नई दिल्ली : दिल्ली के उप राज्यपाल अनिल बैजल ने सोमवार को जिला मजिस्ट्रेटों और उपायुक्तों को चेतावनी दी कि कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन के दौरान किसी भी प्रकार की ढिलाई बरतने पर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सकती है. इससे एक दिन पहले ही केंद्र सरकार ने दिल्ली सरकार के दो वरिष्ठ अधिकारियों को कर्तव्य में 'गंभीर चूक' को लेकर निलंबित कर दिया था.
उप राज्यपाल ने अधिकारियों को यह निर्देश भी दिया कि लॉकडाउन के दौरान बिना ई-पास या वाजिब कारण के घूमते पाए गए लोगों को प्रशासन द्वारा स्थापित जिला आश्रय स्थलों में भेजा जाए.
बैजल ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और अधिकारियों के साथ वीडियो लिंक के माध्यम से बैठक की और उन्हें 21 दिन के लॉकडाउन का कड़ाई से पालन करने को कहा.
उप राज्यपाल ने बाद में एक बयान में कहा कि आवश्यक सेवाओं का लाभ उठाने के अलावा किसी को सड़कों पर उतरने की इजाजत नहीं दी जाएगी.
केंद्र सरकार ने रविवार को अतिरिक्त मुख्य सचिव (परिवहन) रेणु शर्मा और प्रधान सचिव (वित्त) राजीव वर्मा को घातक वायरस को फैलने से रोकने के लिए जारी निर्देशों का कड़ाई से पालन नहीं करने पर निलंबित कर दिया. वर्मा संभागीय आयुक्त की जिम्मेदारी भी संभाल रहे थे.
उप राज्यपाल कार्यालय ने कहा कि अंतरराज्यीय सीमाओं को पूरी तरह सील किया जाए और केवल आवश्यक आपूर्तियों की अनुमति दी जाए.
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उप राज्यपाल ने अधिकारियों से कहा कि किसी भी स्थिति में भीड़ की इजाजत नहीं दी जा सकती. उन्होंने कहा, 'अगर लोग कर्फ्यू पास के बिना सड़कों पर मिले तो उन्हें पकड़कर पास के आश्रय स्थलों में भेज दिया जाएगा.'
उन्होंने कहा, 'जिलाधिकारियों और उपायुक्तों को लॉकडाउन को सफल बनाने के लिए निम्न स्तर तक के स्टाफ को संवेदनशील बनाना चाहिए.'
राष्ट्रीय राजधानी में अब तक कोरोना वायरस के 72 मामलों की पुष्टि हो चुकी है.