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कोरोना के खिलाफ लड़ाई में 'गेमचेंजर' साबित हो सकती है ये 10 वैक्सीन

भारत में कोरोना वायरस से संक्रमितों की संख्या 93 लाख के पार पहुंच गई है. संक्रमण से 1.3 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हुई है. कोरोना वायरस से फैली महामरी ने सामाजिक और आर्थिक ढांचे के अभूतपूर्व क्षति पहुंचाई है. वैक्सीन आने के बाद ही लोगों राहत मिलने की उम्मीद है. दुनियाभर में करीब 100 से ज्यदा वैक्सीन विकास के चरण में हैं. आइये ऐसी 10 वैक्सीन के बारे में जानते हैं जिनसे उम्मीद लगाई जा सकती है.

कोरोना वायरस
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Published : Nov 27, 2020, 1:42 PM IST

Updated : Dec 3, 2020, 8:06 PM IST

हैदराबाद: कोरोना वायरस से फैली महामारी को एक वर्ष पूरे होने वाले हैं. दुनियाभर में छह करोड़ से ज्यादा लोग इस वायरस से संक्रमित हैं और 14 लाख से ज्यादा लोगों की संक्रमण से मौत हो चुकी है. इस वायरस ने मानव जीवन के हर आयाम को प्रभावित किया है.

पूरी दुनिया की नजर अब वैक्सीन पर है. दुनियाभर में करीब 100 से ज्यादा वैक्सीन विकास के चरण में हैं. कुछ के शुरुआती परिणाम आशाजनक हैं. हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि वैक्सीन आने से सभी चिंताएं नहीं खत्म होगी.

इन ठीकों का हो रहा तीसरे चरण का परीक्षण

आइये ऐसी 10 वैक्सीन के बारे में जानते हैं जिनसे उम्मीद लगाई जा सकती है.

1-भारत बायोटेक – Covaxin

स्वदेशी टीका कोवैक्सीन भारत बायोटेक और आईसीएमआर के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी मिलकर ने मिलकर विकसित किया है.

वैक्सीन निर्माता भारत बायोटेक ने बताया कि वैक्सीन का तीसरे चरण का परीक्षण शुरू हो गया है. फेज-3 के ट्रायल में पूरे भारत से 26 हजार स्वयंसेवक शामिल किए गए हैं. इसका संचालन भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के साथ मिलकर किया जा रहा है.

यह वैक्सीन अगले वर्ष से पहले उपलब्ध नहीं हो पाएगी.

2-जाइडस कैडिला – ZyCoV-D

दवा निर्माता जाइडस कैडिला ने भारत के बायोटेक्नोलजी विभाग के साथ मिलकर ZyCoV-D वैक्सीन विकसित की है. इसका तीसरे दौर का ट्रायल जल्द शुरु होगा. यदि तीसरे दौर में सब कुछ सही रहा तो यह वैक्सीन अगले वर्ष तक लॉन्च हो सकती है.

3-सीरम इंस्टीट्यूट – Covishield/ChAdOx1

कम मूल्य और अधिक तापमान पर भी भंडारण होने की विशेषता को देखते हुए, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी का कोविड-19 टीका भारत के लिए अधिक अनुकूल है और यह मॉडर्ना, फाइजर या स्पूतनिक वी जैसे टीके की तुलना में अधिक व्यवहार्य विकल्प है. हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि प्रस्तुत डेटा अभी प्रारंभिक स्तर के हैं, इसलिए अभी इसका पूर्ण विश्लेषण कर पाना मुश्किल है.

प्रमुख फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के सहयोग से निर्मित होने वाला सीएचएडीओएक्स1 एनकोव-2019 टीका, जिसे भारत में कोविशील्ड के नाम दिया गया है को तीसरे चरण के ​​परीक्षण के दौरान 70.4 प्रतिशत प्रभावी पाया गया.

भारत में कुल 15 केंद्रों पर इसका परीक्षण चल रहा है. बड़ी संख्या में लोग इसके परीक्षण में भाग ले रहे हैं. सब कुछ सही रहा तो अप्रैल 2021 तक यह वैक्सीन बाजार में आ जाएगी. इसकी शुरुआती कीमत करीब 250 रुपये आंकी जा रही है.

4-स्पुतनिक 5 Sputnik-V

इसे रूस के गैमलेया नेशनल सेंटर ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी ने विकसित किया है. रूस ने दावा किया है कि यह वैक्सीन 95 प्रतिशत कारगर है.

जल्द भारत में तीसरे चरण के परीक्षणों का होगा आयोजन

डॉ. रेड्डी के सह अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक जीवी प्रसाद ने कहा कि चरण प्रथम और द्वितीय में स्पूतनिक 5 वैक्सीन के परीक्षण के परिणाम अच्छे आए हैं. जल्द भारत में तीसरे चरण के परीक्षणों का आयोजन किया जाएगा. भारतीय नियामकों की आवश्यकताओं को देखते हुए हम वैक्सीन को भारत में लाने के लिए आरडीआईएफ के साथ साझेदारी कर रहे हैं. उम्मीद है कि स्पूतनिक वी वैक्सीन भारत में कोरोना के खिलाफ लड़ाई में एक विश्वसनीय विकल्प प्रदान करेगा.

