हैदराबाद : कोरोना वायरस का संक्रमण फैलता जा रहा है. कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या भी दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने तीन महीने पहले ही कोरोना से लड़ने कोविड-19 परीक्षण ज्यादा से ज्यादा करने पर जोर दिया था.
हालांकि भारत ने परीक्षण किट खरीदने और विकसित करने पर ध्यान केंद्रित किया, बावजूद इसके वर्तमान औसत जांच दर अभी भी 1,50,000 प्रतिदिन है. यह निराशाजनक परीक्षण दर सबसे ज्यादा जोखिम वाले समूहों जैसे हृदय, गुर्दे और फुफ्फुसीय (पल्मोनरी) बीमारियों, डायबेटिज, हाइपरटेंशन वाले लोगों के लिए घातक साबित हो रही है. वहीं रिकवरी रेट 52.47 प्रतिशत है. लैंसेट अध्ययन से पता चला है कि दुनिया भर में 170 करोड़ लोगों (दुनिया की आबादी का 20 प्रतिशत) को कोरोना वायरस संक्रमण का ज्यादा खतरा है.
सीएसआईआर-सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (CCMB) के निदेशक राकेश मिश्रा ने कहा कि व्यापक परीक्षण से एशिया के सबसे बड़े स्लम धारावी में कोरोना का संक्रमण नियंत्रित हुआ है. उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत को अपनी परीक्षण क्षमता को बढ़ा देना चाहिए. लगभग 10,00,000 नमूनों की जांच प्रतिदिन कर देनी चाहिए.
वर्तमान में, RT-PCR परीक्षण किटों की कमी है. वहीं आरटी-पीसीआर आयात(इंपोर्ट) करने में आय-व्यय का प्रबंध करना महंगा साबित हो सकता है. उन्होंने बताया कि CCMB ने एक कम निवेश वाली PCR प्रक्रिया विकसित की है. फिलहाल इसे भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की स्वीकृति नहीं दी गई है.
वहीं वैज्ञानिकों ने RT-LAMP पद्धति विकसित की है, जो आधे घंटे में कोविड-19 परीक्षण की रिपोर्ट दे देगा. ICMR ने दक्षिण कोरियाई फर्म द्वारा विकसित एक नए एंटीजन / एंटीबॉडी परीक्षण को मंजूरी दी है. कोरोना से जीतने के लिए बड़े पैमाने पर परीक्षण करना महत्तवपूर्ण है.