चंडीगढ़ : कोरोना महामारी के चलते भारत में उद्योग, स्कूल, कॉलेज, मॉल्स बंद हैं. पूरी तरह से अर्थव्यवस्था पर इसका असर हो रहा है. वही बात अगर की जाए विदेशों में रह रहे भारतीयों की तो उन पर भी खासा असर पड़ा है. अगर बात करे अमेरिका की तो अमेरिका में भी राष्ट्रपति ट्रंप ने ऐसे आदेशों पर हस्ताक्षर कर दिए हैं, जिसके अंतर्गत कुछ ग्रीन कार्ड के अप्रूवल पर अस्थाई तौर पर रोक लगा दी गई है. इसके साथ ही कोविड-19 के तहत इमीग्रेशन इंडस्ट्री को भी बहुत ज्यादा नुकसान झेलना पड़ रहा है.
देशभर में लगातार कोरोना वायरस के मामले बढ़ते जा रहे हैं. इसके साथ ही वायरस के कारण होने वाली मौतों में भी इजाफा हो रहा है. जहां हर कोई उम्मीद कर रहा है कि तीन मई को लॉकडाउन हटेगा तो फिर से अर्थव्यवस्था पटरी पर आ जाएगी, लेकिन इमीग्रेशन इंडस्ट्री की अगर बात की जाए तो लगातार उनके क्लाइटंस उनको फोन कर यह जानकारी मांग रहे हैं, पूछ रहे हैं कि लॉकडाउन खुलने के कितने समय बाद वह विदेश जा सकते हैं.
चंडीगढ़ में इमीग्रेशन एक्सपर्ट कमलप्रीत खैरा बताते हैं कि कोरोना वायरस कर के सबसे ज्यादा जिन्हें दिक्कत हुई है. वह है स्टूडेंट विजा पर जो छात्र वहां पढ़ रहे हैं क्योंकि वह छात्र वहां पर काम करके अपना गुजारा करते हैं और अब सोशल डिस्टेंसिंग की वजह से उन्हें जो क्लासेस दी जा रही है वह ऑनलाइन है तो ऐसे में अपना खुद का खर्चा चलाना उन छात्रों के लिए मुश्किल हो रहा है.