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दक्षिणी राज्यों से टकराए यह प्रमुख चक्रवात, बरपाया कहर

बंगाल की खाड़ी में उत्पन्न हुआ चक्रवात निवार के चलते आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और पुडुचेरी में भारी बारिश हुई. हालांकि, यह पहला बड़ा चक्रवात नहीं है जो इस साल या पिछले 12 महीनों में दक्षिणी राज्यों से टकराया हो. भारत में कुछ प्रमुख चक्रवात आए हैं. आईए इन पर नजर डालते हैं.

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Published : Nov 26, 2020, 9:38 PM IST

हैदराबाद : चक्रवात निवार आधी रात को तमिलनाडु में तट से टकराया. इस बीच तमिलनाडु, पुडुचेरी और आंध्र प्रदेश के कुछ हिस्सों में तेज हवाएं चलने के साथ मूसलाधार बारिश हुई. मौसम विभाग ने बताया कि निवार अगले तीन घंटों में उत्तर पश्चिम की ओर बढ़ेगा.

मौसम विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार दक्षिण-पश्चिमी बंगाल की खाड़ी में बने निवार चक्रवात ने पश्चिमोत्तर की ओर बढ़ते हुए अति विकराल रूप धारण कर लिया था और चेन्नई से 160 किलोमीटर तथा पुडुचेरी से 85 किलोमीटर दूर तट से टकराया. तूफान 25 नवंबर की मध्यरात्रि (11:30PM) और 26 नवंबर तड़के (02:30AM) के बीच की अवधि में तमिलनाडु और पुडुचेरी के बीच कराइकल और मामल्लापुरम तट से टकराया.

राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति (NCMC) ने एक समीक्षा बैठक की और कहा कि मछुआरों को समुद्र में नहीं जाना चाहिए. इसके अलावा कच्चे मकानों में रहने वाले लोगों को सतर्क रहने के लिए कहा गया है.

चक्रवात गाजा तमिलनाडु में आना वाला नवीनतन चक्रवात है. इससे पहले, चक्रवात वरदा, चक्रवात नीलम, चक्रवात ठाणे, चक्रवात जल और चक्रवात निशा ने कहर बरपाया था.

रामेश्वरम चक्रवात या धनुषकोडी चक्रवात (1964)

1964 के चक्रवात के दौरान, 20 फीट की व्यापक लहर शहर के पूर्व से पाक खाड़ी/जलसंधि से शहर पर आक्रमण करते हुए आई, जिसने पूरे शहर को बर्बाद कर दिया. साथ ही पंबन पुल से गुजर रही एक यात्री रेलगाड़ी इसकी चपेट में आ गई, जिसमें लगभग 115 लोग सवार थे. सभी यात्रियों की मौत हो गई.

यह 17 दिसम्बर 1964 को दक्षिणी अंडमान समुद्र में 5 डिग्री उत्तर 93 डिग्री पूर्व में अपने केंद्र के साथ दबाव के निर्माण के साथ प्रारंभ हुआ. 19 दिसम्बर को यह एक एक तीव्र चक्रवातीय तूफान के रूप में परिणत हो गया. रामेश्वरम का तूफान कम अक्षांश पर नहीं निर्मित हुआ था, लेकिन यह लगभग उसी अक्षांश एक भयंकर चक्रवातीय लहर के रूप में तीव्र हो गया, जो वास्तव में एक दुलर्भ घटना है. 21 दिसम्बर 1964 के बाद, 250 से 350 मील प्रति घंटे की दर से इसकी गति, लगभग एक सीधी रेखा में, पश्चिम की ओर हो गई.

एन अननेमड साइक्लोन (1994)

वर्ष 1994 में बंगाल की खाड़ी में बना एक गहरा अवसाद चक्रवात के रूप में परिवर्तित हो गया. यह चक्रवात 115 किमी / घंटा की गति से चेन्नई और कुड्डालोर के बीच तटों तक पहुंच गया. चक्रवात के चलते तेज हवाएं चलने लगीं और भारी बारिश ने तमिलनाडु में 26 लोगों की जान ले ली. प्राकृतिक आपदा की तैयारियों में कमी के कारण जनजीवन और संपत्ति को काफी नुकसान हुआ.