इस वैक्सीन की कीमत क्या होगी यह अभी साफ नहीं है.

5-मॉडर्ना – mRNA

अमेरिकी कंपनी मॉडर्ना की वैक्सीन मरीजों को बचाने में 94 प्रतिशत असरदार है. यह वैक्सीन दो से आठ डिग्री सेल्सियस तापमान में पर सबसे ज्यादा सुरक्षित रहती है और माइनस 20 डिग्री सेल्सियस (माइनस चार फारेनहाइट) तापमान में छह महीने तक सुरक्षित रह सकती है.

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के सहयोग से इसे बनाया गया है. इसके परीक्षण में 30 से ज्यादा लोग जुड़े हैं.

इसकी कीमत 2500 रुपये के आस पास होगी, हालांकि इसको स्टोर करने की जटिलताओं के कारण यह शायद ही भारत में उपलब्ध हो पाए.

6-फाइजर-BNT162b2 mRNA

अमेरिकी दवा कंपनी फाइजर (Pfizer) का दावा है कि उसकी कोरोना वैक्सीन क्लीनिकल ट्रायल में 90 प्रतिशत कारगर पाई गई है. अगर सब कुछ ठीक रहा तो इसी महीने के आखिर तक कंपनी को वैक्सीन बेचने की मंजूरी मिल सकती है.

Pfizer अपने पार्टनर BioNTech के साथ कोरोना की वैक्सीन बना रही है. Pfizer अमेरिकन और BioNTech जर्मन दवा कंपनी है.

कंपनी ने दावा किया है कि उसकी वैक्सीन ट्रायल के दौरान 94 संक्रमितों में 90 प्रतिशत कारगर पाई गई है. इन संक्रमितों में कोविड 19 के कम से कम 1 लक्षण जरूर थे. अभी वैक्सीन ट्रायल के ही चरण में है, लेकिन नतीजे उम्मीद जगा रहे हैं कि जल्द ही दुनिया भर में इसके इस्तेमाल का रास्ता साफ हो सकता है.

मॉडर्ना की तरह इसे भी बहुत ठंडे तापमान में स्टोर करना होगा इसलिए इसको ट्रांसपोर्ट करना एक चुनैती होगी और यह साफ नहीं है कि यह भारत कब तक पहुंचेगी.

7-कोरोना वैक-CoronaVac

चीनी दवा निर्माता सीनोवैक बायोटेक कोरोना वैक नाम की एक वैक्सीन विकसित की थी. जुलाई माह में ब्राजील में इसका तीसरे फेज का परीक्षण शुरू हुआ था. इसके बाद इंडोनेशिया और तुर्की में भी इसका परीक्षण शुरू हुआ. सीनोवैक ने वैक्सीन की प्रभावकारिता पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है. हालांकि ब्राजील सरकार ने कहा कि यह सबसे सुरक्षित वैक्सीनों (तीसरे चरण में) में से एक है.

8-नोवावैक्स-Novavax

मैरीलैंड स्थित नोवावैक्स सूक्ष्म कणों पर प्रोटीन लगाकर टीके बनाता है. नोवावैक्स ने यूनाइटेड किंगडम में तीसरे चरण का परीक्षण शुरू किया है, जिसमें 15 हजार लोगों ने भाग लिया है. नोवावैक्स ने भारतीय वैक्सीन बनाने वाली प्रमुख कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के साथ एक वर्ष में 2 बिलियन से अधिक खुराक का उत्पादन करने का समझौता किया है.

9-Ad5

चीनी कंपनी CanSino Biologics ने देश के सैन्य चिकित्सा विज्ञान अकादमी के जीवविज्ञान संस्थान के साथ साझेदारी में एडिनोवायरस पर आधारित एक वैक्सीन विकसित की है. अगस्त में CanSino Biologics ने सऊदी अरब, पाकिस्तान और रूस सहित कई देशों में तीसरे चरण का परीक्षण शुरू किया था. वहीं चीनी सेना ने 'विशेष रूप से आवश्यक दवा' के रूप में एक वर्ष के लिए 25 जून को वैक्सीन को मंजूरी दी थी.

10-Ad26

बोस्टन में बेथ इजराइल डेकोनेस मेडिकल सेंटर ने एक वायरस से वैक्सीन बनाने की विधिविकसित की, जिसे एडेनोवायरस 26, या एड26 के नाम से जाना जाता है. जॉनसन एंड जॉनसन ने इसी विधि से इबोला और अन्य बीमारियों के लिए टीके विकसित किए हैं. वैक्सीन का तीसरे चरण का परीक्षण चल रहा है.

Last Updated : Dec 3, 2020, 8:06 PM IST

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