कोलकाता : पांच दिवसीय महोत्सव के दौरान हजारों की संख्या में दर्शकों का स्वागत करने वाली 263 साल पुरानी शोभा बाजार राजबाड़ी दुर्गा पूजा में इस बार कोविड-19 महामारी के कारण आगंतुकों की भीड़ कम ही है.
दुर्गा पूजा पंडालों में दर्शकों की भीड़ कम राजबाड़ी दुर्गा पूजा परिवार के एक सदस्य ने कहा कि महामारी के मद्देनजर एक बार में सिर्फ 25 लोगों को ही परिसर में प्रवेश की इजाजत दी जा रही है. राजा नवकृष्ण देब ने 1757 में इसकी शुरुआत की थी.
सेंट्रल बांकुरा की केंद्रीय दुर्गापूजा. नवकृष्ण के दत्तक पुत्र गोपी मोहन के वंशज सुमित नारायण देब ने कहा कि हमने आंगन में प्रवेश से पहले सैनिटाइजर सुरंग स्थापित की है. एक बार में सिर्फ 25 लोगों को प्रवेश की इजाजत दी जा रही है. हमने तापमान जांच की भी व्यवस्था की है और मास्क पहनना अनिवार्य किया है.
हावड़ा बेलूर मठ की दुर्गा पूजा इस पूजा को शोभा बाजार राजबाड़ी बोड़ो तरफ के तौर पर भी जाना जाता है. उन्होंने कहा कि पूर्व के वर्षों में यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते थे, लेकिन इस बार हालात अलग हैं.
बोलपुर की हिरालिनी दुर्गोत्सव शोभा बाजार राजबाड़ी के दूसरी तरफ छोटा राजबाड़ी है, जिसका निर्माण भी नवकृष्ण ने बाद में करवाया था, जब उनके बेटे राजकृष्ण का जन्म हुआ था. वहां भी उनके वंशजों द्वारा 231 वर्षों से दुर्गा पूजा का आयोजन किया जा रहा है.
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शोभा बाजार राजबाड़ी छोटो तरफ पूजा के प्रभारी आलोक कृष्ण देब ने बताया कि महामारी की वजह से दर्शकों के प्रवेश पर पाबंदी है. सिर्फ परिवार के करीबी लोगों को ही इजाजत दी जा रही है.
शहर के अन्य प्रमुख घरेलू पूजा मंडपों में से एक बोनेदी बाड़िर है. जानबाजार में रानी रसमणि के घर पर 200 साल से भी ज्यादा समय से दुर्गा पूजा मनाई जाती है, लेकिन इस बार यहां भी परिसर में दर्शकों को प्रवेश की अनुमति नहीं है.
परिवार के सदस्य प्रसून हाजरा ने कहा कि आंगन में जहां माता का दरबार सजा है हम वहां दर्शकों को तो छोड़िये दूर के रिश्तेदारों और पारिवारिक मित्रों को भी आने नहीं दे सकते. सिर्फ करीबी रिश्तेदारों को ही इजाजत दी जा रही है. उन्होंने कहा कि सिर्फ पुजारी और उनके सहायकों को ही प्रतिमा के करीब जाने की इजाजत है.