ट्रिपल साइक्लोन्स (2005)

प्यार, बाज और फानूस इन तीन चक्रवातों में से एक मेगा-साइक्लोन बना, जो 7 दिसंबर 2005 को 101 किमी / घंटा की गति से चल रही हवा के साथ वेदारण्यम तट पहुंचा. उत्तरी तमिलनाडु में लोग इस चक्रवात से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए. कुड्डालोर और चिदंबरम में चक्रवात के बाद हुई भारी बारिश से घरों में पानी भर गया.

साइक्लोन निशा (2008)

चक्रवात फानूस के बाद 2008 में साइक्लोन निशा ने तमिलनाडु में दस्तक दी. निशा चक्रवात बंगाल की खाड़ी में बना था. 25 नवंबर को हवा की गति 83 किलोमीटर प्रति घंटा थी जब निशा कराइकल तट से टकराया. चक्रवात ने तंजौर शहर को नष्ट कर दिया था. निशा चक्रवात का कहर इतना भयानक था कि इसके चपेट में आए करीब 189 लोगों की जान चली गई थी. चक्रवात के कारण 2,800 से अधिक पशुओं की मृत्यु हो गई और 20 लाख एकड़ खेती योग्य भूमि बंजर हो गई.

साइक्लोन जल (2010)

साइक्लोन जल दक्षिण चीन सागर में 2010 में बना था, जिसके बाद चक्रवात हिंद महासागर की ओर बढ़ने लगा. इसके चलते 6 नवंबर को चेन्नई में 111 किमी / घंटा की गति से हवाएं चलने लगीं. लगभग 70,000 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित कर दिया गया था, लेकिन करीब 54 लोगों की चक्रवात की चपेट में आने से मौत हो गई.

चक्रवात थाने (2011)

चक्रवात थाने की उत्पत्ति उत्तरी हिन्द महासागर में हुई थी. इसने दिसंबर के अंतिम सप्ताह में तमिलानाडु के तटीय क्षेत्रों में भयंकर तबाही मचाई. यह चक्रवात 28 दिसंबर 2011 को 165 किमी / घंटा से अधिक की रफ्तार से चलने वाली हवाओं के साथ कुड्डलोर और पुदुचेरी के समुद्री तटों से टकराया. इस विनाशकारी चक्रवात ने 48 लोगों की जान ली.

चक्रवात नीलम (2012)

चक्रवात नीलम 2012 में उत्तरी हिंद महासागर में आया. 28 अक्टूबर को बंगाल की खाड़ी के ऊपर कम दबाव का एक क्षेत्र बना, जिससे यह चक्रवात आया. निलम 83 किमी / घंटा की गति से चलने वाली हवाओं के साथ महाबलीपुरम के तटों से टकरया. इससे लगभग 1,50,000 लोग प्रभावित हुए थे.

चक्रवात वरदा (2016)

वरदा चक्रवात बंगाल की खाड़ी में उठा एक चक्रवाती तूफान था. 12 दिसम्बर 2016 को यह तूफान आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के तट से टकराया. चक्रवाती तूफान वरदा अंडमान द्वीप के पास एक गहरे अवसाद के रूप में बना. चक्रवात से लगभग 1,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था. चक्रवात वरदा के चलते अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में भारी बारिश हुई. चेन्नई, कांचीपुरम और विशाखापत्तनम इससे सबसे ज्यादा प्रभावित थे. चक्रवात से 38 लोगों की जान चली गई थी.

चक्रवात ओखी (2017)

2017 के उत्तर हिंद महासागर का सबसे तेज़ तूफान, ओखी 29 नवंबर को श्रीलंका के पास उत्पन्न हुआ. ओखी ने केरल, तमिलनाडु और गुजरात के तटीय क्षेत्रों को प्रभावित किया. इस चक्रवात के चलते 245 लोग मारे गए थे.

चक्रवात गाजा 2018

गाजा चक्रवात तमिलनाडु और पुदुचेरी के तट से टकराया. 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चलने के साथ तूफान ने व्यापक तबाही मचाई. आधिकारिक अनुमान के अनुसार, कम से कम 46 लोग मारे गए और 500 से अधिक राहत शिविरों में 251,600 से अधिक लोगों को रखा गया.

