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लॉकडाउन-अनलॉक : देश में बढ़ रही महिलाओं की तस्करी

महिलाओं की तस्करी देश के लिए गंभीर समस्या है. यह एक ऐसा अपराध है, जिसमें महिलाओं को उनके शोषण के लिए खरीदा और बेचा जाता है. शारीरिक शोषण और देह व्यापार से लेकर बंधुआ मजदूरी तक के लिए तस्करी की जाती है. भारत में लॉकडाउन और अनलॉक के दौरान भी इससे जुड़े कई मामले सामने आए हैं. आइए जानते हैं लॉकडाउन और अनलॉक के दौरान भारत में तस्करी की स्थिति के बारे में...

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Published : Aug 12, 2020, 2:14 PM IST

Updated : Aug 12, 2020, 3:10 PM IST

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महिलाओं की तस्करी

हैदराबाद :महिला तस्करी एक गंभीर समस्या है. यह हमारे समाज के लिए एक बड़ी चुनौती है. इस तरह के सामाजिक अपराध से निपटने के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बातचीत होती रहती है. हालांकि इस समस्या से निपटने के लिए कोई व्यापक समाधान अब तक नहीं निकल पाया है. भारत में इस गंभीर समस्या से जुड़े कई मामले सामने आ चुके हैं.

महिलाओं की तस्करी में वृद्धि

पहला मामला :पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना में रहने वाली एक युवती की शादी हुई. अपने ससुराल, पति, बच्चों और कामों में व्यस्त रहने वाली उत्तरा (बदला हुआ नाम) सोशल नेटवर्किंग साइट्स के जरिए सिराजुल नाम के युवक से मिली. दोनों की बीच बातें होने लगी. जल्द ही लॉकडाउन खुलने के बाद उत्तरा ने सिराजुल से मुलाकात की और अपना घर छोड़ दिया. पुलिस इस मामले में कार्रवाई नहीं कर पाई क्योंकि महिला अपनी मर्जी से घर छोड़कर सिराजुल के साथ उत्तर प्रदेश में रहने लगी. लेकिन हाल ही में एक स्थानीय एनजीओ ने उत्तर प्रदेश में उत्तरा का पता लगाने की कोशिश की पर उसका कोई पता नहीं चल पाया. जानकारी के अनुसार उसे मुंबई में बेच दिया गया है.

दूसरा मामला :गुजरात में रहने वाली एक कॉलेज छात्रा सोशल मीडिया के जरिए एक युवक से मिली. बाद में दोनों ने साथ रहने का फैसला किया. छात्रा ने युवक के साथ रहने के लिए घर छोड़ दिया, लेकिन युवक ने उसे वेश्यावृत्ति में धकेल दिया. बाद में मुंबई पुलिस ने उसे बचा लिया.

तीसरा मामला : पश्चिम बंगाल के स्वरूपनगर के बसंतघाट के पास एक ईंट भट्ठे में काम कर रही 15 साल की लड़की को बचाया गया. उसे शादी और अच्छे जीवन का वादा करते हुए इस काम में लगा दिया गया था. एक स्थानीय एनजीओ के सदस्य को इसकी जानकारी मिली तो उसने चाइल्ड लाइन (हेल्पलाइन) को सूचित किया. पुलिस और चाइल्ड लाइन के सदस्यों की मदद से लड़की को बचाया गया. जांच में पता चला कि लड़की को पहले पुणे और बाद में देह व्यापार के लिए मुंबई ले जाया जाना था, लॉकडाउन के चलते लड़की को दूसरे शहर नहीं भेजा जा सका.

लॉकडाउन का असर

  • कोविड -19 महामारी और इसके संक्रमण को रोकने के लिए किए गए लॉकडाउन से सामान्य जीवन में कई समस्याएं आई हैं. फेस मास्क और सेनिटाइजर के साथ-साथ सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखना अब सामान्य हो गया है. लेकिन, लॉकडाउन से पश्चिम बंगाल, ओडिशा और असम जैसे राज्यों में महिलाओं की तस्करी के मामले कम हुए हैं.
  • लॉकडाउन के चलते देश भर में सामान्य ट्रेन सेवाओं के निलंबन और अन्य प्रतिबंधों से इस अवैध व्यापार पर अस्थाई रूप से रोक लग गई है. लेकिन अनलॉक के तीसरे चरण में आते ही कई प्रतिबंधों को हटा दिया गया है, जो इस व्यापार को संचालित करने में भी छूट देगा.
  • हाल ही में हैदराबाद के दिलसुखनगर में पुलिस ने एक व्यक्ति को इस मामले में गिरफ्तार किया और पश्चिम बंगाल की दो युवतियों को बचाया.

