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विशेष : सबकी जांच करना नहीं है व्यावहारिक विकल्प

ईटीवी भारत से विशेष बातचीत के दौरान पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष और आंध्र प्रदेश सरकार के सार्वजनिक स्वास्थ्य के सलाहकार प्रोफेसर के श्रीनाथ रेड्डी ने कहा कि टेस्टिंग किट के इस्तेमाल से पहले उसकी जांच की जानी चाहिए. स्कूलों को पाठ्यक्रम में कोविड-19 को भी शामिल करना चाहिए. भारत में लॉकडाउन की मदद से कोरोना वायरस के प्रसार पर काबू पाया गया. भारत वैक्सीन विकसित करने में सक्षम है. लॉकडाउन के बाद भी सामाजिक दूरी का पालन किया जाना चाहिए.

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Published : Apr 29, 2020, 6:50 PM IST

Updated : Apr 29, 2020, 9:00 PM IST

Corona virus in india
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हैदराबाद : भारत में कोरोना वायरस से संक्रमितों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. देशभर में 31 हजार से ज्यादा लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हैं. इस महामारी के कारण भारत कई मोर्चों पर एक साथ लड़ाई लड़ रहा है. इस महामारी ने जीवन के हर पहलू को प्रभावित किया है.

यह भयावह स्थिति कई सवाल पैदा करती है. ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब प्रोफेसर के श्रीनाथ रेड्डी ने दिए. रेड्डी पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष हैं और आंध्र प्रदेश सरकार के सार्वजनिक स्वास्थ्य के सलाहकार हैं.

अमेरिका और चीन में कोरोना वायरस से फैली महामारी के कारण हालात बेहद खराब हैं. भारत इस वायरस को फैलने से रोकने में कितना सफल रहा? लॉकडाउन का देश पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

इसके जवाब में रेड्डी ने कहा कि भारत में स्थिति अन्य देशों से काफी अलग है. इस वायरस के बारे में ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है, लिहाजा लोगों को अत्यधिक सावधानी बरतने की जरूरत है. देशव्यापी लॉकडाउन घोषित करना एक सराहनीय कदम है. यह साफ है कि इससे वायरस के प्रसार को रोकने में मदद मिली है. सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के सकारात्मक परिणाम देखने के मिल रहे हैं.

130 करोड़ लोगों के देश में क्या जांच की तत्कालीन दर पर्याप्त है?

इस पर रेड्डी ने कहा के सभी 130 करोड़ लोगों की जांच कर पाना लगभग असंभव है. जिन लोगों में लक्षण हैं, उन्हीं की जांच करना सही है. केवल जांच में सभी संसाधनों को खपा देना उचित नहीं है.

वायरस को रोकने के लिए किस तरह का शोध हो रहा है?

इस पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि कई भारतीय कंपनियां वैक्सीन बनाने के लिए आगे आईं हैं. इस वायरस का इलाज खोजने और इसके वैक्सीन बनाने में 18 माह का समय लग सकता है. भारत किसी भी तरह की दवा बनाने में सक्षम है. इससे पहले भी भारत ने कम कीमत वाली हेपेटाइटिस वैक्सीन बानाई है और उसका निर्यात किया है.

क्या चीन से निकले कोरोना वायरस की आनुवंशिक सामग्री भारत में पाए जाने वाले वायरस से अलग है?

जब कोरोना वायरस से फैली महामारी के स्तर पर वायरस फैलता है, तो उसमें उत्परिवर्तन (Mutation) होता है, लेकिन आनुवंशिक सामग्री में परिवर्तन की संभावना बेहद कम है.

चिकित्सा उपकरणों के निर्माण में मेडटेक विशाखापत्तनम की क्या भूमिका है? क्या वह स्वास्थ्य सेवा और फार्मा में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी होगा?

मेडटेक भविष्य में अहम भूमिका निभाएगा. उन्होंने कहा कि वह न केवल घरेलू जरूरतों के लिए, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय निर्यात के लिए भी चिकित्सा उपकरणों का निर्माण कर रहे हैं. चिकित्सा उपकरण कम लागत पर निर्मित किए जा सकते हैं. यह स्वास्थ्य संकट कम लागत वाले उपकरणों को विकसित करने का सही समय है.

ऐसी अफवाहें हैं कि चीन के परीक्षण किट वायरस को प्रसारित कर सकते हैं?

इसका खंडन करते हुए रेड्डी ने कहा कि इसकी कोई संभावना नहीं है. हालांकि किट आयात करने से पहले उनकी गुणवत्ता की जांच की जानी चाहिए. राज्य सरकारें इनको लेकर अंतिम निर्णय लेंगी.

वायरस के प्रसार को कैसे रोका जाए?

वायरस के प्रसार पर काबू पाने को लेकर रेड्डी ने कहा कि लोगों को लॉकडाउन खत्म होने के बाद भी सतर्क रहना पड़ेगा. जब तक वैक्सीन विकसित नहीं हो जाती, तब तक समाजिक दूरी अतिआवश्यक है. वायरस के प्रसार को परिरोध के माध्यम से रोका जा सकता है, लेकिन वायरस खत्म नहीं होगा. अगले दो वर्षों तक सुरक्षा उपायों का पालन करने के अलावा दूसरा कोई उपाय नहीं है. वृद्ध और पहले से बीमार लोगों ज्यादा सावधान रहने के जरूरत है.

क्या कोविड-19 को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए?

इस पर रेड्डी ने कहा कि यह अनिवार्य किया जाना चाहिए. युवा पीढ़ी को स्वक्षता के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए. कविड-19 के बाद युवाओं को इसके बारे में जागरूक किया जाना चाहिए की ऐसी महामारी को कैसे रोका जाए.

Last Updated : Apr 29, 2020, 9:00 PM IST

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