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बिहार की लीची इस साल किसानों को नहीं दे पाएगी 'मिठास' !

लॉकडाउन ने बिहार के लीची किसानों की चिंता बढ़ा दी है. किसानों का कहना है कि 'लीची खरीदने के लिए अभी तक कोई ठेकेदार या खरीदार इस साल आगे नहीं आया है. इस कारण किसानों को नुकसान हो सकता है.

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बिहार के लीची किसानों की चिंता बढ़ा दी है

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Published : Apr 28, 2020, 3:58 PM IST

मुजफ्फरपुर: देश-विदेश में अपनी पहचान बना चुके बिहार के लीची उत्पादक इस साल मायूस हैं. मुजफ्फरपुर जिला सहित उत्तर बिहार के लीची उत्पादकों को इस साल लीची के बेहतर पैदावार होने की संभावना है, लेकिन अब तक लॉकडाउन के कारण बाहर से खरीदार व्यापारियों के नहीं पहुंच पाने के कारण वे मायूस हैं. अच्छी पैदावार होने के बावजूद भी किसानों को नुकसान होने की आशंका है.

हालांकि सरकार और लीची अनुसंधान केंद्र किसानों को हरसंभव मदद देने का आश्वासन दे रहा है. लीची के किसानों का कहना है कि बंपर पैदावार के बीच भी इस साल नुकसान की संभावना है. इस बीच, हाल के दिनों में हुई बारिश और ओलावृष्टि ने भी उनकी आशंका को और बढ़ा दिया है.

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'लीची खरीदने के लिए नहीं आ रहे है व्यापारी'
लीची के प्रमुख किसानों और बिहार लीची उत्पादक संघ के महासिचव भोलेनाथ झा कहते हैं कि 'लीची खरीदने के लिए अभी तक कोई ठेकेदार या खरीदार इस साल आगे नहीं आया है. आमतौर पर वे मार्च के अंतिम सप्ताह में आते हैं या कटाई शुरू होने से पहले अप्रैल के पहले सप्ताह तक यहां पहुंच जाते हैं'. भोलेनाथ झा कहते हैं कि सरकारी अधिकारी हमें बाजार की उपलब्धता और लीची के परिवहन का आश्वासन दे रहे हैं, लेकिन इसमें वे कितना सफल हो पाते हैं. यह देखने वाली बात होगी.

किसानों ने बताया कि खरीददार यहां आकर बगीचे में लगे लीची के फलों को देखकर अनुमान के आधार पर ही उनकी खरीद कर लेते है.

लीची किसानों को हो सकता है काफी नुकसान
मुजफ्फरपुर लीची किसानों का कहना है कि ये क्षेत्र शाही लीची के लिए प्रसिद्ध है. लेकिन लॉकडाउन के कारण लीची खरीदने व्यापारी नहीं आ रहे हैं. उनका कहना है कि लीची की खरीद नहीं होने से उनको काफी नुकसान हो सकता है.

किसानों का कहना है कि पिछले दो साल से लीची के कारण एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम (एईएस) होने की अफवाह के कारण लीची व्यापारियों की संख्या कम हुई थी, लेकिन वैज्ञानिकों द्वारा इसे नकार दिए जाने के बाद बाजार के फिर उठने की संभावना है.

'दो स्टेज में होती है बिक्री'
इधर, राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ. विशालनाथ ने कहा कि यहां लीची की बिक्री दो स्टेज में होती है. पहली स्थिति में व्यापारी किसानों को कुछ पैसा पहले दे देते हैं, जबकि दूसरी स्थिति में फल तैयार होने पर किसान बेचते हैं. कई व्यापारी तो तीन-तीन साल के लिए बाग खरीद लेते हैं.

इस वर्ष भी व्यापारी और किसान एक-दूसरे के संपर्क में हैं. लीची के फल आने में एक पखवारे का वक्त है. निदेशक कहते हैं कि केंद्र लीची की मार्केटिंग, पैकिंग और ट्रासंपोर्टेशन की तैयारी कर रहा है. सरकार को पत्र भेजकर लीची की बिक्री से संबंधित संसाधन की व्यवस्था कराने की मांग की गई है.

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