नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर के रोशनी घोटाले पर कानून मंत्री रविशंकर ने स्थानीय नेताओं पर गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि रोशनी एक्ट के तहत फारूक अब्दुल्ला सहित कई अन्य नेताओं और अधिकारियों ने प्रदेश में वन भूमि और सरकारी जमीन पर कब्जा किया.
हालांकि 2001 के रोशनी एक्ट को जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट ने असंवैधानिक घोषित कर दिया था और आदेश दिया था कि जिन लोगों को जमीन दी गई थी उनकी पहचान कर उनकी सूची बनाई जाए.
उन्होंने आरोप लगाया कि फारूक अब्दुल्ला ने इसके तहत जम्मू कश्मीर के वन भूमि कब्जा कर रखा है. 1998 में उन्होंने तीन कैनाल जमीन खरीदी, जबकि उन्होंने सात कैनाल जमीन पर कब्जा किया, जो कि वन भूमि और सरकारी भूमि थी. इस जमीन की कीमत करोड़ों में है.
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इस दौरान केंद्रीय मंत्री ने कई अन्य नेताओं और अधिकारियों के नाम का उल्लेख करते हुए कहा कि इस पूरे घोटाले में फारूक अब्दुल्ला की बहन सुरैया भी रोशनी कानून के तहत तीन कैनाल लैंड की लाभार्थी हैं.
इतना ही नहीं कानून मंत्री ने कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस का जम्मू और श्रीनगर वाला ऑफिस भी सरकारी जमीन पर गैरकानूनी तरीके से बना है. उन्होंने कहा कि यह ताकतवर लोगों द्वारा फॉरेस्ट लैंड की लूट है.
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क्या है रोशनी एक्ट
रोशनी एक्ट सरकारी जमीन पर कब्जा करने वालों को मालिकाना हक देने के लिए बनाया गया था. इसके बदले उनसे एक निश्चित रकम ली जाती थी, जो सरकार की ओर से तय की जाती थी. 2001 में फारूक अब्दुल्ला की सरकार ने कानून लागू किया था.
25,000 करोड़ रुपये एकत्र करने की थी योजना
नवंबर 2001 में राज्य विधानमंडल द्वारा इसे अधिनियमित किया गया और मार्च 2002 में इस कानून को लागू किया गया था. इसके तहत राज्य में जल विद्युत उत्पादन के लिए धन जुटाने की परिकल्पना की गई थी, जिसमें राज्य की भूमि को निजी स्वामित्व में स्थानांतरित करके 25,000 करोड़ रुपये एकत्र करने की योजना थी.