चक्रवात सागर, मेकुनू, लुबान और तितली के बाद 2018 में उत्तरी हिंद महासागर में आया गाजा चक्रवात पांचवां गंभीर चक्रवाती तूफान था. 5 नवंबर 2018 को थाईलैंड की खाड़ी के ऊपर एक कम दबाव प्रणाली के रूप में बनने के बाद यह दक्षिणी थाईलैंड और मलय प्रायद्वीप से होते हुए अंडमान सागर से टकराया. कमजोर होने के बाद यह 10 नवंबर 2018 को बंगाल की खाड़ी के ऊपर एक अवसाद में बदल गया और 11 नवंबर 2018 को चक्रवाती तूफान के रूप में परिवर्तित हो गया.

2019 में भारत के दक्षिण तट से टकराए प्रमुख चक्रवात

चक्रवात अम्फान : साल 2020 का पहला बड़ा चक्रवात, सुपर साइक्लोनिक तूफान अम्फान ने पश्चिम बंगाल के साथ-साथ पड़ोसी देश बांग्लादेश को भी प्रभावित किया. पूर्वी राज्य ओडिशा भी अम्फान की चपेट में आया. 16 मई को उत्पन्न हुए अम्फान 21 मई तक इतना तेज हो गया कि इससे व्यापक स्तर पर विनाश हुआ. 100 से अधिक लोगों की जान गई और जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया.

चक्रवात निसर्ग : गंभीर चक्रवाती तूफान निसर्ग उष्णकटिबंधीय चक्रवात था जो भारतीय राज्य महाराष्ट्र और गुजरात के समुद्र तट से टकराया. निसर्ग अरब सागर में एक गहरे अवसाद के चलते उत्पन्न हुआ. यह चक्रवाती तूफान, अम्फान तूफान के आने के महज दो सप्ताह बाद दक्षिण तट से टकराया. मुंबई इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ. कई लगों की जान भी गई. गुजरात और दमन और दीव दादरा नगर हवेली (डीएनएचडीडी) में भी हाई अलर्ट जारी कर दिया गया था.

चक्रवात फैनी : उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में आए चक्रवात फैनी से तमिलनाडु, केरल और ओडिशा प्रभावित हुए. 1999 के बाद ओडिशा में आया यह सबसे शक्तिशाली उष्णकटिबंधीय चक्रवात था. फैनी जो 26 अप्रैल 2019 को उत्पन्न हुआ और पांच मई को विघटित हुआ. इस चक्रवात ने 89 लोगों की जान ली.

चक्रवात बुलबुल : एक और चक्रवात जिसने पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश दोनों को प्रभावित किया. बुलबुल एक बहुत गंभीर चक्रवाती तूफान था. उष्णकटिबंधीय चक्रवात बुलबुल पांच नवंबर को उत्पन्न हुआ और 11 नवंबर को विघटित हो गया. इसने 41 लोगों की जान ली. यह श्रेणी 3 का दूसरा तूफान था. बुलबुल ने बांग्लादेश के अलावा म्यांमार और थाईलैंड जैसे पड़ोसी देशों को भी प्रभावित किया था.

चक्रवात वायु : 2019 में आया वायु एक मजबूत उष्णकटिबंधीय चक्रवात था. 1998 के बाद वायु चक्रवात गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में आने वाला सबसे मजबूत चक्रवात था. यह 10 जून 2019 को उत्पन्न हुआ और 17 जून को विघटित हो गया. इससे 6.6 मिलियन से अधिक लोग प्रभावित हुए थे.

चक्रवात महा : चक्रवात महा के चलते तमिलनाडु में भारी बारिश हुई. लक्षद्वीप और उससे सटे दक्षिण-पूर्व अरब सागर और मालदीव क्षेत्र पर गहरा अवसाद के चलते यह चक्रवात बना और 25 किमी प्रति घंटे की गति से चलने वाली हवाएं उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ीं, जिससे चक्रवाती तूफान महा तेज हो गया. चक्रवाती तूफान महा ने मुख्य रूप से महाराष्ट्र, गुजरात और केरल राज्यों को प्रभावित किया. महा अवसाद के रूप में शुरू हुआ, आगे चलकर साइक्लोनिक स्टॉर्म और अंतत: अत्यंत गंभीर साइक्लोनिक स्टॉर्म बन गया. 30 अक्टूबर 2019 को उत्पन्न हुआ चक्रवात महा सात नवंबर को विघटित हो गया.

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