लेह: लद्दाख के प्रमुख नेताओं ने संविधान की छठी अनुसूची के तहत इस क्षेत्र को एक आदिवासी क्षेत्र घोषित करने की केन्द्र से गुहार लगाते हुए कहा कि यहां के लोगों की सबसे बड़ी चिंता अपनी जमीन और पहचान की रक्षा करना है.
स्थानीय लोगों ने हालांकि केन्द्र के अनुच्छेद 370 के प्रावधान हटाने के फैसले का स्वागत किया है, लेकिन उन्हें डर है कि बाहरी लोगों के यहां आने से इस क्षेत्र की जनसांख्यिकी में बदलाव आएगा, जिससे उनकी संस्कृति एवं पहचान को खतरा पैदा होगा.
लद्दाख के सांसद जमयांग सेरिंग नामग्याल ने जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा को एक ज्ञापन में कहा कि यह मुख्य रूप से आदिवासी क्षेत्र है, जहां 98 प्रतिशत आबादी आदिवासी है.
भाजपा सांसद ने शनिवार को यहां नौ दिवसीय 'आदि महोत्सव' के शुभारंभ पर कहा, 'लद्दाख को केन्द्र शासित प्रदेश घोषित करने के केन्द्र के फैसले के बाद आदिवासी आबादी की सबसे बड़ी चिंता अपनी पहचान, संस्कृति, भूमि और अर्थव्यवस्था की रक्षा करना है.'