हैदराबाद :महिला तस्करी एक गंभीर समस्या है. यह हमारे समाज के लिए एक बड़ी चुनौती है. इस तरह के सामाजिक अपराध से निपटने के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बातचीत होती रहती है. हालांकि इस समस्या से निपटने के लिए कोई व्यापक समाधान अब तक नहीं निकल पाया है. भारत में इस गंभीर समस्या से जुड़े कई मामले सामने आ चुके हैं.
पहला मामला :पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना में रहने वाली एक युवती की शादी हुई. अपने ससुराल, पति, बच्चों और कामों में व्यस्त रहने वाली उत्तरा (बदला हुआ नाम) सोशल नेटवर्किंग साइट्स के जरिए सिराजुल नाम के युवक से मिली. दोनों की बीच बातें होने लगी. जल्द ही लॉकडाउन खुलने के बाद उत्तरा ने सिराजुल से मुलाकात की और अपना घर छोड़ दिया. पुलिस इस मामले में कार्रवाई नहीं कर पाई क्योंकि महिला अपनी मर्जी से घर छोड़कर सिराजुल के साथ उत्तर प्रदेश में रहने लगी. लेकिन हाल ही में एक स्थानीय एनजीओ ने उत्तर प्रदेश में उत्तरा का पता लगाने की कोशिश की पर उसका कोई पता नहीं चल पाया. जानकारी के अनुसार उसे मुंबई में बेच दिया गया है.
दूसरा मामला :गुजरात में रहने वाली एक कॉलेज छात्रा सोशल मीडिया के जरिए एक युवक से मिली. बाद में दोनों ने साथ रहने का फैसला किया. छात्रा ने युवक के साथ रहने के लिए घर छोड़ दिया, लेकिन युवक ने उसे वेश्यावृत्ति में धकेल दिया. बाद में मुंबई पुलिस ने उसे बचा लिया.
तीसरा मामला : पश्चिम बंगाल के स्वरूपनगर के बसंतघाट के पास एक ईंट भट्ठे में काम कर रही 15 साल की लड़की को बचाया गया. उसे शादी और अच्छे जीवन का वादा करते हुए इस काम में लगा दिया गया था. एक स्थानीय एनजीओ के सदस्य को इसकी जानकारी मिली तो उसने चाइल्ड लाइन (हेल्पलाइन) को सूचित किया. पुलिस और चाइल्ड लाइन के सदस्यों की मदद से लड़की को बचाया गया. जांच में पता चला कि लड़की को पहले पुणे और बाद में देह व्यापार के लिए मुंबई ले जाया जाना था, लॉकडाउन के चलते लड़की को दूसरे शहर नहीं भेजा जा सका.
लॉकडाउन का असर
- कोविड -19 महामारी और इसके संक्रमण को रोकने के लिए किए गए लॉकडाउन से सामान्य जीवन में कई समस्याएं आई हैं. फेस मास्क और सेनिटाइजर के साथ-साथ सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखना अब सामान्य हो गया है. लेकिन, लॉकडाउन से पश्चिम बंगाल, ओडिशा और असम जैसे राज्यों में महिलाओं की तस्करी के मामले कम हुए हैं.
- लॉकडाउन के चलते देश भर में सामान्य ट्रेन सेवाओं के निलंबन और अन्य प्रतिबंधों से इस अवैध व्यापार पर अस्थाई रूप से रोक लग गई है. लेकिन अनलॉक के तीसरे चरण में आते ही कई प्रतिबंधों को हटा दिया गया है, जो इस व्यापार को संचालित करने में भी छूट देगा.
- हाल ही में हैदराबाद के दिलसुखनगर में पुलिस ने एक व्यक्ति को इस मामले में गिरफ्तार किया और पश्चिम बंगाल की दो युवतियों को बचाया.
ऑनलाइन शिकार
पश्चिम बंगाल चाइल्ड लाइन के साथ मिलकर काम कर रहे बरसात उन्नायन प्रस्तुति जैसे गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) का कहना है कि महामारी और लॉकडाउन में ऑनलाइन माध्यम से लड़कियों को शिकार बनाया जा रहा है.
गैर सरकारी संगठन के सचिव रंजीत दत्ता ने बताया कि लगभग 90 प्रतिशत लड़कियों की देह व्यापार के लिए तस्करी की जाती है. बाकी महिलाओं को मसाज पार्लर और एस्कॉर्ट सेवाओं जैसे अन्य कामों में धकेल दिया जाता है. ऑनलाइन और सोशल नेटवर्किंग साइट्स के माध्यम से लड़कियों को शिकार बना लिया जाता है.
पश्चिम बंगाल महिला आयोग की अध्यक्षा लीना गंगोपाध्याय ने बताया कि महामारी के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों और वहां के लोगों पर असर हुआ है. उन्हें काम नहीं मिल रहा है, जिस कारण तस्करी के मामले बढ़े हैं. उन्होंने कहा कि तस्कर उन लोगों को शिकार बनाते हैं जिन्हें नौकरियों की जरूरत होती है.