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दुष्कर्म जैसे मामलों के लिए 1023 त्वरित अदालतें बनेंगी, योजना में 24 राज्य और UT शामिल - Ravi Shankar Prasad

विधि मंत्रालय ने कहा कि बच्चों और महिलाओं के बलात्कार से संबंधित 1.60 लाख से अधिक मामलों के निपटारे के लिए 24 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश (UT) 1,023 विशेष त्वरित अदालतें (एफटीएससी) की स्थापना के लिए एक योजना में शामिल हुए हैं. विधि मंत्रालय के न्याय विभाग के दस्तावेज के अनुसार हर एक ऐसी अदालत से प्रत्येक तिमाही में 41-42 मामलों और वर्ष भर में कम से कम 165 मामलों का निपटारा करने की उम्मीद है. पढ़ें पूरा विवरण...

केंद्रीय कानून मंत्री
रविशंकर प्रसाद

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Published : Jan 9, 2020, 11:02 PM IST

नई दिल्ली : विधि मंत्रालय ने कहा कि बच्चों और महिलाओं के बलात्कार से संबंधित 1.60 लाख से अधिक मामलों के निपटारे के लिए 24 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश 1,023 विशेष त्वरित अदालतें (एफटीएससी) की स्थापना के लिए एक योजना में शामिल हुए हैं.

ये मामले देश भर की विभिन्न अदालतों में लंबित हैं.

मंत्रालय ने जारी एक बयान में कहा कि कुल 31 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में से अब तक 24 राज्य इस योजना में शामिल हो चुके हैं.

इन प्रदेशों में आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, दिल्ली, नगालैंड, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना, त्रिपुरा, चंडीगढ़, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में शामिल हैं.

मिजोरम, सिक्किम, मेघालय, केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू कश्मीर तथा लद्दाख और पुडुचेरी इस योजना में अभी तक शामिल नहीं हुए हैं. मंत्रालय के एक दस्तावेज के अनुसार इन विशेष अदालतों में से प्रत्येक से प्रति वर्ष 165 ऐसे मामलों को निपटाने की उम्मीद की जाती है.

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ऐसी कुल 1,023 अदालतें स्थापित की जाएंगी जिनमें से 389 अदालतें उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुसार यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पोक्सो) कानून के मामलों की सुनवाई करेंगी.

विधि मंत्रालय के न्याय विभाग के दस्तावेज के अनुसार हर एक ऐसी अदालत से प्रत्येक तिमाही में 41-42 मामलों और वर्ष भर में कम से कम 165 मामलों का निपटारा करने की उम्मीद है.

दस्तावेज के अनुसार, देश भर की विभिन्न अदालतों में बलात्कार और पोक्सो कानून के कुल 1,66,882 मामले लंबित हैं.

देश में 389 जिले हैं ऐसे हैं जहां पोक्सो कानून के तहत लंबित मामलों की संख्या 100 से अधिक है. इसलिए, उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुसार इन जिलों में प्रत्येक में एक विशेष पोक्सो अदालत स्थापित की जाएगी जहां अन्य मामलों की सुनवाई नहीं होगी.

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