आजमगढ़ :दीपावली का त्योहार नजदीक आते ही घरों और बाजारों में तैयारियां शुरू हो गईं हैं. लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा के साथ ही दीयों के निर्माण में भी तेजी आ गई है. ऐसे में आजमगढ़ के एक महिला संगठन गाय के गोबर से लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा के साथ ही दीये और इको फ्रेंडली पूजन सामग्री बना रहा है.
गायों की खराब हालत देखकर आया ख्याल
महिला संगठन के मार्केटिंग का कार्य देखने वाले अंशुमान राय का कहना है कि कुछ दिनों पहले एक वीडियो में गाय को तड़पकर मरते हुए देखा. इसके बाद ख्याल आया कि क्यों न गाय के गोबर से शुद्ध दीये और लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां बनाईं जाएं. इससे होने वाली आमदनी से गायों की स्थिति सुधारी जा सकेगी.
आजमगढ़ में गोबर से यूं बन रहे लक्ष्मी-गणेश गोबर में मिलाते हैं तुलसी का बीज
लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा और दीयों के निर्माण से पूर्व गाय के शुद्ध गोबर में तुलसी के बीज का मिश्रण किया जाता है. ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि इन दीयों और प्रतिमाओं को नदी में प्रवाहित न करके मिट्टी के गमलों में डाला जा सके. गोबर मिट्टी के लिए खाद बन जाता है और तुलसी के बीज से एक पौधा तैयार हो जाता है.
गोबर से बन रहे लक्ष्मी-गणेश महिलाओं और युवतियों को मिला है स्वरोजगार
सज्जा संस्थान की डायरेक्टर संतोष सिंह के मुताबिक गोबर के इको फ्रेंडली पूजन सामग्री तैयार करने में कई महिलाएं और युवतियां लगी हुईं हैं. इस काम में अभी तक कुल 100 के करीब महिलाएं और युवतियां लगी हुईं हैं, जो अपने घरों और संस्थान के कार्यालय से कार्य कर रहीं हैं. संतोष सिंह का कहना है कि गाय के गोबर से निर्मित इको-फ्रेंडली पूजन सामग्री पूरी तरह से आस्था के साथ पर्यावरण का समावेश है. इससे किसी भी प्रकार का प्रदूषण नहीं होता है. पूजा के बाद इसे मिट्टी के गमलों में कंपोस्ट कर दिया जाता है और यह मिट्टी में खाद का काम करती है.
गोबर से बन रहे लक्ष्मी-गणेश गाय के महत्व को बढ़ाने का है प्रयास डायरेक्टर संतोष सिंह का कहना है कि गाय को हिन्दू धर्म में पवित्र माना गया है, लेकिन दूध नहीं देने पर इसे पशु पालकों द्वारा छोड़ दिया जाता है. ऐसे में जब इसके गोबर को लोगों से खरीदा जाएगा, तो लोग इन्हें रखेंगे. इनके रहने से लोगों को किसी प्रकार का नुकसान नहीं होगा.