्रमुख बिंदु...
प्रश्न - मजदूरों के बहुत ही मदत्वपूर्ण मुद्दे को लेकर आप सुप्रीम कोर्ट गए हैं, जिसमें आपने मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट श्रमिकों के मुद्दे पर पक्षकार बने. इस तर्क के पीछे क्या आधार है?
उत्तर -आज इस देश में मजदूरों का दर्द हर दिल में पहुंच गया है, जिस तरह मजदूर बच्चों को गोद में लिए हजारों किलोमीटर सामान पीठ पर लाद कर यात्रा कर रहे हैं, इस मंजर ने हर किसी का दिल दहला दिया है. ऐसे में यदि किसी को पीड़ा नहीं पहुंच पा रही है, तो वह है केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार. हमने देखा कि कैसे गुजरात हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि श्रमिकों का किराया मुफ्त किया जाए. राज्य की भाजपा सरकार ने इसका विरोध किया. मजदूर को रोजी-रोटी चाहिए. उसे सुरक्षित घर वापस जाने का हक है और उसे सम्मान चाहिए. क्या सरकार दे पा रही है? जवाब नहीं में. इसलिए हमने सोचा कि सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपनी बात रख भाजपा सरकार को राजधर्म की याद दिलाएं.
प्रश्न - कांग्रेस की तरफ से यह भी मांग की जा रही है कि मनरेगा में सुनिश्चित सौ दिन की जॉब को बढ़ाकर दो सौ दिन किया जाए.
उत्तर -बिल्कुल यह यह मांग वाजिब और सही है. यह कांग्रेस की ही मांग नहीं, बल्कि पूरे देश की मांग है. देखिए केंद्र सरकार के मुताबिक दस से ग्यारह करोड़ श्रमिक घर गए. कोई इसे आठ करोड़ कह रहा है, तो आठ करोड़ मान लीजिए. इस लोगों को रोजगार व रोजी-रोटी चाहिए. करोड़ों लोग पहले से ही गांवों में रोजी-रोटी की तलाश में हैं. पहले मोदी जी मनरेगा को एतिहासिक भूल कह मजाक उड़ाया करते थे. पहली बार मनरेगा में बीस हजार करोड़ रुपये अतिरिक्त दिए गए हैं. इसका हम स्वागत करते हैं. मनरेगा से ही इन करोड़ों लोगों की रोजी-रोटी का प्रबंध हो सकता है. सरकार को इस मांग को मानना चाहिए.
प्रश्न - 24 मार्च को जब प्रधानमंत्री मोदी ने लॉकडाउन की घोषणा की थी, तो शायद यह अनुमान नहीं था कि इतनी बड़ी संख्या में मजदूर पलायन करेंगे. मनरेगा में दिए गए बीस हजार करोड़ रुपयों से क्या सभी लोगों को रोजगार मिल पाएगा?