ऑनलाइन शिकार

पश्चिम बंगाल चाइल्ड लाइन के साथ मिलकर काम कर रहे बरसात उन्नायन प्रस्तुति जैसे गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) का कहना है कि महामारी और लॉकडाउन में ऑनलाइन माध्यम से लड़कियों को शिकार बनाया जा रहा है.

गैर सरकारी संगठन के सचिव रंजीत दत्ता ने बताया कि लगभग 90 प्रतिशत लड़कियों की देह व्यापार के लिए तस्करी की जाती है. बाकी महिलाओं को मसाज पार्लर और एस्कॉर्ट सेवाओं जैसे अन्य कामों में धकेल दिया जाता है. ऑनलाइन और सोशल नेटवर्किंग साइट्स के माध्यम से लड़कियों को शिकार बना लिया जाता है.

पश्चिम बंगाल महिला आयोग की अध्यक्षा लीना गंगोपाध्याय ने बताया कि महामारी के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों और वहां के लोगों पर असर हुआ है. उन्हें काम नहीं मिल रहा है, जिस कारण तस्करी के मामले बढ़े हैं. उन्होंने कहा कि तस्कर उन लोगों को शिकार बनाते हैं जिन्हें नौकरियों की जरूरत होती है.

सीमा पार से भी तस्करी

भारत से जुड़े देशों में भी यह धंधा किया जा रहा है. स्थानीय चाइल्ड लाइन प्रभारी सोनू शर्मा ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान महिलाओं की तस्करी में काफी कमी आई है, लेकिन एक बार रेलवे परिचालन पूरी तरह से शुरू हो जाएगा तो यह अवैध धंधा फिर से शुरू हो जाएगा. उन्होंने कहा कि हम भारत-नेपाल और भारत-भूटान की सीमाओं पर बीएसएफ और भारत-बांग्लादेश सीमा पर सशस्त्र सुरक्षा बल के जवानों के साथ मिलकर काम करते हैं जिससे भारत से बाहर आने-जाने वाली सभी महिलाओं पर नजर रखी जा सके.

उत्तर बंगाल में काम करने वाले प्रमुख गैर सरकारी संगठनों में से एक कंचनजंगा बचाव केंद्र के प्रभात पाठक कहते हैं कि न्यू जलपाईगुड़ी रेलवे स्टेशन, बागडोगरा हवाई अड्डा और बिहार में किशनगंज मार्ग से सबसे ज्यादा तस्करी की जाती है.

उन्होंने कहा कि तस्कर लड़कियों को असम और फिर मिजोरम ले जाते हैं जहां से उन्हें दिल्ली और देश के अन्य हिस्सों में ले जाया जाता है. पुलिस को इसकी जानकारी है लेकिन अनलॉक की स्थिति में महिलाओं की तस्करी में वृद्धि हो सकती है.

ग्लोबल ऑर्गनाइजेशन फॉर लाइफ डेवलपमेंट के महासचिव डॉ. राजीव शर्मा और असम में सेव द चिल्ड्रेन के सहायक प्रोग्राम मैनेजर देवो प्रसाद शर्मा का भी यही मानना है. देवो प्रसाद ने कहा कि इसका कारण केवल लॉकडाउन नहीं बल्कि बाढ़ भी है, जिसने असम के 27 जिलों और लाखों लोगों को प्रभावित किया है. इससे ग्रामीण आबादी पर संकट बढ़ गया है. इसके साथ महिलाओं की तस्करी में भी तेजी आ गई है.

अनलॉक से बिगड़ सकती है स्थिति

पिछले पांच महीनों के दौरान भुवनेश्वर के एनजीओ और सरकारी एजेंसियों द्वारा 20 से अधिक बच्चों को बचाया गया है. पुलिस और राज्य चाइल्ड लाइन के स्वयंसेवक लगातार स्थिति की निगरानी कर रहे हैं. उनका कहना है कि लॉकडाउन में ढील के साथ ही स्थिति गंभीर हो गई है.

यही स्थिति सन् 1999 में आए सुपर साइक्लोन के बाद देखी गई थी, जिसने राज्य के तटीय इलाकों को लगभग तबाह कर दिया था. तबाही के बाद इस क्षेत्र में 10,000 से अधिक लड़कियों की तस्करी की गई थी.

पूर्वी क्षेत्र से महिलाओं की तस्करी की दर लॉकडाउन और यात्रा प्रतिबंधों के समय कम थी पर अनलॉक तीन और प्रतिबंधों में ढील के साथ स्थिति गंभीर हो सकती है.

Last Updated : Aug 12, 2020, 3:10 PM IST

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