हैदराबाद : अंतिम रोमन सम्राट नीरो के शासन ने मानव इतिहास की प्रतिष्ठा को काला कर दिया. उन्होंने 30 साल की उम्र में आत्महत्या कर ली और अपना शासनकाल समाप्त कर दिया. एक प्रसिद्ध अभिव्यक्ति के अनुसार वह रोम के लोगों को प्रताड़ित करता था और संगीत बजवाता था. वह एक निष्प्रभावी नेता था.
सम्राट नीरो अपनी क्रूरता और विलक्षणता के लिए कुख्यात था. हमारे समय में भी कुछ नेता ऐसे हैं, जो नीरो से कम नहीं हैं. ऐसे समय में जब पूरी दुनिया कोरोना संक्रमण से जूझ रही है, उन्होंने अपने ही लोगों को मरने के लिए बीच राह में छोड़ दिया है.
आइए एक नजर डालते हैं मौजूदा दौर के कुछ ऐसे ही नेताओं पर...
नेशनल सेंटर फॉर मेडिकल इंटेलिजेंस (NCMI), जो यूएस डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी (DIA) का एक घटक है. इसमें लगभग सौ वायरोलॉजिस्ट, जीवविज्ञानी, रासायनिक इंजीनियर और सैन्य चिकित्सक शामिल हैं. इस एजेंसी द्वारा फरवरी में चेतावनी दी गई थी कि अगर तत्काल उपाय नहीं किए गए तो कोरोना वायरस अमेरिका के लिए कयामत पैदा कर सकता है.
उनकी चेतावनियों को नकारते हुए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने नागरिकों को आश्वासन दिया कि उन्हें घबराने की जरूरत नहीं है, लेकिन जैसे-जैसे कोरोना के मामलों की संख्या बढ़ी ट्रंप ने अपने शब्दों से यू टर्न ले लिया.
कोरोन वायरस के उपचार के लिए कीटाणुनाशक इंजेक्शन लगाने जैसे विचारों का प्रस्ताव करने के बजाए उन्होंने कोरोना रोगियों की संख्या को कम करने के लिए परीक्षण दर को कम करने का सुझाव दिया.
रूस की यादों में यूएसएसआर बना हुआ है, जिसने अमेरिका को हर क्षेत्र में कड़ी प्रतिस्पर्धा दी. रूस में हर दिन सकारात्मक मामलों में उछाल आ रहा है. इसके बावजूद पुतिन ने स्थिति नियंत्रण करने के लिए कुछ नहीं किया.
इसके बाद भी जब विशेषज्ञों ने उन्हें मार्च में स्वास्थ्य संकट के बारे में चेतावनी दी तो उन्होंने कोई ध्यान नहीं दिया. रूस ने चिकित्सा आपूर्ति, वेंटिलेटर और अन्य महत्वपूर्ण उपकरण की कमी होने के कारण अपने उपकरण इटली भेज दिए.
एक महिला चिकित्सक, जिसने मास्क और पीपीई की घरेलू कमी की सार्वजनिक रूप से आलोचना की, तो उसको सहयोगियों के साथ कैद कर दिया गया. यह अनुमान है कि स्वास्थ्य सेवा संकट के बाद लगभग 80 लाख नौकरियों में कटौती हुई है.
स्थिति की गंभीरता का अंदाजा होने के बाद पुतिन के कार्यालय ने एक नोट जारी किया, जिसमें वायरस को कमतर आकने लिए आधिकारिक मशीनरी को जिम्मेदार ठहराया गया.
इस फेहरिस्त में अगला नाम ब्राजील के राष्ट्रपति जैर बोल्सोनारो का है. ब्राजील में कोविड 19 का पहला मामला 26 फरवरी को सामने आया, लेकिन बोल्सनरो ने इस स्थिति के लिए प्रेस को जिम्मेदार ठहराते हुए अपना पलड़ा झाड़ने की कोशिश की.