नई दिल्ली: दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का 81 साल की उम्र में निधन हो गया है. शीला दीक्षित वो नाम है, जो भारतीय राजनीति के इतिहास से कभी नहीं मिट सकता है. 31 मार्च 1938 में पंजाब के कपूरथला में जन्मी शीला दीक्षित ने दिल्ली के एस्कॉर्ट हॉस्पिटल में आखिरी सांस ली.
भारतीय राजनीति में उनके कद का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने एक या दो नहीं बल्कि तीन बार दिल्ली के मुख्यमंत्री का पद न सिर्फ संभाला बल्कि दिल्ली के विकास की तस्वीर भी बदल दी.
राजनीति में धाक जमाने वाली शीला ने दिल्ली के कॉन्वेंट ऑफ जीसस एंड मैरी स्कूल से पढ़ाई की और फिर दिल्ली यूनिवर्सिटी के मिरांडा हाउस कॉलेज से मास्टर्स ऑफ आर्ट्स की डिग्री हासिल की.
उनका राजनीतिक सफर 1984 से उत्तर प्रदेश के कन्नौज जिले से शुरू हुआ. शीला 1984 से 1989 तक कन्नौज की सांसद रहीं. इस दौरान वह लोकसभा की एस्टिमेट्स कमिटी का हिस्सा भी रहीं.
शीला दीक्षित को दिल्ली का चेहरा बदलने का श्रेय दिया जाता है और इस बात में कोई दोराय नहीं... उनके कार्यकाल के दौरान दिल्ली में कई विकास कार्य हुए. वह 1998 में पहली बार दिल्ली की मुख्यमंत्री बनीं. उसके बाद 2003 और 2008 में भी दिल्ली की सत्ता पर शीला ही काबिज रहीं. उनका राजनीतिक सफर बस यहीं नहीं थमा, मुख्यमंत्री रहने के बाद शीला दीक्षित केरल की राज्यपाल भी नियुक्त हुईं.
उनके कार्यकाल की खासबात यह है कि इस दौरान केंद्र में भाजपा की सरकार रही लेकिन इसके बावजूद शीला दीक्षित ने बेहतर तालमेल और अपनी सूझबूझ से ऐसे कई बड़े प्रोजेक्टस को लागू किया, जिससे दिल्ली और वहां रहने वालों की जिंदगी में बड़ा बदलाव आया.